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Baba Ka Dhaba: आखिर इतनी मदद करने के बाद भी कैसे बंद हो गया बाबा का ढाबा

Dharmendra Choudhary

डेस्क न्यूज़: बाबा का ढाबा एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। दिल्ली के मालवीय नगर स्थित बाबा का ढाबा तो सभी को याद होगा। इस नाम पर एक बार फिर चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि बाबा अपने पुराने स्थान पर लौट आए हैं। बाबा कांता प्रसाद का रेस्टोरेंट बंद हो गया और बाबा को वापस पुरानी जगह पर आना पड़ा। बाबा कांता प्रसाद ने पिछले दिसंबर में रेस्टोरेंट खोला और 15 फरवरी को बंद कर दिया। लेकिन रेस्टोरेंट को क्यों बंद करना पड़ा और मिले पैसों का क्या हुआ आइये जानते है।

रेस्टोरेंट का खर्च एक लाख रुपये से ज्यादा और आमदनी 35-40 हजार रुपये

मीडिया से बात करते हुए बाबा कांता प्रसाद ने बताया कि रेस्टोरेंट का खर्च एक लाख रुपये से ज्यादा और आमदनी 35-40 हजार रुपये थी। इस वजह से रेस्टोरेंट को बंद करना पड़ा। कांता प्रसाद ने बताया कि रेस्टोरेंट का किराया 35 हजार, रसोइया व अन्य स्टाफ का 36 हजार और कुल मिलाकर बिजली और पानी का बिल एक लाख से ज्यादा था। कभी 30 तो कभी 40-45 हजार रुपए की आमदनी हो रही थी, इसलिए रेस्टोरेंट बंद करना पड़ा।

आपके मैनेजर और वकील कहां गए ?

जब बाबा से पूछा गया की आपके मैनेजर और वकील कहां गए बाबा ने कहा कि सब चले गए हैं। सोशल मीडिया पर अपील के बाद लोग बाबा की मदद के लिए आगे आए और पैसे देकर मदद भी की। आखिर उस पैसे का क्या हुआ? बाबा कहते हैं कि पहले मुझे नहीं पता था कि मेरे खाते में कितना पैसा है। अखबार से पता चला कि 45 लाख रुपए हैं। पहले 39 लाख और फिर 45 लाख। मैंने घर बनवाया और कुछ पैसे खर्च किए, अब मेरे पास सिर्फ 19 लाख रुपये बचे हैं।

क्या गौरव वासन के साथ अभी भी मतभेद हैं?

कांता प्रसाद ने कहा कि हमारी मदद करने वाले गौरव वासन के खिलाफ हमने शिकायत नहीं की। कुछ अनजाने में हमसे गलती हो गई जिसकी वजह से ऐसा हुआ। अब मुझे गौरव वासन से कोई शिकायत नहीं है। पिछले साल सोशल मीडिया पर बाबा का कमाल था।

कौन है गौरव वासन ?

YouTuber गौरव वासन ने बाबा की असफलता का एक वीडियो बनाया था जो बहुत वायरल हुआ और दिलवालों की दिल्ली उनकी मदद के लिए दौड़ी, बाबा का ढाबा शुरू हुआ। बाबा यानी कांता प्रसाद को मदद के तौर पे काफी पैसे मिलते थे। बाद में उसी पैसे को लेकर गौरव वासन से भी उनका विवाद हो गया, मामला थाने तक पहुंच गया। एक बार फिर बाबा रेस्टोरेंट से अपने पुराने ठिकाने पर लौट आए हैं।

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