डेस्क न्यूज – केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि मिजोरम में बुनियादी ढांचा विकसित करने और फलों की कृषि को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार इजरायल की उच्च प्रौद्योगिकी उपलब्ध करा रही है। सिंह ने मिजोरम के कानून और न्याय, संसदीय कार्य, परिवहन, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री टी.जे. लालनूनलुआंगा को एक बैठक के दौरान यह टिप्पणी की।
बैठक के दौरान लालनूनलुआंगा ने इको-पर्यटन का प्रस्ताव सौंपा। इस प्रस्ताव में 15 करोड़ रुपए की लागत से सिक्किम के चम्पई स्थित लांगसम में निर्माण की जाने वाली एक परियोजना का ब्यौरा है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि मिजोरम में इस प्रकार की परियोजनाओं की अपार संभावनाएं हैं और इससे स्थानीय लोगों को लाभ मिलेगा। मिजोरम के मंत्री ने पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री को परियोजनाओं के प्रस्ताव की एक प्रति भी दी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मिजोरम सरकार इन परियोजनाओं का प्रस्ताव पहले ही पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय को सौंप चुकी है। इन परियोजनाओं में सरलुई बेली पुल, आइजोल में कृत्रिम फुटबॉल टर्फ, ममित में जिला अस्पताल का विकास, राज्य में भूस्खलन को नियंत्रित करने की परियोजनाएं, लघु सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण आदि शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लुंग लेई का "सेंटर ऑफ एक्सलेंस" देश का अकेला संस्थान है, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र के साथ-साथ पूरे देश की आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहा है। नींबू प्रजाति के फल के लिए पिछले वर्ष स्थापित सेंटर ऑफ एक्सलेंस इजरायल के सहयोग से पौधा रोपण सामग्री तथा किसानों को प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मिजोरम के कुछ अधिकारियों ने इजरायल से प्रशिक्षण प्राप्त किया है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की एक पहल है। इसके लिए इजरायल सरकार, मिजोरम सरकार और भारत सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ है। पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय सुविधा और समन्वय प्रदान करने वाले विभाग की भूमिका निभा रहा है। इजरायल प्रौद्योगिकी, पौधा रोपण सामग्री और क्षमता विकास की सुविधाएं प्रदान कर रहा है।