6 जून 1984 को भारतीय सेना ने ऑपरेशन ब्लूस्टार को अंजाम दिया और स्वर्ण मंदिर को जरनैल सिंह भिंडरावाले के कब्जे से आजाद कराया था।
आखिर कौन था जरनैल सिंह भिंडरावाला, क्या थी ऑपरेशन ब्लू स्टार की वजह,क्यों आज इस ऑपरेशन के 38 साल बाद स्वर्ण मंदिर पर पुलिसजाब्ता मौजूद किया गया है और लग रहे हैं खलिस्तान जिंदाबाद के नारे? इन सभी सवालों का जवाब देंगे इस रिपोर्ट में
ऑपरेशन ब्लूस्टार के होने का कारण था जरनैल सिंह भिंडरावाला, जरनैल सिंह भिंडरावाला जो कि एक सिख प्रचार संस्था का प्रमुख था। बताया जाता है 1947 में जन्मे जनरैल सिंह भिंडरावाले हमेशा सिख पहनावे, कच्छा और ढीले कुर्ते में रहते थे. हथियार के नाम पर उनके पास सिख परंपरा के मुताबिक कृपाण और स्टील का एक तीर होता था।
लेकिन सन 1981 में भिंडरावले समर्थक और निरंकारियों के बीच हिंसा हुई जिसमें 13 भिंडरावाले समर्थक मारे गए। तभी से भिंडरावाले का नाम हिंसक और भड़काऊ भाषणों में आने लगा। बंटवारे के जख्म से उभरा पंजाब एक बार फिर जख्मी होने लगा था।
1981 के बाद जब पंजाब में हिंसक गतिविधियां बढ़ने लगीं तो भिंडरांवाले के खिलाफ लगातार हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप लगने लगे थे।
धीरे धीरे भिंडरावाले ने स्वर्ण मंदिर पर कब्जा जमा लिया था। स्वर्ण मंदिर को आजाद कराने के लिए ऑपरेशन ब्लूस्टार को अंजाम दिया गया था। मेजर जनरल कुलदीप बराड़ ने इस ऑपरेशन को कमांड किया था।
1 जून 1984 को अकाल तख्त को चारों तरफ से घेर लिया गया था। और 4 जून से ऑपरेशन ब्लूस्टार को शुरू कर दिया गया था।
ऑपरेशन ब्लूस्टार के तहत जरनैल सिंह भिंडरावाले को मार दिया गया था लेकिन सिंख चरमपंथियों और पुलिस के बीच ये मुठभेड़ इतनी भयावह थी कि ऑपरेशन में 83 जवान मारे गए थे और 246 जवान घायल हुए थे।
आज ऑपरेशन के 38 साल बाद स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर जरनैल भिंडरावाले के पोस्टर ले जाते हुए लोगों के एक समूह ने खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए थे। लोग सुबह दरबार साहिब के प्रवेश द्वार पर जमा हो गए। जिसको देखते हुए पंजाब के अमृतसर में अधिक मात्रा में पुलिस फोर्स हैं।
ऑपरेशन ब्लू स्टार की 38वीं बरसी को देखते हुए दल खालसा नाम के संगठन ने ऑरपरेशन ब्लू स्टार के खिलाफ जगह जगह पोस्टर भी लगाए हैं। इसी के मद्देनजर सुरक्षा बल के जवानों ने मोर्चा संभाल लिया ताकि अमृतसर की सुरक्षा में कोई सेंध ना लगा सके। पुलिस के मुताबिक अमृतसर की सुरक्षा में करीब सात हजार जवान तैनात किए गए हैं
जिसमें अर्धसैनिक बल की चार कंपनियां भी शामिल हैं. इसके अलावा दरबार साहिब की ओर जाने वाली बाहरी गाड़ियों पर रोक लगा दी गई लेकिन फिर भी कुछ लोग दरबार साहिब के प्रवेश द्वार तक पहुंच गए और खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए।