Satyendra Nath Bose 
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गूगल ने दी Satyendra Nath Bose को श्रंद्धाजंलि, जानें कौन थी ये महान हस्ती जिनके आइंस्टीन भी थे फैन

Satyendra Nath Bose: 4 जून को अपने होम पेज पर Google ने Doodle बनाकर सत्येंद्र नाथ बोस को श्रद्धांजलि दी। इन्होंने क्वांटम मैकेनिक्स में अहम योगदान दिया था।

Jyoti Singh

Satyendra Nath Bose: 4 जून को अपने होम पेज पर Google ने Doodle बनाकर सत्येंद्र नाथ बोस को श्रद्धांजलि दी। Satyendra Nath Bose मैथेमैटिशियन और थेओरिटिकल फिजिक्स के महान वैज्ञानिक थे। इन्होंने साइंस के फिल्ड में अहम योगदान दिया। आइए जानते है इस महान हस्ती के बारे में…

कौन हैं Satyendra Nath Bose

1 जनवरी 1894 को कोलकाता में सत्येंद्र नाथ बोस का जन्म हुआ था। अपने परिवार में सत्येंद्र 7 बच्चों में सबसे बड़े थे। उनके पिता सुरेंद्रनाथ बोस 'ईस्‍ट इंडियन रेलवे कंपनी' के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में काम करते थे। कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से विज्ञान में ग्रेजुएशन करने के बाद बोस ने कोलकाता विश्वविद्यालय में अप्‍लाइड मैथ्‍स में पोस्टग्रेजुएशन किया। दोनों डिग्रियों में उन्होंने टॉप किया था।

बोस ने 1916 में 'कोलकाता विश्वविद्यालय' के 'साइंस कॉलेज' में रिसर्च स्कॉलर के रूप में प्रवेश लिया और Theory of Relativity की पढ़ाई की। 1917 से 1921 तक वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के राजाबाजार विज्ञान महाविद्यालय के भौतिकी विभाग में व्याख्याता रहे। उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में कई बड़ी रिसर्च की थी।

क्वांटम मैकेनिक्स क्षेत्र में दिया अहम योगदान

Satyendra Nath Bose ने क्वांटम मैकेनिक्स क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। 1924 में आज के ही दिन यानि 4 जून को उन्होंने क्वांटम फॉर्मूलेशन अल्बर्ट आइंस्टीन को भेजे थे जिसे क्वांटम मैकेनिक्स में एक महत्वपूर्ण खोज के रूप में मान्यता दी गई। विज्ञान क्षेत्र में उनके इसी योगदान के लिए उन्हें सालों तक याद रखा जा रहा है।

आइंस्टीन भी हुए थे बोस की खोज के मुरीद

सत्येंद्र नाथ बोस ने प्लैंक लॉ एंड द हाइपोथिसिस ऑफ लाइट क्वांटा नाम से एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें उन्होंने अपने सभी निष्कर्षों का दस्तावेजीकरण किया और उसे प्रकाशित होने के लिए द फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन नामक एक प्रमुख विज्ञान पत्रिका को भेजा। लेकिन उन्होंने उनकी इस रिसर्च को खारिज कर दिया।

04 जून 1924 को बोस ने यह रिपोर्ट मशहूर साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टीन को भेजी। अल्बर्ट आइंस्टीन ने बोस की खोज को पहचाना और रिसर्च पेपर के आधार पर बड़े पैमाने पर रिसर्च की। इस तरह सत्येंद्र बोस का सैद्धांतिक पेपर क्वांटम सिद्धांत में सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्षों में से एक बन गया था।

पद्म विभूषण से सम्मानित है सत्येंद्र बोस

फिजिक्स के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए Satyendra Nath Bose को भारत के सर्वोच्च सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया । इसके अलावा उन्हें राष्ट्रीय प्रोफेसर के रूप में भी नियुक्त किया गया था।

Satyendra Nath Bose ने भारतीय भौतिक समाज, राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान, भारतीय विज्ञान कांग्रेस और भारतीय सांख्यिकी संस्थान सहित कई वैज्ञानिक संस्थानों के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वह वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के सलाहकार भी रहे बाद में वह रॉयल सोसाइटी के फेलो बन गए।

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