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धर्म का चोला ओढ़े लोग बोल रहे नफरत की भाषा : सचिन पायलट

Ranveer tanwar

राजस्थान की राजनीती में कांग्रेस सरकार का वॉर केंद्र सरकार पर जारी है। पहले राहुल गाँधी का महंगाई हटाओ रैली के दौरान केंद्र सरकार पर निशाना साधा फिर हिन्दू और हिंदुत्व को लेकर राजनीती गरमाई लेकिन अब कांग्रेस सरकार के पूर्व उपमुख़्यमंत्री सचिन पायलट ने केन्द्र पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है की धर्म का चोला ओढ़े लोग बोल रहे नफरत की भाषा पायलट ने अपने इस बयान से केन्द्र सरकार को आड़े हाथो लिया है।

दरअसल बीते कुछ दिन पहले कई साधुओं ने हिंदू धर्म के खतरे में होने की बात कही थी, वहीं महात्मा गांधी को लेकर भी टिप्पणी की, इसपर कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने आईएएनएस से खास बातचीत करते हुए कहा कि, देश की संसद तो चलती नहीं और महात्मा गांधी का अपमान और गोडसे की बड़ाई कर रहे हैं।

सचिन पायलट

कल अलवर के बानसूर जनसभा में भी जनसैलाब देखने को मिला था।

इन बयानों से टकराव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं और व्यक्ति किसी भी धर्म का हो लेकिन अगर आप अशान्ति, हिंसा की बात करते हैं तो उसका खंडन ही करना चाहिए और किसी भी धर्म का व्यक्ति हो कार्यवाही होनी चाहिए। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को जो व्यक्ति अपमानित करता हो उसे आप कैसे धर्म गुरु बोल सकते हैं। आपको बता दे की सचिन पायलट 2023 राजस्थान विधान सभा चुनाव को लेकर मैदान में उतर चुके है। कल अलवर के बानसूर जनसभा में भी जनसैलाब देखने को मिला था।

क्या चुनाव के मद्देनजर इस तरह का बयान दिए जाते हैं ? इस सवाल के जवाब में सचिन पायलट ने कहा कि, इस बात से सहमत हूं कि जब जब चुनाव आते हैं तो इस प्रकार की बातों को तूल दी जाती है और हमेशा धर्म, मस्जिद -मंदिर की बातों को तवज्जों लोग इसलिए देना चाहते है क्योंकि डवलपमेंट पर आप वोट नहीं ले पा रहे हैं।

उत्तराखंड में भाजपा की जमीन खिसक रही है।

सुर्खियों में आने के लिए आप कुछ भी बोल दीजिए, और लोगों को भड़काएं और असल मुद्दों पर से लोगों को भृमित करें लेकिन जनता सब समझ रही है। अब बटवारा करने की कोशिश लोग नहीं होने देंगे क्योंकि अब मुद्दों पर लोग वोट करेंगे।

दुसरी ओर कोरोना का बढ़ते प्रभाव से आगामी विधानसभा चुनावों पर चुनाव आयोग व स्वास्थ्य मंत्रालय की बैठक हुई, वहीं चुनाव आयोग उत्तरप्रदेश का दौरा भी कर स्थिती जानने की कोशिश में जुटा हुआ है। इस पूरे मसले पर सचिन पायलट ने बताया कि, चुनाव टालने पर निर्णय चुनाव आयोग का होगा, चुनाव आयोग इंडिपेंडेंट प्रतीक होना चाहिए। वहीं किसी के दबाब में काम नहीं करना चाहिए और यह सत्य है कि उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा की जमीन खिसक रही है।

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