हिमाचल प्रदेश में चुनावी रण का शंखनाद हो चुका। चुनाव आयोग ने चुनाव की घोषणा कर तिथियों का ऐलान कर दिया। इसी के साथ राजनीतिक पार्टियां अब जोरशोर से तैयारियों में जुट गईं हैं। हालांकि प्रमुख दल भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने पहले से ही रैली, सभाएं कर चुनावी वादों से वोटर को लुभाने में जुटे हैं।
भाजपा पीएम मोदी की छवि और अपने कामों के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने में जुटी है तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी फ्री की घोषणों के सहारे चुनावी दांव खेल रहे हैं। इस बार आम आदमी पार्टी के देखादेख कांग्रेस ने भी कई मुफ्त की घोषणाओं समेत बड़े-बड़े वादे किए हैं।
कांग्रेस ने एक महीने पहले ही 10 गारंटी जारी कर दीं। इसमें रोजगार से लेकर शिक्षा और मुफ्त बिजली तक वादे किए गए हैं। भाजपा और आम आदमी पार्टी की प्रदेश में कई बड़ी-बड़ी सभाएं और रैलियां हो चुकीं, लेकिन कांग्रेस इस मामले में अब तक फिसड्डी है। ऐसे में आइए जानते हैं इन वादों के सियासी मायने क्या हैं? इन वादों से कांग्रेस को कितना फायदा हो सकता है? भाजपा और आम आदमी पार्टी ने क्या वादे किए हैं?
पुरानी पेंशन स्कीम होगी बहाल : कांग्रेस का यह सबसे बड़ा दांव है। कांग्रेस ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन स्कीम बहाल कर दी है। इसका वादा मार्च में हुए पांच राज्यों के चुनाव में भी किया गया था। हालांकि, कांग्रेस को इन चुनावों में इसका फायदा नहीं मिला था। हिमाचल प्रदेश की बात करें तो यहां विभिन्न विभागों में करीब सवा लाख सरकारी कर्मचारी हैं।
300 यूनिट बिजली मुफ्त : सबसे पहले दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने 100 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा किया था। अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में ऐतिहासिक जीत भी मिली। अब ये वादा धीरे-धीरे सभी राजनीतिक पार्टियां करने लगीं हैं। भाजपा ने भी यूपी में किसानों को मुफ्त बिजली देने का वादा किया था। कांग्रेस ने हिमाचल में 300 यूनिट बिजली मुफ्त का वादा किया है।
पांच लाख युवाओं को रोजगार : कांग्रेस का ये चुनावी वादा भी काफी बड़ा है। हालांकि, अब चुनावी घोषणा पत्रों से लगभग सभी राजनीतिक दल सरकारी नौकरी का वादा करने से बचने लगे हैं। इन पांच लाख रोजगार में प्राइवेट नौकरियों को भी गिना जाएगा।
महिलाओं को हर माह 1500 रुपये : हिमाचल प्रदेश की कुल अनुमानित जनसंख्या 75 लाख है। इनमें 38 लाख के करीब पुरुष, जबकि 36.9 लाख महिला हैं। कांग्रेस अपने इस वादे के जरिए आधी आबादी का वोट मिलने की उम्मीद कर रही है। उत्तर प्रदेश चुनाव में भी कांग्रेस ने ये वादा किया था, हालांकि वहां इसका कोई खास असर नहीं हुआ।
दो रुपये प्रति किलो में गोबर खरीद : छत्तीसगढ़ से इसकी शुरुआत हुई है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार अभी गाय-भैंस पालकों से दो रुपये प्रति किलो के हिसाब से गोबर खरीद रही है। इस स्कीम के जरिए कांग्रेस हिमाचल के किसानों तक पहुंचने की कोशिश में है।
बागवान तय करेंगे फलों की कीमत : हिमाचल में सेब व अन्य फलों की खेती होती है। ऐसे में कांग्रेस का ये बहुत बड़ा वादा माना जा रहा है। अभी तक सरकार फलों की कीमत तय करती थी। अब कांग्रेस ने वादा किया है कि अगर उनकी सरकार बनती है तो बागवान अपने फलों की कीमत खुद तय कर पाएंगे। इसके जरिए लाखों किसानों को फायदा होगा।
