नागौर से केशा राम गढ़वार की रिपोर्ट. नागौर में शीतला अष्टमी पर्व धूमधाम से मनाया गया। यहां जोधपुर बाईपास स्थित शीतला माता मंदिर पर मेले का आयोजन हुआ जहां अल सुबह से लेकर दोपहर तक सेढ माता के पूजन के लिए महिला पुरुषों की कतारें लगी रही।
मेले में उमड़ा सैलाब, महिलाओं ने की परिवार की खुशहाली की कामना
शुक्रवार को शीतलाष्टमी के मौके पर आयोजित मेले में हजारों लोगों का सैलाब उमड़ा। मेले में लोगों ने सेढ माता व शीतला माता के दर्शन किए साथ ही शीतला माता को ठंडे पकवानों का भोग लगाकर घरो में अमन, चैन ,सुख ,संपत्ति व परिवार के निरोगी होने के लिए की कामना की। माता के मंदिरों में सुबह तीन बजे से ही लोगों का तांता लगना शुरू हो गया। यहां विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल ने लोगों की सुरक्षा के लिए पूरे इंतजाम किए, वही पुलिस यातायात व कोतवाली पुलिस का एख दल भी यहां मौजूद रहा।
चाकसू के शील डूंगरी में आयोजित होता है दो दिवसीय मेला
होली के 8 दिन बाद शीतलाष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस मौके पर माता के सबसे बड़े मेले का आयोजन चाकसू के शील डूंगरी में होता है। यहां माता की अराधना में 2 दिवसीय लक्खी मेले का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि गर्मी की बीमारियों से माता छुटकारा दिलाती हैं। शीतला माता एक पौराणिक देवी मानी जाती हैं, और इन्हें ठंड़े पकवानों का भोग लगाया जाता है। माता के मेले में हर साल लाखों श्रद्धालु मन्नत मांगने आते है।
शीतला माता मंदिर- शील डूंगरी, चाकसू
शीतला माता को माना जाता है अरोग्य देवी
पौराणिक कथाओं के अनुसार माता को ठंडा भोग चढ़ाने की परम्परा है। शीतला माता को चेचक वाली देवी भी कहा जाता है। मान्यता है कि माता का व्रत और पूजा करने से गर्मियों में चेचक , फोडे फुन्सी जैसी बीमारियां नहीं होती है। इस दिन महिलाएं परिवार की सुख, शांति के लिए व्रत रखती है और सुबह तड़के माता को ठंडे भोजन का भोग लागाती है।