सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने हाल ही में फोर्टिफाइड आटे के वितरण की कार्य योजना बनाने को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए है लेकिन विभाग के अधिकारी गेहूं की जगह फोर्टिफाइड आटा वितरण के पक्ष में नहीं दिख रहे है। जिससे एक बार फिर विवाद गर्माता नजर आ रहा है।
इससे पूर्व में कांग्रेस सरकार में ही फोर्टिफाइड आटे के वितरण की कार्य योजना बनी लेकिन पिसाई की दरों को लेकर फोर्टिफाइड आटे में विवाद सामने आया था। तब यह मामला एसीबी तक पहुंचा था। हालांकि इस बार भी मंत्री खाचरियावास के दिशा-निर्देश देने बाद भी विभाग के अधिकारी गेहूं की जगह फोर्टिफाइड आटा वितरण के पक्ष में नहीं दिखे।
खाद्य सुरक्षा योजना में केवल गेहूं देने से हम लाभार्थियों के स्वास्थ्य को मजबूत नहीं कर सकते। ऐसे में उनको गेहूं की जगह पोषक तत्वों से भरपूर फोर्टिफाइड आटा मिले तो ज्यादा फायदा होगा। अधिकारियों को इसके लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए है।
प्रताप सिंह खाचरियावास, खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री
पिछली कांग्रेस सरकार में राजस्थान में फोर्टिफाइड आटे की पिसाई की दरों में भ्रष्टाचार व गुणवत्ता को लेकर सवाल उठे तो सरकार की भारी किरकिरी हुई थी। इसके बाद तत्कालीन खाद्य मंत्री बाबू लाल नागर का विभाग बदल दिया गया था।
2011-12 में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की ओर से चहेती आटा मिलों को पिसाई की ऊंची दरों पर 400 करोड़ रुपए से ज्यादा का टेंडर दिया गया था। यहां तक की आटे में चोकर की मात्रा 5 प्रतिशत से ज्यादा मिली थी। जयपुर जिले में कई जगह आटे में कीड़े मिलने की शिकायतें सामने आई थी। यह भी आरोप सामने आया कि कई मिल संचालकों ने अच्छी गुणवत्ता वाले गेहूं की जगह घटिया गेहूं को काम में लिया।
फोर्टिफाइड आटा सामान्य आटे से अलग होता है। इसमें आयरन, विटामिन बी-12 और फोलिक एसिड जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते है। इसका उपयोग महिलाओं और बच्चों को खून कमी और कई बीमारियों से बचाता है। चिकित्सक भी मातृ व शिशु के स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिए इसके उपयोग की सलाह देते है।