युवाओं के लिए 680 करोड़ का स्टार्टअप फंड : चुनावी गारंटी में 680 करोड़ रुपये का फंड स्टार्टअप के लिए देने का भी एलान किया गया है। इससे ज्यादा से ज्यादा युवाओं को जोड़ने की कोशिश है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार स्टार्टअप को काफी बढ़ावा दे रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस वादे के जरिए कांग्रेस ने मोदी सरकार की इस स्कीम को काउंटर करने की कोशिश कर रही है।
मोबाइल क्लीनिक के जरिए हर गांव में मुफ्त इलाज : पहाड़ी इलाकों में आज भी चिकित्सा सुविधा बड़ी चुनौती है। ऐसे में कांग्रेस ने मोबाइल क्लीनिक के जरिए गांव-गांव और हर घर तक पैठ बनाने का प्लान किया है।
पशुपालकों से हर दिन 10 लीटर दूध की खरीद : किसानों को अपनी ओर खींचने के लिए कांग्रेस का यह वादा भी काफी अहम है। इसके जरिए अगर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो हर पशु पालक से हर दिन 10 लीटर दूध खरीदा जाएगा। हिमाचल में बड़ी संख्या में पशु पालन का काम भी होता है। ऐसे में कांग्रेस इस वादे से फायदा मिलने की उम्मीद कर रही है।
हर विस क्षेत्र में खुलेंगे 4 अंग्रेजी मीडियम स्कूल : दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार स्कूलों के मामले में खुद को मॉडल के तौर पर पेश करती है। केजरीवाल सारकार का दावा है कि उन्होंने दिल्ली में सैकड़ों सरकारी अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोले हैं, जिससे गरीब घरों के बच्चों को फायदा मिल रहा है। अब कांग्रेस ने इसी तरह की योजना को हिमाचल में लागू करने का वादा किया है।
आम आदमी पार्टी ने 8.70 लाख बेरोजगारों को तीन हजार रुपये मासिक भत्ता देने का वादा किया है। इसके अलावा तीन सौ यूनिट बिजली मुफ्त देने का भी वादा किया है। स्कूलों को बेहतर करना, युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना, किसानों के लिए भी आम आदमी पार्टी ने कई वादे किए हैं। अभी इनका आधिकारिक एलान भी होना है।
अभी तक भाजपा की तरफ से कोई भी चुनावी वादे नहीं किए गए हैं। हालांकि, बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अगुआई में पार्टी अपने विकास कार्यों के भरोसे मैदान में उतरेगी। इसके अलावा किसानों, युवाओं और महिलाओं के लिए कुछ बड़े ऐलान भी भाजपा कर सकती है।
हिमाचल प्रदेश में हर 5 साल बाद सरकार बदलने की परंपरा रही है, लेकिन भाजपा इस बार मोदी लहर, कांग्रेस की गुटबाजी और अपने काम के नाम पर मिशन रिपीट के लिए कमर कसे हुए है। भाजपा को लगता है कि वह उत्तराखंड और यूपी की तरह ही हिमाचल में भी सरकार बदलने की परंपरा को तोड़ने में सफल होगी। पीएम नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा जैसे नेताओं के दौरे, कसी हुई स्टेट लीडरशिप और कार्यकर्ताओं की सक्रिय टोली उसके लिए बड़ी ताकत है। लेकिन कांग्रेस को सबक लेना होगा कि वह गुटबाजी बच सके।
वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में चुनाव को लेकर सभी दल मुफ्त की रेवड़ी बांटने का ऐलान कर रहे हैं। इससे राजनीतिक दलों को भले ही फायदा मिल जाए, लेकिन हिमाचल प्रदेश को नुकसान ही उठाना पड़ेगा। अभी हिमाचल प्रदेश पर कुल 67,500 करोड़ रुपये का कर्ज है। इस साल दिसंबर तक ये आंकड़ा 70 हजार करोड़ रुपये को पार हो जाएगा। जो दल जितनी मुफ्त योजनाओं का वादा करेगा, उसकी सरकार आने पर उतनी ही समस्या होगी। उसे पूरा करने के लिए फिर हर महीने 12 से 15 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा।