एक ओर कांग्रेस जहां राहुल गाँधी को स्थापित करने के लिए भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है, दूसरी ओर उनकी पार्टी के अशोक गहलोत की सरकार वाले राजस्थान में सुजस घोटाला हो रहा है।
जी हाँ सुजस घोटाला।
यूँ तो सुजस नाम से सुयश और कीर्ति का आभास होता है लेकिन राजस्थान में इसी अच्छे नाम के पीछे करोड़ों का काला खेल कर दिया गया है।
और ये खेल किसी मंत्री के डिपार्टमेंट में नहीं हुआ बल्कि ये खुद मुख्यमंत्री की देखरेख वाले DIPR यानि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग का घोटाला है।
दरअसल इन दिनों DIPR 5 लाख सुजस नामक पत्रिका छाप रहा है लेकिन आरोप ये हैं की असलियत में 2 लाख के आसपास ही सुजस छपवाई जा रही है बाकी 3 लाख के आसपास सुजस केवल कागज़ों में दिखाई जा रही है । एक सुजस लगभग 30 रूपये की कीमत की है अगर 3 लाख सुजस का मूल्य आंखें तो हर महीने 90 लाख रूपये का घोटाला किया जा रहा है और ये घोटाला कई सालों से जारी है।
मामला कितना गंभीर है इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है की कुछ दिनों पहले एंटी करप्शन ब्यूरो ने इस मामले की जांच की अनुमति मांगी है लेकिन शायद अब तक अनुमति नहीं मिली क्योंकि ये खुद मुख्यमंत्री के डिपार्टमेंट का मामला है।
दरअसल सुजस राजस्थान सरकार की एक सरकारी पत्रिका है जिसको सरकार की योजनाओं और कार्यों को जनता तक पहुंचने के लिए छापा जाता है। इस पत्रिका को छापने का काम DIPR के द्वारा होता है।
अब ये सुजस घोटाला क्या है इसको समझने के लिए पहले DIPR यानि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग को समझना पड़ेगा ।
DIPR राजस्थान सरकार का एक ऐसा डिपार्टमेंट है जो सरकार से सम्बंधित तमाम जानकारियों के मुद्रण, छपाई, प्रचार, प्रसार समेत टेंडर निकालने तक की ज़िम्मेदारी निभाता है ।
यानि ये डिपार्टमेंट मुख्यमंत्री के लिए एक तरह से PR का काम करता है ।
सरकार के लिए कोई एड बनना हो, कोई डॉक्युमनेटरी बनानी हो, अख़बार में एड जाना हो, पत्रिकाएं छापनी हो सारा काम यही देखता है ।
इसे आप ऐसे समझिये की वन विभाग, जलदाय विभाग या बिजली विभाग किसी भी विभाग को अगर कोई डाक्यूमेंट्री बनवानी है, कोई एड बनवाना है या अख़बार में एड देना है तो वो बनाने वाली कम्पनियो से आवदेन मागेगा लेकिन आवदेन वही कम्पनी कर सकती हैं जो DIPR के पैनल में शामिल हों। इसके लिए DIPR साल दो साल में पैनल बनाता रहता है।
यही DIPR राजस्थान सरकार के लिए सुजस नामक एक पत्रिका छापता है जिसमे भयंकर घोटाले की खबरें आ रही हैं।
सिन्स इंडिपेंडेन्स की टीम ने जब इस मामले की पड़ताल की तो कई चौकाने वाली बातें सामने आयी ।
पड़ताल में पता चला की 2018-2019 तक हर महीने 60 हज़ार और उसके बाद लगभग 2 लाख के आसपास ही सुजस छपवाई जा रही थी लेकिन अचानक अक्टूबर 2021 में इसकी संख्या बढाकर एक साथ 5 लाख कर दी गई। तब से अब तक हर महीने लगभग 1 करोड़ रूपये का घोटाला जारी है।
अब सवाल ये है की एक ऊपर जहां भारत सरकार कई साल से डिजिटलाइजेशन के फायदे बताकर मिनिस्ट्री समेत तमाम महकमों में कागज़ खपत काम करने के दावे कर रही है। एक ओर जहां साहित्य की दुकाने सुनी पड़ी है। एक ओर जहां पढ़ने वाले लोग अब किताबों से मोबाईल और ई रीडिंग पर शिफ्ट हो गए हैं। उस दौर में सुजस जिसमे सरकारी योजनओं की प्रशंसा होती है उसको पढ़ कौन रहा है?
इतना ही नहीं सुजस की ई पत्रिका यानि डिजिटल संस्करण भी छपता है तो फिर 5 लाख किताबें आखिर पढ़ कौन रहा है ?
जब हमारी टीम ने इस मामले में जानकारी जुटाई तो पता लगा की अब तक लगभग 12 करोड़ रूपये का घोटाला कोई एक दिन में नहीं हुआ बल्कि इसकी तैयारी सालभर पहले ही कर ली गई थी । जिसके सबूत हम बहुत जल्द आपके सामने रखेंगे। वो कौन लोग हैं जो इस खेल में शामिल हैं, वो कौन डिपार्टमेंट से बाहर के लोग हैं जो फायदा उठा रहे हैं और फायदा पंहुचा रहे हैं ? बहुत जल्दी उन सबके नाम हम उजागर करेंगे ।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो ये है की ये सब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की देखरेख वाले मंत्रालय का मामला है ।
तो क्या ये माना जाये की ये सब अशोक गहलोत जी की अनुमति और सहमति से हो रहा है ?
और अगर ये माना जाये की अशोक गहलोत जी को कुछ नहीं पता तब भी सवाल उनपर ही उठता है की उनके मंत्रालय में घोटाले हो रहे हैं और उनको पता तक नहीं ? वो कैसे मंत्रालय संभालते हैं ? यदि मुख्यमंत्री को कुछ नहीं पता तो मामला और गंभीर है क्योंकि खुद मुख्यमंत्री के अंडर में गृह मंत्रालय समेत 9 महत्वपूर्ण मंत्रालय आते हैं। तो अगर मुख्यमंत्री ऐसे ही काम करते हैं तो अन्य मंत्रालयों का क्या हाल होगा इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
हाल ही राजस्थान में हिन्दू रैलियों पर हुए हमलों और हिन्दू तीज त्योहारों पर सरकार के पक्षपातपूर्ण रवैये को लेकर खूब किरकिरी हुई है।
तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर गंभीर सवाल उठते हैं की उनकी जानकारी के बिना उनके अफसर करोड़ों रूपये का घोटाला उनके ही डिपार्टमेंट में कर रहे हैं या फिर ये घोटाला खुद मुख्यमंत्री की सहमति अनुमति से हो रहा है। खुलासा जल्द होगा अफसरों का भी और अवसरों का लाभ उठाने वाले बाहरी लोगों का भी। बहुत जल्द....