बिहार

यदि पार्टी बनी तो वो PK की नहीं.. उनकी होगी जो बदलाव चाहते हैं.. आप मुझे पॉलिटिकल एक्टिविस्ट कह सकते हैं... प्रशां​त किशोर

ChandraVeer Singh

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर(Prashant kishor) ने गुरुवार को (Bihar) प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ संकेत दे दिए (Prashant Kishor Latest News) कि पार्टियों को जिताने की रणनीति बनाने के बाद अब वे खुद इंडियन पॉलिटिक्स में एंट्री करेंगे। प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार (Bihar) में बदलाव और नई सोच की दरकार है। उन्होंने फिलहाल किसी भी तरह की पार्टी की घोषण नहीं की, लेकिन अपना रोडमैप बता दिया। पीके ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में मेरी समाज के हर वर्ग से चर्चा हुई है। नतीजा ये निकला की यहां की जनता नई सोच, बदलाव और सुराज चाहती है।

अगले 3 से 4 महनों में 3 हजार किलोमीटर की पद यात्रा से लेंगे फीडबैक

पीके (PK) ने कहा कि वे अगले 3-4 महीनों के भीतर 3 हजार किलोमीटर पदयात्रा करेंगे। इसकी शुरुआत वे चंपारण से कर अपनी पूरी यात्रा में करीब 17 हजार लोगों से बातचीत करेंगे। यदि ज्यादातर लोग सुराज और नई सोच के पक्ष में अपनी बात रखेंगे और किसी राजनीतिक पार्टी (Prashant Kishor Latest News) के ऐलान की जरूरत पड़ेगी तो उसका ऐलान भी होगा। उन्होंने कहा कि ये पार्टी प्रशांत किशोर की नहीं होगी। ये बिहार की नई सोच की पार्टी होगी।
ये भी सच है कि लालू और नितीश के 30 साल के शासन के बाद भी आज बिहार देश का सबसे पिछड़ा...
पीके ने कहा कि बीते 3 दशक से बिहार में लालू यादव (Lalu Yadav) और नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की सरकार रही....। पहले 15 साल लालू जी की सरकार और अब करीब 15 साल से नीतीश कुमार बिहार की सरकार में हैं.... बिहार के मुख्यमंत्री हैं...। एक तरफ लालूजी और उनके समर्थकों का मानना है कि 15 साल के शासन में सामाजिक न्याय का शासन था। आर्थिक और सामाजिक रूप से जो पिछड़े थे लोग थे... आरजेडी उनकी अवाज बनीं। वहीं उधर नीतीश समर्थकों कहते हैं कि उनकी सरकार ने आर्थिक विकास और दूसरी सामाजिक पहलुओं पर जोर दिया। दोनों ही बातों कुछ तो सच्चई है, लेकिन ये भी सच है कि लालू और नितीश के 30 साल के शासन के बाद भी आज बिहार देश का सबसे पिछड़ा और गरीब राज्य बना हुआ है। इस सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता है।

बिहार को अ​ग्रणी बनाने के लिए नई सोच और प्रयास की जरूरत

विकास के ज्यादातर मानकों पर बिहार सबसे पीछे है। अगर 10-15 साल के सफर को देखेंगे तो ये बात तो तय है कि इस रास्ते से हम मुकाम पर नहीं पहुंच सकते हैं....। अग्रणी राज्य की श्रेणी में आने के लिए बिहार को नई सोच नई कोशिश की जरूरत है...। यह बहस का मुद्दा हो सकता है कि वह नई सोच और नया प्रयास कौन करे और किसके पास है...। मेरा ऐसा मानना है कि नई सोच और नए प्रयास करने की क्षमता किसी एक व्यक्ति में है...।'

बिहार की जनता कहेगी पार्टी के लिए तो पार्टी जरूर बनेगी

'मैंने पिछले दिनों समाज के हरेक वर्ग से बातचीत की। करीब 150 लोगों से मेरी चर्चा हुई....। इनमें से ज्यादातर लोग चाहते हैं कि बिहार में नई सोच और बदलाव जरूर अना चाहिए...। आने वाले 3-4 महीनों में बिहार के करीब 17 हजार लोगों से बातचीत करने वाला हूं...। सुराज और नई सोच के बारे में उनसे चर्चा होगी...। चंपारण से 3 हजार किलोमीटर यात्रा करूंगा...। यदि इस यात्रा में ज्यादातर लोगों ने सुराज और नई सोच की बात पर हामी भरी और लगा कि किसी पॉलिटिकल पार्टी के ऐलान की जरूरत है तो उसका ऐलान भी होगा...।'

आप मुझे बिहार का पॉलिटिकल एक्टिविस्ट कह सकते हैं...

'यदि राजनीतिक पार्टी की घोषणा हुई तो वह प्रशांत किशोर की पार्टी नहीं होगी। वह उन लोगों की पार्टी होगी, जो बिहार में बदलाव, सुराज और नई सोच की बात का समर्थन करते हैं...। अभी कोई पार्टी नहीं है और न ही कोई मंच...। आप मुझे बिहार में एक पॉलिटिकल एक्टिविस्ट के तौर पर देख सकते हैं...। मेरा नीतीश कुमार से कोई निजी मतभेद कतई नहीं है...। नीतीश कुमार दिल्ली आते हैं और लोग कहने लगते हैं कि मैं जदयू जॉइन करूंगा...। लेकिन, यह खाली अफवाहें भर हैं। मैं समझता हूं कि इसपर किसी को ध्यान नहीं देने की जरूरत नहीं है।

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