राजस्थान

SI Ground Report: Lumpy पर राजस्थान में सरकारी आंकड़ो से आगे की कहानी; बीकानेर के लोगों ने सवाल किए खड़े

Kunal Bhatnagar

राजस्थान में लंपी से गौवंशों को मरने का सरकारी आंकड़ा 59000 तक पहुंच गया है। राजस्थान सरकार ने यह आंकडे कल जारी किए है, लेकिन क्या वास्तव में सरकारी आंकडे सही है?  यह सवाल इस लिए उठ रहा है क्योंकि जब सिंस इंडिपेडेंस की टीम 13 और 14 सितबंर को बीकानेर में ग्राउड जीरो पर गई तो हकिकत कुछ और ही मिकल कर सामने आई। बीकानेर में रहने वाले लोगों का कहना है कि सरकारी आकड़े से कही ज्यादा गौवंशों की मौत बीकानेर में हो चुकी है। बता दें जब सिंस इंडिपेडेंस की टीम ग्राउड जीरो पर गई थी तो उस समय गायों की मौत का आंकड़ा लगभग 52000 का था।

भगवान लाल तवर, पशुपालक (बीकानेर)
सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली, ना कोई डॉक्टर आया। हम अपने स्तर पर घरेलू इलाज कर रहे है। लगभग सौ गायों में से 30 से 35 गायों की मौत हो गई। ढेरों के ढेर खाली हो गए। गायों को उठाने वाले भी मनमर्जी का रेट लेते है। नगर निगम वालो को बुलाते रहो वो आते नहीं है। नगर निगम वाले गाय उठाने के पैसे लेते है। प्राइवेट ठेकेदार गायों को उठाने के लिए 5-5 हजार रुपये ले लेता है।
भगवान लाल तवर, पशुपालक (बीकानेर)
बीकानेर में हालत बहुत ज्यादा खराब है। हम अपने स्तर पर पिछले दो महीनों से गौवंशों की सेवा में लगे हुए है। अनगिनत गाय लंपी के कारण अपनी जान गवा चुकी हैं। इसकी गिनती नहीं है।
गौ सेवा समिति के सदस्य बीकानेर
केवल और केवल बीकानेर में 50000 के पार गौवंशों की मौत का आंकड़ा है। सरकार के द्वारा किसी भी तरह की कोई भी मदद नहीं की जा रही है। हम लोग अपने स्तर पर ही मिलकर काम कर रहे है। सरकार सोई हुई है, उसे जगाना है। लंपी की स्थिति से अवगत कराने के लिए प्रशासन को कई बार ज्ञापन भी दिया गया है लेकिन सरकार उस पर कोई निर्णय नही ले रही है।
गौ सेवा समिति के सदस्य बीकानेर
जिस किसान के पास एक-दो पशु था। जो दूध बेचकर अपना खर्च चलाता था। आज उनकी दिनचर्या प्रभावित हो गई है। बीकानेर की हर पंचायत में 500-600 गौवंश मरे है। बीकानेर शहर में 20 से 30 हजार गायों की मौत हो गई है। सरकार अपनी कमजोरी छुपाने के लिए आंकड़े छिपाने का प्रयास करेगी। हो सकता है आंकड़े कम बताने के पीछे मुआवजे की बात हो। गरीब की हालत तो खराब ही है। आशर्चय की बात यह है कि इतनी बड़ी संख्या में गायों की मौत होने पर भी बीकानेर में दूध की कोई कमी नही है। यह बात कही ना कही मिलावटखोरी की तरफ इशारा करती नजर आ रही है। सरकार को इस और भी ध्यान देने की जरुरत है।  
महेंद्र बिश्नोई, एडवोकेट, बीकानेर

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