राज्यसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी है। File | Photo
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राज्यसभा चुनावों में सियासी पार्टियों का दांव, बदली-बदली क्यों नजर आ रही कांग्रेस और भाजपा

राजस्थान में सत्तासीन कांग्रेस पार्टी भी एक तरफ जहां विधायकों को मैनेज करने में लगी है वहीं राज्यसभा सीट के लिए कई बड़े नामों का एलान किया है जिनकी राजस्थान में कोई राजनैतिक जमीन नहीं है।

Ravesh Gupta

भाजपा में धुर विरोधी रहे घनश्याम तिवाड़ी और वसुंधरा राजे एक दूसरे से हाथ मिलाते नजर आ रहे हैं।एक दौर था जब तिवाड़ी वसुंधरा का बंगला खाली करवाने के लिए धरने पर बैठ गए थे।

राजस्थान में सत्तासीन कांग्रेस पार्टी भी एक तरफ जहां विधायकों को मैनेज करने में लगी है वहीं राज्यसभा सीट के लिए कई बड़े नामों का एलान किया है जिनकी राजस्थान में कोई राजनैतिक जमीन नहीं है।

बदले हुए ये सियासी समीकरण राज्यसभा चुनावों के साथ साथ आने वाले आम चुनावों को लेकर गढ़े जा रहे हैं।

वसुंधरा राजे के धुर विरोधी रहे हैं घनश्याम तिवाड़ी

राज्यसभा चुनावों से पहले सियासी पार्टियों ने कई सियासी दांव खेले हैं। देखा जाए तो भाजपा और कांग्रेस की राज्यसभा चुनाव रणनीति बिल्कुल अलग नजर आ रही है।

भाजपा ने जहां राज्यों के हिसाब से वहां की जनता से जुड़े नेताओं को टिकट दिया है तो वहीं कांग्रेस को देखा जाए तो उन्होनें उन नेताओं को उन राज्यों से टिकट दिया है जिनका उन राज्यों से ही कोई नाता नहीं है।

राजस्थान में कांग्रेस ने उतारे बाहरी नाम

राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस के तीन उम्मीदवार मैदान में उतारे गए हैं। इनमें मुकुल वासनीक, प्रमोद तिवारी और रणदीप सुरजेवाला को मैदान में उतारा गया है।

कांग्रेस के लिहाज से देखा जाए तो तीनों ही नाम काफी बड़े है लेकिन ये तीनों ही नाम राजस्थान से बाहर के हैं।

मुकुल वासनिक महाराष्ट्र से चुनाव जीतते हुए नजर आते हैं और एक समय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की दौड़ में थे। अब उनको राजस्थान से राज्यसभा भेजा जा रहा है।

मुकुल वासनिक

वहीं बात प्रमोद तिवारी की करें तो वो उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ की रामपुर खास सीट से सांसद रहे हैं और यूपी कांग्रेस में प्रमोद तिवारी एक बड़ा नाम है लेकिन प्रमोद तिवारी को यूपी की बजाए राजस्थान से राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाना कहीं न कहीं कांग्रेस की सियासी रणनीति पर सवाल खड़ा करता है।

प्रमोद तिवारी

तीसरा नाम रणदीप सुरजेवाला का है जो कि हरियाणा के कैथल से विधायक और कांग्रेस के आधिकारिक प्रवक्ता हैं। अब महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के नाम राजस्थान में उतार कर कांग्रेस किस तरीके से जनता से जुड़ना चाहती है ये तो कांग्रेस का उच्च नेतृत्व ही जाने।

रणदीप सुरजेवाला

हर राज्य में कांग्रेस का है एक जैसा ट्रेंड

सिर्फ राजस्थान में ही नहीं बल्कि लगभग हर राज्य में कांग्रेस ने ऐसा खेल खेला है। इस तरीके के उम्मीदवारों के चयन से तो लगता है कांग्रेस कहीं न कहीं राज्यों की बजाय पूरे देश के चुनावों यानि लोकसभा चुनावों पर ज्यादा फोकस कर रही है और अलग अलग राज्यों के बड़े नेताओं को दूसरे राज्यों में भेज कर वहां की जनता के बीच नए चेहरे दिखा कर जनता से जुड़ने की कोशिश कर रही है।

