leopard attack in panipat: उत्तर प्रदेश से सटे हरियाणा के यमुना तलहटी के एक गांव अटौलापुर में साढ़े पांच घंटे तक तेंदुए के दहशत में रहा। तेंदुए को पकड़ने के लिए सौ से अधिक पुलिसकर्मियों, पांच सौ से अधिक ग्रामीणों ने घेराबंदी की। इस दौरान तेंदुए के हमले में रोहतक वन विभाग से पहुंचे सनौली थाने के एसएचओ जगजीत सिंह, डॉ. प्रदीप खासा भी घायल हो गए। आखिर में बंदूक से दो इंजेक्शन तेंदुए को लगाकर बड़ी मशक्कत से काबू किया गया।
रोहतक वन विभाग से आए डॉ. प्रदीप खासा ने तेंदुए को बंदूक से ट्रेंकुलाइज पहला इंजेक्शन शॉट लगाया, लेकिन पहली दफा ये मिस हो गया। इसी दौरान तेंदुए ने उन पर हमला कर दिया। डॉ. प्रदीप को बचाने के लिए सनौली थाना प्रभारी जगजीत सिंह भी मौके पर मौजूद रहे। तेंदुए ने पंजे से उनके चहरे पर वार कर उन्हें घायल कर दिया। इतने में तेंदुआ पीछे हट गया। तभी पुलिस की दो जीपें सामने फंस गईं। घेराबंदी और मजबूत हो गई तो उसी समय इंजेक्शन से भरी दो गोलियां तेंदुए की ओर चलाई गईं और तेंदुए को काबू में कर लिया गया। पुलिस ने रस्सी फेंककर तेंदुए को पकड़ लिया और वन विभाग ने उसे जाल में फंसा लिया। तब जाकर ग्रामीणों की सांस में सांस आई। तेंदुआ के काबू में आने के बाद सनौली थाना के एसएचओ जगजीत सिंह ने खुद की ओर ध्यान दिया तो उनके चेहरे से खून बह रहा था। जगजीत सिंह ने बातचीत में कहा, पहले ग्रामीणों को बचाना जरूरी था, गनीमत रही की तेंदुआ ग्रामीण इलाके में नहीं घुसा।
तेंदुआ पहले ही फायर में काबू में आ जाता क्योंकि तेंदुआ दीवार के सहारे बैठा था। डॉ. प्रदीप बेहद शांति से आगे बढ़े तभी तभी दूर से एक ग्रामीण ने मोबाइल टॉर्च जलाकर उस जगह रोशनी दिखा दी और ग्रामीणों ने हल्ला मचा दिया। इससे तेंदुए को सतर्क होने का मौका मिल गया। उसी दौरान फायर हुआ जो चूक गया। उसी समय तेंदुए ने जो सामने आया उस पर हमला कर दिया। लोगों ने शोर नहीं मचाया होता तो तेंदुआ पहले ही फायर में अचेत हो गया होता।
वन विभाग के एक कर्मचारी के सिर के पास पंजा लगने से ज्यादा खून बह गया‚ जिसके बाद उसे निजी अस्पताल में भरती करवाया गया।