राजस्थान की गहलोत सरकार के शासन में अपराधी बेखौफ हैं। रेप केसों के मामले में तो राजस्थान दूसरे प्रदेशों से काफी आगे बढ़ चुका है। अब तो सरेआम अपहरण और लव जिहाद जैसे मामले भी सामने आने लगे हैं। ऐसी वारदातों में अपराधी जब मजहब विशेष से तो प्रदेश की कांग्रेस सरकार खामोशी ओढ़ लेती है, जबकि देश में यदि कहीं भी पीड़ित पक्ष यदि मुस्लिम हो तो सोनिया, राहुल गांधी समेत कांग्रेस के तमाम बड़े लीडर धरने, प्रदर्शन करने बैठ जाते हैं और तुष्टीकरण की राजनीति शुरू हो जाती है, जबकि हिंदुओं पर अत्याचार के मामलों में कांग्रेस चुप्पी साध लेती है।
यहां बड़ी बात यह है कि राजस्थान में आपराधिक मामलों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए विपक्षी दल भाजपा का प्रदेश नेतृत्व भी शिवाय बयानबाजी आंदोलन तक नहीं कर पाता। हाल ही में प्रदेश को झकझोरने वाली कई बड़ी वारदातें हुई लेकिन प्रदेश भाजपा के बड़े लीडर गहलोत सरकार को नहीं घेर पाए।
करोली में रामनवमी पर निकले जुलूस पर मजहब विशेष के लोगों ने पथराव कर उत्पात मचाया। आगजनी की, नूपुर शर्मा मामले में कथित टिप्पणी पर उदयपुर में एक हिंदू का सर कलम कर दिया गया और इसके बाद भी अजमेर समेत पूरे राजस्थान में कई हिंसा, हेट स्पीच के मामले सामने आए। जोधपुर, भीलवाड़ा में सांप्रदायिक झगड़े हुए, हिंदुओं के घरों पर पथराव व आगजनी हुई। कई जगह लव जिहाद के मामले सामने आए, जिनमें एक मामल्रा हाल ही में सवाई माधोपुर का है, जहां एक मुस्लिम युवक ने हथियार दिखाकर हिंदू लड़की को अगवा कर ले गया। राजस्थान में रीट पेपर लीक के मामले को भी किरोड़ी मीणा ने जोर-शोर से उठाकर सरकार की धज्जियां उड़ाईं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में गत आठ साल में हिंसा के 3300 से ज्यादा मामले सामने आए, जिनमें 81 मामले सांप्रदायिक हिंसा के हैं।
इस तरह की बड़ी वारदातें होने के बावजूद प्रदेश में सांसद किरोड़ी लाल मीणा के अलावा प्रदेश भाजपा का कोई लीडर सरकार को नहीं घेर पाया। किसी भी मामले में प्रदेश भाजपा कोई बड़ा आंदोलन नहीं कर पाई। सांसद किरोड़ी लाल मीणा ही एक मात्र ऐसे लीडर हैं जो प्राय: हर बड़े मामलों में मौके पर पहुंचे और धरने, प्रदर्शन कर भाजपा की तरफ से आवाज मुखर की, जबकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया न खुद कहीं नजर आए और न ही उनके नेतृत्व में कोई बड़ा आंदोलन किया गया। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि क्या प्रदेश भाजपा नेतृत्व गहलोत सरकार के साथ मिला हुआ है? पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी ऐसे किसी मामले में सक्रीय नजर नहीं आई।
राजस्थान में दो दिन पहले ही लव जिहाद का एक मामला सामने आया। BJP सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने बताया कि मंगलवार को एक मुस्लिम युवक ने बंदूक दिखाकर हिंदू लड़की का अपहरण कर लिया। परिवार ने विरोध किया तो उन्हें जान से मारने की धमकियां दीं। लड़की की मां को धक्का देकर नीचे जमीन पर गिराया और लड़की को जबरन बाइक पर बैठाकर अगुवा कर ले गया। इस घटना से घबराए परिजन महिला पुलिस थाने पहुंचे तो वहां से कोतवाली थाने भेज दिया। कोतवाली पुलिस ने भी मुकदमा दर्ज करने से मना कर दिया। इसके बाद पीड़ित परिवार के लोग एसपी के दफ्तर पहुंचे तो वहां एसपी नहीं मिले। इसका पता चलते ही वे स्वयं सवाई माधोपुर गए और पीड़ित परिवार से मुलाकात की। इसके बाद सांसद मीणा महिला थाने के बाहर धरने पर बैठ गए। इसके चेती पुलिस ने करीब 5 घंटे बाद लड़की को डिटेन कर लिया। इसके बाद सांसद मीणा ने धरना समाप्त किया।
एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान रेप के मामलों में देश में पहले नंबर पर है। राजस्थान में साल 2021 में कुल 6,337 रेप के मामले सामने आए, जो साल 2020 के 5,310 के मुकाबले एक हजार ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक 2020 और 2021 में राजस्थान में सबसे अधिक रेप के मामले सामने आए हैं। रेप केस के मामलों में राजस्थान 2020 से टॉप पर है। प्रदेश में पिछले 28 महीनों (2020 से अप्रैल 2022) तक दुष्कर्म के 13,890 केस दर्ज हुए हैं। इनमें से 11,307 दुष्कर्म नाबालिग लड़कियों से हुए। वहीं दो साल में 12 साल से छोटी उम्र की 170 बच्चियों से दरिंदगी के मामले सामने आए।