भाजपा ने उतारे जनता से जुड़े उम्मीदवार

भाजपा ने 18 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। जिनमें से 6 उम्मीदवार यूपी से उतारे हैं तो वहीं एक उम्मीदवार राजस्थान से उतारा है।

यूपी के उम्मीदवारों की बात करें तो लक्ष्मीकांत बाजपेयी जो कि यूपी बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं, तो वहीं राधामोहन अग्रवाल लगातार चार बार गोरखपुर शहरी सीट से भाजपा की सीट पर चुनाव जीत चुके हैं।

इनके अलावा बाबू राम निषाद, सुरेन्द्र सिंह नागर, दर्शना सिंह और संगीता यादव को राज्यसभा का टिकट दिया गया है। ये सभी नेता भी यूपी की जनता के साथ जमीन से जुड़े हुए हैं।

लक्ष्मीकांत वाजपेयी
डॉ राधामोहन अग्रवाल

राजस्थान में घनश्याम तिवाड़ी को दिया टिकट

वहीं राजस्थान की बात करें तो बीजेपी ने वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी को राजस्थान से राज्यसभा भेजने का फैसला किया है। हालांकि घनश्याम तिवाड़ी का भाजपा से रिश्ता खट्टा मीठा रहा है लेकिन राजस्थान में घनश्याम तिवाड़ी भाजपा का बड़ा चेहरा रहे हैं। घनश्याम तिवाड़ी वसुंधरा सरकार में मंत्री भी रहे हैं।

घनश्याम तिवाड़ी

बिल्कुल उलट है भाजपा और कांग्रेस का उम्मीदवार चुनाव

ऐसे में देखा जाए तो एक बात समझ आती है कि कांग्रेस और भाजपा का राज्यसभा उम्मीदवारों का चुनाव एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत है। कांग्रेस ने जहां केन्द्र स्तर के नेताओं पर दांव खेला है और अलग राज्यों के नेताओं को अलग राज्यों से राज्यसभा भेजने का फैसला किया है। वहीं भाजपा के नाम देखकर समझ आता है कि भाजपा ने राज्य से जुड़े और जनता के साथ जमीन पर काम करने वाले नेताओं को राज्यसभा भेजने का फैसला किया है।

कांग्रेस के उम्मीदवारों पर वरिष्ठ नेताओं ने जताई नाराजगी

कांग्रेस के लिस्ट जारी करने के बाद ये लिस्ट भी अंदरूनी कलह का एक कारण बनती दिखाई दे रही है। इन उम्मीदवारों के नाम से कुछ नेता खुश नजर नहीं आ रहे हैं। लिस्ट आने के तुरंत बाद ही कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इस लिस्ट में अपना नाम न होने पर निराशा और नाराजगी जताई है। उन्होनें ट्विटर लिखा है कि शायद मेरी तपस्या में कुछ कमी रह गई।

यूपी में भाजपा के उम्मीदवारों पर भी उठे सवाल

राज्यसभा के उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होने पर कहीं न कही भाजपा की यूपी लिस्ट भी सवालों के घेरे में हैं। भाजपा पिछले कई राज्यसभा सदस्यों को दोबारा टिकट नहीं दिया है। यूपी की इस राज्यसभा उम्मीदवारों की लिस्ट में एक भी मुस्लिम नाम शामिल नहीं है।

राज्यसभा के सदस्य मुख्तार अब्बास नकवी का नाम इस लिस्ट में शामिल न होना एक बड़ी चर्चा का विषय बना हुआ है।

केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कार्यकाल खत्म हो रहा है मंत्री पद बने रहने के लिए मुख्तार को 6 महीने के अंदर संसद का सदस्य बनना होगा।

इसके लिए उनके पास बस अब एक ही रास्ता बचता है वो रामपुर लोकसभा सीट से उपचुनाव जीतना।

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