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जानिए 15 राज्यों में लोकसभा की 3, विस. की 30 सीटों के उपचुनाव के नतीजे का पांच राज्यों के होने वाले विधानसभा चुनाव पर क्या होगा असर ?

तीन लोकसभा और 30 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे मंगलवार को घोषित किए जाएंगे। दरअसल, ये उपचुनाव इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये एक या दो राज्यों में नहीं, बल्कि देश के 15 अलग-अलग हिस्सों और अलग-अलग राजनीतिक मिजाज वाले अलग-अलग राज्यों में हुए हैं।

Ishika Jain

तीन लोकसभा और 30 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे मंगलवार को घोषित किए जाएंगे। दरअसल, ये उपचुनाव इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये एक या दो राज्यों में नहीं, बल्कि देश के 15 अलग-अलग हिस्सों और अलग-अलग राजनीतिक मिजाज वाले अलग-अलग राज्यों में हुए हैं। दूसरे, इसके बाद अगले साल के शुरुआती महीनों में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव भी होने हैं। इन राज्यों में यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर शामिल हैं।

इन उपचुनावों के नतीजे न सिर्फ हवा की दिशा बताएंगे, बल्कि नए राजनीतिक समीकरण भी बनते नजर आएंगे। दरअसल ऐसी 10 वजहें हैं, जिनकी वजह से इन उपचुनावों के नतीजों का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है।

1- राष्ट्र का मूड क्या है?

उपचुनाव के नतीजों को राष्ट्रीय मुद्दों पर देशव्यापी सर्वे भी माना जा रहा है। रिजल्ट को मूड ऑफ द नेशन के तौर पर भी पेश किया जाएगा। अगर बीजेपी और उसके सहयोगी जीतते हैं तो इसे केंद्र सरकार के पक्ष में जनादेश माना जाएगा और कहा जाएगा कि मोदी लहर अभी भी चल रही है, लेकिन कमजोर प्रदर्शन रहा तो विपक्ष इसे मोदी लहर के कमजोर पड़ने का एक स्पष्ट संदेश बताएगा।

2- बिहार में तय होगा गठबंधन का भविष्य

बिहार में कांग्रेस और राजद के अलग-अलग राजनीतिक रास्ते के कारण क्या वहां की राजनीति प्रभावित हुई है और यदि हां, तो इसका कितना प्रभाव पड़ा? इसका जवाब उपचुनाव का नतीजा होगा। राज्य की दो विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में दोनों दल गठबंधन तोड़कर अलग-अलग उतरे। यह उपचुनाव राज्य के सीएम नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू के लिए भी अहम है। पिछले साल के चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद इस चुनाव में जदयू की साख दांव पर लगी है। राज्य में जिस तरह का राजनीतिक समीकरण है, इन दोनों सीटों के नतीजों का वहां पर बड़ा असर हो सकता है।

3- हिमाचल में दिखेगा ट्रेलर

हिमाचल प्रदेश की एक लोकसभा सीट और तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो चुके हैं। ठीक एक साल बाद विधानसभा चुनाव भी होने जा रहे हैं। ऐसे में पता चलेगा कि राज्य में सियासत की हवा किस दिशा में बह रही है। हिमाचल उन कुछ राज्यों में से एक है जहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर है। हिमाचल प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर और दिवंगत मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के परिवार की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा वीरभद्र सिंह खुद मंडी से प्रत्याशी हैं।

4- बंगाल में बीजेपी के लिए मौका

पश्चिम बंगाल की 4 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो चुके हैं. नतीजे बताएंगे कि क्या राज्य पर टीएमसी की पकड़ मजबूत हो रही है या बीजेपी के पैर अभी पूरी तरह से उखड़े नहीं हैं. बीजेपी अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहती है और यह संदेश देना चाहती है कि वह अभी राज्य में एक बड़ी शक्ति है। मई में सत्ता में वापसी के बाद TeamAC ने बीजेपी को कमजोर करने की पूरी कोशिश की है। अगर उपचुनाव में बीजेपी का कमजोर प्रदर्शन जारी रहा तो पार्टी में और भगदड़ मच सकती है। अगर टीएमसी उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं करती है तो बीजेपी को पलटवार करने का मौका मिल सकता है।

5-शिवराज सिंह चौहान की होगी अग्निपरीक्षा

मध्य प्रदेश में एक लोकसभा सीट के अलावा दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए. सीएम शिवराज सिंह चौहान के लिए भी यह बेहद अहम है। हाल ही में बीजेपी ने तीन राज्यों में सीएम बदले हैं। चौहान डेढ़ दशक से अधिक समय तक मुख्यमंत्री भी रहे हैं। यदि परिणाम प्रतिकूल रहे तो उन्हें एक नई चुनौती का सामना करना पड़ेगा। इसी तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद कमलनाथ के लिए यह परिणाम काफी अहम होगा। अगर कांग्रेस उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं करती है तो पार्टी में भगदड़ और भी बढ़ सकती है। पिछले कुछ समय से राज्य में कांग्रेस के कई नेताओं ने अपना पक्ष बदला है।

6-अशोक गहलोत का आगे का रास्ता क्या होगा ?

राजस्थान की दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे राज्य की सियासत को और गर्म कर सकते हैं। सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट से पिछले कई महीनों से विवाद चल रहा है। ऐसे में गहलोत के लिए ये रिजल्ट बेहद खास होगा। राज्य में पिछले कुछ समय से नेतृत्व परिवर्तन की आवाज सुनाई दे रही है। राज्य में बीजेपी कई खेमों में बंटी हुई है। उनके लिए भी इस नतीजे का असर राज्य पर पड़ेगा।

7- उपचुनाव कांग्रेस के लिए दूरगामी संकेत

यह चुनाव कांग्रेस के लिए भी काफी अहम है। तीनों लोकसभा सीटों और 25 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का सीधा मुकाबला है। ऐसे समय में जब कांग्रेस के भीतर जी-23 नेतृत्व पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, उपचुनाव के नतीजे दूरगामी संकेत देंगे। चुनाव के नतीजे खराब रहे तो पार्टी का नेतृत्व फिर विपक्ष के निशाने पर आ सकता है।

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