उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में राज्य की 403 सीटों में से 172 सीटों पर प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गयी है। चुनाव के तीसरे चरण में 16 जिलों की 59 सीटों पर 627 उम्मीदवारों के लिए वोटिंग हो चुकी है।
रविवार को तीसरे चरण की वोटिंग में 'यादव बेल्ट' और बुंदेलखंड के इलाके की सीटों पर उत्साह देखने को कम मिला। इन सीटों पर 2017 के मुकाबले दो फीसदी कम मतदान हुआ जबकि यादव बेल्ट की 23 सीटों पर ओवरआल से दो फीसदी ज्यादा मतदान हुआ है।
इससे पहले 2012 में इन 59 सीटों पर वोटिंग प्रतिशत 59.79 रहा जबकि 2017 में 62.21 फीसदी था। इस तरीके से 2012 की तुलना में 2017 में दो फीसदी मतदान में बढ़ोतरी हुई थी। इस बढ़ोतरी से बीजेपी को खासा फायदा हुआ था।
2012 के चुनाव में इन 59 सीटों में से बीजेपी को 8, सपा को 37, बसपा को 10 और कांग्रेस को तीन सीटें मिली थी जबकि 2017 के चुनाव में बीजेपी को 49, सपा को 8 सीट और कांग्रेस-बसपा को एक सीट पर जीत मिली थी।
2007 के विधानसभा चुनाव में इन 59 सीटों पर लगभग 50 फीसदी वोटिंग हुई थी जिसमें जिसमें बसपा को 28, सपा 17, भाजपा को 7 सीटें मिली थी। 2012 के चुनाव में मतदान प्रतिशत करीब 10 फीसदी तक बढा।
ऐसे में सपा को 10 सीटों का फायदा और बसपा को 21 सीटों का नुकसान हुआ था। अगर पिछले तीन चुनाव को देखें तो पता चलता है कि वोटिंग प्रतिशत बढने पर सत्तापक्ष को नुकसान तो वहीं विपक्ष को फायदा देखने को मिला है।
यूपी में तीसरे चरण का चुनाव यादवलैंड की सीटों पर रहा जहां यादव वोट अहम है। बृज के कासगंज, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, और हाथरस की 19 सीट है। अवध के 6 जिलों कानपुर, कानपुर देहात, औरैया, फर्रुखाबाद, कन्नौज और इटावा की 27 सीट है। बुंदेलखंड क्षेत्र के 5 जिलों झांसी, जालौन, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा में 13 सीटों पर चुनाव हुए है।