गायों, भैंसों समेत अन्य पालतु पशुओं के लिए जानलेवा बना लंपी वायरस राजस्थान में अब तक हजारों पशुओं की जान ले चुका, लेकिन प्रदेश का पशुपालन विभाग ही अपने गलत आंकड़े प्रस्तुत करके पशुपालकों और राज्य की जनता को गुमराह कर रहा है। पशुओं में फैले इस स्किन रोग को लेकर पशुपालन विभाग प्रदेश के पशुपालकों को अंधेरे में रख रहा है। विभाग अपनी रिपोर्ट में दौसा समेत पूर्वी राजस्थान के जिलों में लंपी स्किन रोग नहीं माना जा रहा है, जबकि राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान, भोपाल की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दौसा में इस बीमारी ने 9 दिन पहले ही कदम रख दिए थे। अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर क्यों पशुपालन विभाग पशुपालकों से झूठ बोल रहा है?
16 अगस्त यानी मंगलवार को जारी पशुपालन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में अब तक चार लाख 51 हजार 186 पशु लंपी स्किन बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं। बीमार पशुओं के साथ ही जिलों की संख्या पर भी गौर कीजिए. इसमें साफ लिखा है कि यह रोग अभी प्रदेश के 24 जिलों में ही फैला है। यहां बड़ी बात यह है कि इस रोग से निजात के लिए अब तक कोई टीका या कारगर दवा ईजाद नहीं की गई है। ऐसे में पशुओं में यह बीमारी अभी किस स्तर तक फैलेगी और कितना पशुधन और जान गंवाएगा, कहा नहीं जा सकता। हां अभी तक के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं।
पशुपालन विभाग ने प्रभावित जिलों के जो नाम लिखे हुए हैं, उनकी कुल संख्या 25 दर्शाई है, लेकिन चूंकि कुचामन सिटी नागौर जिले का हिस्सा है, ऐसे में विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अभी यह रोग 24 जिलों में ही फैला है। चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, अलवर और बांसवाड़ा आदि जिलों में तो 100 से भी कम पशुओं में रोग होने की बात कही गई है। इसके अलावा पूर्वी राजस्थान के ज्यादातर जिलों को इस रोग से मुक्त माना जा रहा है। पशुपालन विभाग के अधिकृत आंकड़े कहते हैं कि भरतपुर, दौसा, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर आदि जिलों में एक भी पशु इस बीमारी से ग्रसित नहीं है, लेकिन वास्तव में पशुपालन विभाग के ये आंकड़े केवल कागजी हैं। क्योंकि हाल ही में जब दौसा की जिला रोग निदान प्रयोगशाला ने 2 जगहों से सैम्पल लेकर जांच के लिए भोपाल भिजवाए, तो इनमें पशुओं में लंपी स्किन रोग की पुष्टि हुई है।
- 8 अगस्त को दौसा से गायों के सैम्पल लिए गए।
- डिस्ट्रिक्ट डिजीज डायग्नोस्टिक लैबोरेट्री ने भांडारेज से सैम्पल एकत्रित किए।
- भांडारेज में पाडला की ढाणी से 1 सैम्पल, पटवारी की ढाणी से 4 सैम्पल लिए गए।
- 8 अगस्त को लिए गए इन सैम्पल की भोपाल में RT-PCR से जांच की गई।
- राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान, भोपाल ने पांचों सैम्पल की जांच में माना लंपी स्किन पॉजिटिव।
- लंपी स्किन पॉजिटिव की 16 अगस्त की यह रिपोर्ट पशुपालन मंत्रालय के सचिव को भेजी गई।
- जबकि पशुपालन विभाग अभी तक दौसा में इस रोग के होने की पुष्टि नहीं कर रहा।
- विभाग द्वारा 16 अगस्त को जारी संक्रमित जिलों की सूची में दौसा का नाम नहीं।
- विभाग 24 जिलों में रोग मान रहा, 9 जिलों के लिए कहा, कोई पशु संक्रमित नहीं।
दौसा समेत प्रदेश में दूसरे जिलों में अभी तक पशुपालक इस बात को लेकर निश्चिंत हैं कि उनके जिले में यह बीमारी नहीं फैली है। ऐसे में पशुपालक बीमारी को लेकर जागरुकता के उपाय भी नहीं कर रहे हैं। ऐसे में पशुपालकों को अंधेरे में रखकर विभाग खुद ही उन्हें इस महामारी की विभीषिका में झोंक रहा है। पशुपालन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अभी तक प्रदेश में करीब साढ़े चार लाख गौवंश इस बीमारी से पीड़ित हैं, जबकि विभागीय सूत्रों की मानें तो वास्तविक आंकड़ा इससे बहुत ज्यादा है। कई जिलों में बीमार पशुओं की संख्या लाख तक भी पहुंच चुकी है।
- श्रीगंगानगर में 62339 पशु बीमार, 3475 की हुई मौत।
- नागौर में 53147 पशु बीमार, 2920 की हुई मौत।
- जोधपुर में 53899 पशु बीमार, 2242 की हुई मौत।
- हनुमानगढ़ में 31392 पशु बीमार, 1882 की हुई मौत।
- बाड़मेर में 56132 पशु बीमार, 1850 की हुई मौत।
- जालौर में 28636 पशु बीमार, 1614 की हुई मौत।
- बीकानेर में 40839 पशु बीमार, 1579 की हुई मौत।
- चूरू में 29254 पशु बीमार, 1129 की हुई मौत।
राजस्थान सरकार गोवंश को बचाने के लिए आयुर्वेद विभाग से सुझाव लेकर देशी ईलाज के गाइडलाइन जारी करेगी। सीए गहलोत ने गाइडलाइंस जारी करने के मुख्य सचिव के निर्देश दिए हैं। सीएम गहलोत ने हाल ही में अपने निवास पर बैठक कर लम्पी स्किन डिजीज की समीक्षा की। सीएम ने प्रदेशवासियों का आह्वान है कि वे सरकार को लिखित में अथवा 181 पर इस रोग से बचाव तथा उपचार के सुझाव दे सकते हैं। कहा, सभी जिलों में कंट्रोल रूम भी स्थापित किए जा चुके हैं। गौशालाओं की साफ-सफाई, सोडियम हाइपोक्लोराइट के छिड़काव, फोगिंग तथा जेसीबी की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए। उन्होंने बताया कि सभी जिला कलक्टर्स को जरूरत पड़ने पर बिना टेंडर दवाईयां खरीदने के आदेश जारी किए जा चुके हैं।