आरक्षण आंदोलन चलाने के लिए कर्नल बैंसला गुर्जर पूरे देश में प्रसिद्ध हुए थे। कर्नल बैंसला के निधन से गुर्जर समाज में शोक की लहर है।
आरक्षण आंदोलन चलाने के लिए कर्नल बैंसला गुर्जर पूरे देश में प्रसिद्ध हुए थे। कर्नल बैंसला के निधन से गुर्जर समाज में शोक की लहर है। तस्वीर- The Economic Times
Rajasthan

Kirori Singh Bainsla: जानिए कैसे गुर्जर आरक्षण के लिए बैंसला ने प्रदेश की सरकार को हिला कर रख दिया था

Lokendra Singh Sainger

राजस्थान में गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला का 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वे लंबे समय से बीमार थे। हाल ही में उन्होंने गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की कमान अपने बेटे विजय बैंसला को सौंपी थी। किरोड़ी सिंह बैंसला सेना में कर्नल थे।

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का अंतिम संस्कार टोडाभीम के मुंडिया गांव में किया जाएगा। सीएम गहलोत और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया ने बैंसला के निधन पर गहरा दुख जताया है।

सीएम गहलोत ने बैंसला के निधन पर ट्वीट कर लिखा कि ‘कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला जी के निधन का समाचार बेहद दुखद है। गुर्जर आरक्षण आंदोलन के मुखिया के रूप में बैंसला साहब ने MBC वर्ग के आरक्षण के लिए लंबा संघर्ष किया। MBC वर्ग को आज आरक्षण मिल पाया तो अगर किसी एक व्यक्ति को श्रेय जाता है तो वह कर्नल बैसला ही हैं’।

पूर्व सीएम वंसुधरा राजे ने भी बैंसला के निधन पर दु:ख जताते हुए ट्वीट किया ‘गुर्जर नेता, कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला जी के निधन का समाचार सुन अत्यंत दु:ख हुआ। उन्होंने आजीवन समाज की भावनाओं को आवाज दी। उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। मैं ईश्वर से दिवंगत आत्मा को श्रीचरणों में स्थान देने व परिजनों को धैर्य प्रदान करने की कामना करती हूं’।

गुर्जर आंदोलन के दौरान 70 से ज्यादा लोग मारे गए थे

सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद बैंसला ने राजनीति में प्रवेश किया। बैंसला ने भाजपा के टिकट पर टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस के नमोनारायण मीणा से बहुत कम अंतर से चुनाव हार गए। वर्ष 2008 में कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में गुर्जरों को एसटी में शामिल करने की मांग को लेकर गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने आंदोलन कियी जिसमें 70 मौतें हुईं।

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला राजस्थान के गुर्जरों के लिए अलग एमबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत गुर्जरों के लिए सरकारी नौकरियों में 5 प्रतिशत आरक्षण पाने में कामयाब रहे। पहले राजस्थान के गुर्जर ओबीसी में थे, लेकिन बैंसला के दबाव में सरकार को गुर्जरों को एमबीसी में शामिल करना पड़ा।

लोकसभा चुनाव 317 वोटों से हारे

गुर्जर आंदोलन का बड़ा फायदा किरोड़ी सिंह बैंसला को मिला। बैंसला राजस्थान की राजनीति में एक मजबूत नेता के रूप में उभरे। भाजपा ने टोंक-सवाईमाधोपुर लोकसभा सीट से किरोड़ी सिंह बैंसला को टिकट दिया, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी नमोनारायण मीणा से 317 मतों से चुनाव हार गए। इसके बाद कर्नल बैंसला ने कुछ दिनों बाद भाजपा छोड़ दी।

कांग्रेस प्रत्याशी नमोनारायण मीणा से 317 मतों से चुनाव हार गए। इसके बाद कर्नल बैंसला ने कुछ दिनों बाद भाजपा छोड़ दी।एक बार फिर लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला बीजेपी में शामिल हो गए।

एक बार फिर लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला बीजेपी में शामिल हो गए। वर्ष 2008 में राजस्थान में गुर्जर आंदोलन अपने चरम पर था।

राजे मांग को लेकर नहीं हुई राजी तो चली गई थी सरकार

2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को गुर्जर आरक्षण के दौरान काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जरों ने रेल की पटरियां उखाड़ दी थीं। जिससे पूरा उत्तर भारत रेल मार्ग से कट गया। विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था।

गुर्जर आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में गुर्जर समुदाय के 70 से ज्यादा लोग मारे गए थे। वसुंधरा राजे सरकार के जाने के बाद गहलोत सरकार ने गुर्जरों से बातचीत की। काफी दिन तक सचिवालय में बैठकें चलती रहीं। गहलोत सरकार ने गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की मांगों को मान कर गुर्जर समाज को राहत प्रदान की हालांकि, गुर्जर नेताओं का अभी भी कहना है कि कुछ मांगों को अभी पूरा किया जाना बाकी है।

गहलोत सरकार को माननी पड़ी बैंसला की मांगे

गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने एक बार फिर गहलोत सरकार को उसकी मांगें मानने के लिए आंदोलन करने की धमकी दी थी। धमकी के बाद गहलोत सरकार बैकफुट पर आ गई। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की मांगों को मान लिया गया। गहलोत सरकार ने गुर्जर आरक्षण के दौरान मरने वाले 3 लोगों को सरकारी नौकरी और उनके परिवारों को 5 लाख का मुआवजा दिया गया। सरकार ने कहा कि गुर्जर आंदोलन के दौरान 2011 में जो समझौता हुआ था, उसका पालन किया जाएगा।

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