गुजरात के मोरबी पुल हादसे ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। पुल टूटने से 135 लोगों की मौत हो चुकी है और लाशों को खोजने के लिए अभियान अभी भी चल रहा है। इस पुल हादसे के बाद कई अधिकारियों की लापरवाही पर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं, लेकिन पुल की मरम्मत और देखरेख करने वाली ओरेवा कंपनी ने हादसे का पूरा दोष भगवान पर ही डाल दिया है।
ओरेवा ग्रुप का बेशर्मी वाला यह बयान एक तरफ तो हादसे में जान गंवाने वालों के परिवार जनों के दर्द पर चोट समान है, वहीं हादसे से आहत देशवासियों को भी आघात देने वाला है। अब देखना यह है कि कंपनी की ओर से दिया गया यह तर्क कोर्ट में कितना टिक पाता है।
यहां हम बता दें कि ओरेवा कंपनी के मीडिया मैनेजर दीपक पारेख ने इस दर्दनाक हादसे से पूरी तरह से पल्ला झाड़ लिया है। उनकी ओर से कोर्ट में बयान दिया गया है कि इस बार भगवान की कृपा नहीं रही होगी, इसलिए यह हादसा हो गया।
दीपक पारेख ने ओरेवा कंपनी का बचाव करते हुए एमडी जयसुख पटेल को अच्छा आदमी बताया है। उन्होंने कहा है कि हमारे एमडी जयसुख पटेल अच्छे इंसान हैं। 2007 में प्रकाशभाई को पुल का काम सौंपा गया था, उन्होंने बखूबी काम किया। इसलिए दोबारा उन्हें काम दिया गया। पहले भी हमने मरम्मत का काम किया था, लेकिन इस बार भगवान की कृपा नहीं रही होगी।
पुलिस ने पुल हादसे में अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया है। इसके बाद पांच आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। वहीं ओरेवा कंपनी के दो प्रबंधकों समेत चार आरोपियों को चार दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है। वहीं सरकार की ओर से पुल हादसे की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट में मामले की न्यायिक जांच को लेकर याचिका दायर की गई है, जिस पर 14 नवंबर को सुनवाई होनी है।
इस पुल हादसे को लेकर एक चौंकाने वाली चिट्ठी भी सामने आई है। ओरवा कंपनी की ओर से जनवरी, 2020 में मोरबी जिला कलेक्टर को एक चिट्ठी लिखी गई थी, इससे पता चलता है कि पुल के ठेके को लेकर कंपनी और जिला प्रशासन के बीच एक लड़ाई चल रही थी।
ओरेवा ग्रुप पुल के रखरखाव के लिए एक स्थायी अनुबंध चाहता था। समूह ने कहा था कि जब तक उन्हें स्थायी ठेका नहीं दिया जाता तब तक वे पुल पर अस्थायी मरम्मत का काम ही करते रहेंगे। इसमें यह भी कहा गया है कि ओरेवा फर्म पुल की मरम्मत के लिए सामग्री का ऑर्डर नहीं देगी और वे अपनी मांग पूरी होने के बाद ही पूरा काम करेंगे।
पुल हादसे के बाद मोरबी नगर पालिका ने भी हादसे से पूरी तरह से पल्ला झाड़ लिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नगर पालिका के अधिकारी संदीप सिंह ने बताया कि ओरेवा ग्रुप ने अनुबंध के नियम व शर्तों का उल्लंघन किया है। उसने नगर पालिका को सूचित किए बिना ही पांच महीनों में पुल को खोल दिया था। उनका कहना है कि पुल को लेकर उनकी ओर से कोई सर्टिफिकेट भी जारी नहीं किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को गुजरात में मोरबी की उस जगह पहुंचे जहां पुल हादसे में 135 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। पीएम ने हेलिकॉप्टर से मोरबी में घटनास्थल का निरीक्षण किया। इसके बाद उन्होंने हेलिकॉप्टर से उतरकर उस जगह का जायजा लिया जहां ये भयावह हादसा हुआ था। पीएम मोदी के मौके पर पहुंचने से कुछ देर पहले वहां स्थानीय प्रशासन ने दुर्घटना स्थल पर ओरेवा के बोर्ड को सफेद चादर से ढक दिया।