मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 19 नये जिलें व 3 नये संभागों की घोषणा कर राजस्थान की राजनीति में नया भूचाल खड़ा कर दिया है। कई नये जिलों में खुशी का माहौल बना हुआ है तो कहीं से आंदोलन की खबरें सामने आ रही है।
नये जिलों की घोषणा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री वंसुधरा राजे ने ट्वीट करते हुए अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है। उन्होंने इस घोषणा को अपने राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति करना भर बताया है। राजे का कहना है कि इस कोशिश में उन्होंने राजस्थान के पूरे आर्थिक तंत्र को दांव पर लगा दिया है। साथ ही उन्होंने कई नये महत्वपूर्ण तथ्यों को नजरअंदाज करने का आरोप भी लगाया।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने नये जिलों की घोषणा के बाद एक के बाद एक तीन ट्वीट कर कांग्रेस सरकार को घेरा। उन्होंने पहला ट्वीट करते हुए कहा कि 'कांग्रेस सरकार की नई घोषणाएं अपने व्यक्तिगत राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति करने का प्रयास भर है। इस कोशिश में उन्होंने राजस्थान के पूरे आर्थिक तंत्र को दांव पर लगा दिया है। जिसका खामियाजा आने वाले वर्षों में प्रदेश और प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ेगा। '
राजे ने दूसरा ट्वीट में कहा कि 'नये ज़िले बनाए जाने की प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण तथ्यों को नज़रअंदाज़ कर दिया गया है। जिस कारण नये ज़िले बनने से होने वाली सुगमता के बजाय जनता को प्रशासनिक जटिलताओं का सामना करना पड़ेगा।'
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने ट्वीट कर कहा कि 'प्रदेश के चिंताजनक राजकोषीय संकेतकों को मुख्यमंत्री जी ने ताक पर रखकर बजट का राजनीतिकरण करने का प्रयास किया है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।'
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने नये जिलों की घोषणा को लेकर निशाना साधते हुए कहा कि पिछली बार की तरह ही फुस्स साबित होगी। उन्होंने 2013 की बात की, कहा- वर्ष 2013 में भी सरकार ने इसी प्रकार का मास्टर स्ट्रोक खेला था जो फुस्स होकर रह गया और भाजपा 163 सीटें लेकर आई। यह घोषणाएं जमीनी धरातल पर शायद ही उतर पाए क्योंकि सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर राम लुभाया कमिटी का कार्यकाल बढ़ाया था। 8 दिन बाद ही इस प्रकार की घोषणाओं का क्या हश्र होगा, सोचा जा सकता है?
राजस्थान विधानसभा चुनाव से करीब आठ महीने पहले अशोक गहलोत ने कल यानि 17 मार्च शाम को प्रदेश में 19 नये जिले व 3 नये संभाग बनाने की घोषणा की है जिससे प्रदेश में अब जिलों की संख्या 50 और संभागों की संख्या 10 हो गयी है। हालांकि प्रदेश में पहले 33 जिले थे और नये 19 नये जिले बनने के बाद आंकड़ा 52 होना चाहिए।
आपको बता दें कि जयपुर से जयपुर उत्तर और जयपुर दक्षिण, वहीं जोधपुर को तोड़कर जोधपुर पूर्व और जोधपुर पश्चिम बनाया गया है। ऐसे में पुराने 31 जिलों को माना जाए और फॉर्मेशन के बाद 19 नए जिले माने जाएं तो कुल संख्या 50 होती है।