भारत को विदेशी धरती पर टेस्ट सीरीज में पहली जीत दिलाने वाले पूर्व क्रिकेट कप्तान अजित वाडेकर की आज जयंती है। उनका जन्म 1 अप्रैल 1941 को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में हुआ था। वाडेकर एक बेहतरीन 'स्लिप फील्डर', आक्रामक बल्लेबाज, बेहतरीन कप्तान और भारतीय टीम के सफल कोच रहे। दिलचस्प बात यह है कि उनके क्रिकेट करियर की शुरुआत बस यात्रा से हुई थी।
एक बार वाडेकर पूर्व भारतीय क्रिकेटर बालू गुप्ते के साथ बस में एलफिंस्टन कॉलेज जा रहे थे। बालू गुप्ते अपने ही कॉलेज में दो साल सीनियर थे। गुप्ते कला के छात्र और वाडेकर विज्ञान के छात्र थे। वेबसाइट 'ईएसपीएन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक वाडेकर इंजीनियर बनना चाहते थे। बालू और वाडेकर एक ही बस में कॉलेज जाते थे।
बालू और वाडेकर एक ही बस में कॉलेज जाते थे। एक दिन बालू गुप्ते ने उनसे पूछा, ''अजीत क्या आप हमारे कॉलेज क्रिकेट टीम के 12वें खिलाड़ी होंगे?'' उनका प्लेइंग 11 बेहतरीन था, लेकिन उनके पास मैदान पर पानी ढोने वाला खिलाड़ी नहीं था। वाडेकर ने क्रिकेटर बनने की अपनी कहानी बताते हुए कहा कि इसके लिए उन्हें एक दिन के लिए 3 रुपये का ऑफर मिला था। 1957 में तीन रुपये बहुत होते थे, यहीं से उन्होंने क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा।
इसके बाद वाडेकर ने कॉलेज में क्रिकेट खेलना शुरू किया। वहां उनकी मुलाकात सुनील गावस्कर के चाचा माधव मंत्री से हुई। पढ़ाई के चलते वह मैदान पर अभ्यास के लिए काफी देर से पहुंचते थे। एक दिन माधव मंत्री ने वाडेकर को नेट्स में बल्लेबाजी करने को कहा।
इसके बाद माधव मंत्री ने कॉलेज टीम के कप्तान से कहा कि वाडेकर टीम में नियमित रूप से खेलते रहेंगे। इसके बाद वाडेकर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
एक जमाने में भारतीय टीम की विदेश में जीत असंभव मानी जाती थी। वाडेकर ने भारतीय टीम को विदेशी धरती पर जीत का स्वाद चखाया। उन्होंने इंग्लैंड और वेस्टइंडीज की धरती पर भारत को यादगार जीत दिलाई है।
उन्होंने 37 टेस्ट मैच खेले, जिसमें 31.07 की औसत से 2113 रन बनाए। उन्होंने 1967-68 में न्यूजीलैंड के खिलाफ एकमात्र शतक बनाया था। वाडेकर 90 या इससे अधिक रन बनाकर चार बार आउट हुए, लेकिन शतक पूरा नहीं कर सके।
वह भारतीय एकदिवसीय क्रिकेट टीम के पहले कप्तान थे। हालांकि, उन्होंने केवल दो मैच खेले। वाडेकर 1990 के दशक में मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी के दौरान भारतीय टीम के मैनेजर भी थे। बाद में वे चयन समिति के अध्यक्ष भी रहे।
वाडेकर ने 237 प्रथम श्रेणी मैचों में 47 की औसत से 15380 रन बनाए हैं। उन्होंने 1966-67 के रणजी ट्रॉफी मैच में मैसूर के खिलाफ 323 का सर्वश्रेष्ठ स्कोर बनाया था। वाडेकर ने दलीप ट्रॉफी के कुल 18 मैच खेले। वह छह बार वेस्ट जोन के कप्तान भी रहे। उन्होंने छह बार बॉम्बे टीम की कप्तानी भी की।
वाडेकर ने 1967 के इंग्लैंड दौरे के दौरान काउंटी मैचों में 835 रन बनाए थे। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनके नाम 36 शतक और 84 अर्धशतक हैं। 15 अगस्त 2018 को मुंबई में ही उनका निधन हो गया।