राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश में जादूगर के तौर पर पहचाने जाते हैं, कई बार तोल-मोल की बात प्रधानमंत्री तक को कह देते हैं तो कभी इतने स्ट्रेट फार्वड हो जाते हैं कि हैरानी होती है। जब सचिन पायलट विधायकों को लेकर मानेसर में बैठ गए थे तब मीडिया में गहलोत की ओर से सचिन के बारे में बताई गई बायोग्राफी जगजाहिर है। वहीं कभी कभी उनके बयान मौके की नजाकत को देख कर भी होते हैं। अब यूपीए सरकार के जाने का जिम्मेदार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश में कैग के पूर्व नियंत्रक और महालेखा परीक्षक विनोद राय को ठहराया है। गहलोत ने कहा कि 2जी और कोलगेट को लेकर विनोद राय के बयान से देश में यूपीए के खिलाफ माहौल बन गया। इससे यूपीए सरकार चली गई। सीएम ने कहा कि मुझे विनोद राय याद हैं जो चार्टर्ड अकाउंटेंट नहीं थे, ब्यरोक्रेट थे, सीएजी थे। राय ने उस दौरान 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये का घोटाला बताकर पता नहीं 2जी और कोलगेट को लेकर क्या क्या बोल दिया।
1949 में चार्टर्ड अकाउंटेंट एक्ट बनना इस बात का सबूत है कि इकोनॉमी, सोसायटी और इंडस्ट्रियल डवलपमेंट में चार्टर्ड अकाउंटेंट का कितना योगदान है। पूरे देश की अर्थव्यवस्था में सीए का बहुत बड़ा योगदान है। मैं खुद 1980 में पब्ल्कि अकांउट्स कमेटी पीएसी का मेंबर था। इसलिए मुझे अहसास है कि सीए का कितना महत्व है।
former Comptroller and Auditor General (CAG) | File Photo
विनोद राय भारत के 11वें नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) थे। राय जनवरी 2008 में इस पद को संभाला और मई 2013 तक इस पद पर काबिज रहे। इसी दौरान विनोद राय ने पीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में हुए लाखों करोड़ रुपये के टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले और कोयला घोटाले का सनसनीखेज खुलासा किया था, जिसके बाद विनोद राय चर्चा में आए थे।
23 मई, 1948 को जन्मे विनोद राय ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर्स डिग्री हासिल की है। इसके बाद हॉर्वड विश्वविद्यालय से उन्होंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। उन्हें भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का खुला समर्थन किया। नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) के पद पर रहते हुए इस संस्था को जवाबदेह और पारदर्शी बनाने में अहम रोल अदा किया।
former Comptroller and Auditor General (CAG) | File Photo
विनोद राय 1972 बैच के केरला कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने थ्रिसूर जिले में सब-कलेक्टर के तौर पर अपना करियर शुरू किया। बाद में वो कलेक्टर बने और थ्रिसूर जिले में आठ साल बिताए। बाद में विनोद राय 1977 से 1980 के बीच केरल राज्य को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन के एमडी रहे। इसके बाद उन्हें केरल राज्य का मुख्य सचिव (वित्त) नियुक्त किया गया।
इसके बाद वो कई और अहम पदों पर काम करते हुए सीएजी के पद तक पहुंचे। फरवरी 2016 में विनोद राय को बैंक बोर्ड ब्यूरो का चेयरमैन बनाया गया। ये पब्लिक सेक्टर्स के बैंकों में उच्च स्तर पर नियुक्तियों को लेकर सरकार को अपनी सलाह देते हैं। विनोद राय को मार्च 2016 में पद्म भूषण अवॉर्ड से नवाजा गया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें ये सम्मान दिया।
Like Follow us on :- Twitter | Facebook | Instagram | YouTube