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Rajasthan: विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा देश को समर्पित, मोरारी बापू ने किया लोकार्पण, जानें क्या क्या है खास

राजसमंद में विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा का लोकार्पण शनिवार को कथावाचक मुरारी बापू प्रतिमा ने किया। इस दौरान सीएम अशोक गहलोत और योगगुरु बाबा रामदेव भी मौजूद रहे। नाथद्वारा में स्थापित 369 फीट की इस विशाल मूर्ति की बड़ी खासियत यह है कि यह 20 किलोमीटर दूर से ही दिखाई दे जाती है।

Om Prakash Napit

राजस्थान के राजसमंद में विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा ‘विश्वास स्वरूपम्’ का आज लोकार्पण हो गया है। शनिवार शाम कथावाचक मुरारी बापू प्रतिमा ने भगवान शिव की प्रतिमा का लोकार्पण किया। इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और योगगुरु बाबा रामदेव भी मौजूद रहे। 369 फीट की इस विशाल मूर्ति की स्थापना राजस्थान के नाथद्वारा में की गई है। प्रतिमा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह 20 किलोमीटर दूर से ही दिखाई दे जाती है।

29 अक्टूबर से शुरू हुए लोकार्पण समारोह की शुरूआत मोरारी बापू की राम कथा से हुई। विश्वास स्वरूपम् प्रतिमा के लोकार्पण और कथा में शामिल होने के लिए यूएस, फ्रांस, यूके, जर्मनी और आस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों से भी भक्त आए हैं। यहां सभी भक्तों के लिए रहने और खाने की नि:शुल्क व्यवस्था भी की गई है।

गौरतलब है कि श्रीजी की धरा नाथद्वारा-राजसमंद में संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से 29 अक्टूबर से 6 नवंबर तक यह कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने की संभावना भी बन रही है। वह 3 नवम्बर को लोकार्पण कार्यक्रम में आ सकते हैं।

प्रतिमा की ये हैं खासियतें

प्रतिमा को बनाने में 10 साल का समय लगा है। इसे दुनिया की टॉप-5 ऊंची प्रतिमाओं में स्थान मिला है। विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा 369 फ़ीट ऊंची हैं। प्रतिमा के अंदर सबसे ऊपरी हिस्से में जाने के लिए 4 लिफ्ट और तीन सीढ़ियां बनी हैं। प्रतिमा के निर्माण में 10 वर्षों का समय और 3000 टन स्टील और लोहा, 2.5 लाख क्यूबिक टन कंक्रीट और रेत का इस्तेमाल हुआ है। 250 किमी रफ्तार से चलने वाली हवाएं भी मूर्ति को प्रभावित नहीं करेगी। साथ ही बनाने में 50 हजार लोगों का योगदान है।

इसे संत कृपा सनातन संस्थान द्वारा तैयार किया गया है। 51 बीघा की पहाड़ी पर बनी इस प्रतिमा में भगवान शिव ध्यान एवं अल्लड़ की मुद्रा में विराजित है जो 20 किलोमीटर दूर से ही नजर आने लग जाते है। रात्रि में भी यह प्रतिमा स्पष्ट रूप से दिखाई दे, इसके लिए विशेष लाइट्स से इसकी विद्युत सज्जा की गई है।

इस प्रतिमा की डिजाइन का विंड टनल टेस्ट (ऊंचाई पर हवा) ऑस्ट्रेलिया में हुआ है। बरसात और धूप से बचाने के लिए इस पर जिंक की कोटिंग कर कॉपर कलर किया गया, प्रतिमा को तत पदम् संस्थान ने बनवाया है।

पहले यह 251 फीट की बनाई जा रही थी

शिव प्रतिमा बनने की कहानी भी दिलचस्प है। जानकारी के अनुसार, जब साल 2012 में इस प्रतिमा को बनाने का प्लान तैयार हुआ तो इसकी ऊंचाई 251 फीट रखने की योजना बनाई गई। लेकिन बाद में निर्माण के दौरान इसकी ऊंचाई 351 फीट तक पहुंच गई। स्टैच्यू ऑफ बिलीफ’ की कल्पना मिराज ग्रुप, उदयपुर के चेयरमैन श्री मदन पालीवाल ने की थी। इस अवधारणा को आगे स्टूडियो माटुराम आर्ट द्वारा विकसित किया गया था जिसने 351 फीट ऊंची मूर्ति को डिजाइन किया था।

देश की दूसरी सबसे बड़ी बंजी जम्पिंग

प्रतिमा स्थल पर पर्यटकों की सुविधाओं और मनोरंजन के लिये बंजी जम्पिंग का निर्माण किया गया है। यह ऋषिकेश के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी बंजी जम्पिंग होगी। यहां फुटकोर्ट, गेम जोन, जिप लाइन, गो कार्टिंग,एडवेंचर पार्क, जंगल कैफ़े का निर्माण भी किया गया है। फायर सेफ्टी के लिए प्रतिमा में ही बड़ा टैंक बनाया गया है।

सांस्कृतिक संध्या भी बांधेंगी समा

संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से नौ दिवसीय रामकथा के साथ ही चार दिवसीय सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी किया जायेगा। सांस्कृतिक संध्या 2 नवम्बर से प्रारंभ होगी। 2 नवम्बर को गुजराती कलाकार सिद्धार्थ रांधेडिया, 3 नवम्बर को हंसराज रघुवंशी अपनी प्रस्तुति से शिव भाव प्रकट करेंगे। हंसराज रघुवंशी अपनी प्रस्तुति से शिव भाव प्रकट करेंगे।

4 नवम्बर को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा, जिसमें कवि कुमार विश्वास के साथ ही अन्य ख्याति प्राप्त कवि काव्य रस से माहौल को शिव रस से सरोबार करेंगे। सांस्कृतिक संध्या के अंतिम दिन 5 नवम्बर को सिंगर कैलाश खेर स्वर लहरियों से समा बांधेंगे।

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