15 साल के एक लड़के को जब उसकी मां एक ड्रेस दिलाने के लिए शाम तक का इन्तजार करने को कहा तो उस पर ये इंतजार भारी पड़ गया और उसने मौत का गला चूम लिया । उसी दिन उसकी मां का जन्मदिन था, ये जन्मदिन उसकी जिन्दगी में एक ऐसी कमी छोड़ गया जो कि जिन्दगी भर पूरी नहीं हो पाएगी। दौड़भाग से भरी आज की जिन्दगी में जब लोग अपनों के अहसासों को नजरअंदाज कर देते हैं तो पीछे कुछ ऐसे जख्म छूट जाते हैं जिनको भरना नामुमकिन सा हो जाता है।
अलवर से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने हर किसी को सकते में डाल दिया । एक 15 वर्षीय लड़के की ड्रेस की मांग पूरी नही हुई तो उसने अपने जान दे दी । सुसाइड नोट में लिखा कि आप कभी स्कूल के लिए लेट नहीं होंगी, दुनिया का सबसे अच्छा बर्थ - डे गिफ्ट, हैप्पी बर्थडे मम्मी जी ।
आज के जमाने में बच्चे अपनी मांग मनवाने के लिए बेहद बेताब हो जाते हैं और जब छोटी छोटी मांगे पूरी नहीं होती तो सुसाइड जैसे बड़े कदम उठा लेते हैं । खबर अलवर के बहरोड़ से है जहां कंचन नाम की सरकारी शिक्षिका का बेटा दो दिन से उससे ड्रेस की मांग कर रहा था ।
कंचन बिजी होने कारण उसे ड्रेस नहीं दिला पा रही थी। शुक्रवार को कंचन का 40 वां जन्मदिन था, सुबह एक बार फिर ड्रेस की मांग की तो रोहित को कंचन ने डांट दिया और कहा कि आज टाइम नहीं है तो शाम को दिला दूंगी। इस पर बेटे ने खुदकुशी कर ली और सुसाइड नोट भी लिखा
आप अब कभी लेट नहीं होंगी, दुनिया का सबसे अच्छा बर्थडे गिफ्ट, हैप्पी बर्थडे मम्मी जी ।मृतक रोहित
अब इस मामले को गौर से देखा जाए तो हर पहलू की गलती नजर आती है । आज बच्चे इतने बेताब हो गए हैं कि वो अपनी मांगे मनवाने के लिए कोई भी कदम उठा लेते हैं। कहीं न कहीं बच्चों के इस रवैये में बड़ा हाथ आज की परवरिश का भी है। मां बाप बचपन से बच्चों की हर ख्वाहिश को पूरी करते हैं और उनको मांग करने के लिए खुली छूट देते हैं।
बच्चों की मानसिकता ऐसी बन जाती है कि उनकी हर मांग पूरी की जाएगी । इस मामले को समझे तो रोहित को ऐसी कौन - सी बात चुभी कि उसे एक दिन के इंतजार से ज्यादा अच्छा जीवन को खत्म करना लगा ।
आखिर ये छोटे छोटे बच्चे कैसे इतने बड़े कदम उठा लेते हैं ? इस सवाल का जवाब जानना आज हर मां बाप को जानना जरूरी है । ये जानना और भी जरूरी इस लिए है क्योंकि पिछले कुछ दिनों में ये पहला मामला नहीं है, ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें बच्चे छोटी छोटी मांग पूरी न होने पर खुदकुशी कर लेते हैं ।
मां बाप, और समाज को इस सवाल और ऐसे मामलों पर गौर करने की जरूरत है। बच्चों की ख्वाहिशें पूरी करना सही है लेकिन जब बच्चे इतने बेताब और इमपेशेंट हो जाए कि दो दिन कपड़े न मिलने पर आत्महत्या कर लें तो ये हम सबके लिए विचारणीय है।