राजस्थान कोयले की कमी के कारण बिजली की कमी का सामना कर रहा है। इसी के चलते केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने राजस्थान को कोयला उपलब्ध कराने की सिफारिश की है, इससे राजस्थान के थर्मल पावर स्टेशनों को कोल लिंकेज पॉलिसी के तहत अगले एक साल के लिए कोयला मिलने का रास्ता साफ हो गया है। राजस्थान सरकार की मांग को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा मंत्रालय ने कोयला मंत्रालय से राजस्थान को 24.4 मिलियन मीट्रिक टन अतिरिक्त कोयला उपलब्ध कराने की सिफारिश की है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद दो बार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से मंजूरी के लिए अनुरोध कर चुके हैं और एक पत्र भी लिख चुके हैं। सोनिया गांधी से भी हस्तक्षेप करने की मांग की गई थी। फिर भी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फाइल आगे नहीं बढ़ाई। मंत्री भंवर सिंह भाटी ने ऊर्जा मंत्रालय की सिफारिश को बड़ी कामयाबी और राज्य के लिए राहत भरी खबर बताया है। उन्होंने कहा कि इससे राज्य के प्रभावित थर्मल पावर स्टेशनों में लगातार बिजली उत्पादन हो सकेगा।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में एक उच्च स्तरीय बैठक में समन्वय बनाकर केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार को कोयला संकट का समाधान निकालने का निर्देश दिया था।एसीएस राजस्थान के ऊर्जा विभाग डॉ. सुबोध अग्रवाल
एसीएस एनर्जी अग्रवाल ने मंत्री भंवर सिंह भाटी के साथ दिल्ली में केंद्रीय मंत्री और सचिव से चर्चा कर राजस्थान का पक्ष रखा। इसके परिणामस्वरूप केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने कोयला मंत्रालय को हर साल राजस्थान को 24.4 मिलियन मीट्रिक टन कोयले की सिफारिश की है। अब कोयला मंत्रालय की आगामी बैठक में राजस्थान को अतिरिक्त कोयला आवंटित किया जाएगा।
मंजूरी के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से देरी
एसीएस अग्रवाल ने स्वीकार किया कि राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की छाबड़ा की 1320 और 500 मेगावाट की इकाइयों, सूरतगढ़ की 1320 मेगावाट की इकाइयों और कालीसिंध बिजली संयंत्र की 1200 मेगावाट की इकाइयों सहित कुल 4340 मेगावाट इकाइयों के लिए कोयला संकट है। राजस्थान सरकार की कैप्टिव खदान परसा ईस्ट और केंटा बेसिन से कोयला आ रहा था। परसा पूर्व और केंटा बेसिन ब्लॉक और परसा कोल ब्लॉक और केंटा एक्सटेंशन कोल ब्लॉक के दूसरे चरण में खनन की मंजूरी के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से देरी हो रही है। इस वजह से यह स्थिति पैदा हुई है।