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जमात-उल-विदा: आज है जमात-उल-विदा यानि रमजान का आखिरी जुम्मा, इसका अपना अलग ही महत्व है, अपनों को ऐसे दें बधाई

Manish meena

जमात उल विदा एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है जुमे की विदाई। यह त्योहार पूरी दुनिया में मुसलमानों द्वारा बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार रमजान के आखिरी शुक्रवार को मनाया जाता है। वैसे तो रमज़ान का पूरा महीना बहुत पवित्र माना जाता है, लेकिन जमातुल विदा के इस मौके पर रखे जाने वाले इस रोजे का अपना अलग महत्व है।जमात उल विदा को इबादत के दिन के रूप में भी जाना जाता है।

इस त्योहार के बारे में मान्यता है कि इस दिन पैगंबर मोहम्मद साहब ने अल्लाह से विशेष प्रार्थना की थी

इस त्योहार के बारे में मान्यता है कि इस दिन पैगंबर मोहम्मद साहब ने

अल्लाह से विशेष प्रार्थना की थी। यही कारण है कि इस शुक्रवार को बाकी

दिनों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि जमात-उल-विदा के दिन,

जो लोग अल्लाह को नमाज़ अदा करेंगे और अपना पूरा दिन मस्जिद में गुज़ारेंगे।

वह अल्लाह की विशेष दया और आशीर्वाद प्राप्त करेगा।

जमात -उल- विदा का महत्व

वैसे तो जुम्मे (शुक्रवार) का नाम पूरे साल खास माना जाता है, लेकिन रमजान का आखिरी जुम्मा को जमात-उल-विदा के नाम से भी जाना जाता है, इसका अपना अलग ही महत्व है। ऐसा माना जाता है कि जो कोई जमात-उल-विदा के दिन नमाज पढ़ता है और अपने पिछले पापों के लिए अल्लाह से माफी मांगता है, उसकी दुआएं जरूर पूरी होती हैं। इसीलिए जमातउल- विदा को इबादत के दिन के रूप में भी जाना जाता है।

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