योगी सरकार को SC की फटकार, CAA प्रदर्शनकारियों से वसूले गए करोड़ों रुपये लौटाने के दिए आदेश

 

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार को SC की फटकार, CAA प्रदर्शनकारियों से वसूले गए करोड़ों रुपये लौटाने के दिए आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से नागरिकता संशोधन कानून के विरोधी प्रदर्शनकारियों से वसूले गए करोड़ों रुपये वापस करने को कहा है। दरअसल, योगी सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसने सार्वजनिक और निजी संपत्ति को पहुंचे नुकसान के लिए 2019 में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई और 274 वसूली नोटिस वापस ले लिए हैं।

Ishika Jain

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोधी प्रदर्शनकारियों से वसूले गए करोड़ों रुपये वापस करने को कहा है। दरअसल, योगी सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसने सार्वजनिक और निजी संपत्ति को पहुंचे नुकसान के लिए 2019 में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई और 274 वसूली नोटिस वापस ले लिए हैं। इसके जवाब में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि, राज्य सरकार इस कार्रवाई के तहत कथित प्रदर्शनकारियों से वसूले गए करोड़ों रुपये की पूरी राशि भी वापस करेगी।

यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
योगी सरकार ने दिसंबर 2019 में कथित रूप से सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को जारी मुआवजे के नोटिस पर कार्रवाई की थी। कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 फरवरी को सरकार को फटकार लगाई थी। हालांकि, कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कथित सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ नए कानून के तहत कार्रवाई करने की छूट दी है। बता दें कि, सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नष्ट करने के लिए यूपी सरकार मुआवजा अधिनियम 31 अगस्त 2020 को अधिसूचित किया गया था। उक्त मामले पर अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने तर्क दिया था कि, प्रदर्शनकारियों और राज्य सरकार को धन देने के बजाय, उन्हें दावा न्यायाधिकरण से संपर्क करना चाहिए। लेकिन पीठ ने उनके इस तर्क को भी खारिज कर दिया था।

CAA PROTEST 

अदालत ने यूपी सरकार को दिया अंतिम मौका

मामले पर अदालत ने सरकार को अंतिम मौका दिया कि, वह कार्रवाई वापस लें और चेतावनी दी कि इसकी कार्रवाई कानून के खिलाफ है, इसलिए अदालत इसे रद्द कर देगी। साथ ही कोर्ट ने कहा यह था कि, दिसंबर 2019 में शुरू की गई कार्रवाई उस कानून के खिलाफ है जिसकी व्याख्या सुप्रीम कोर्ट ने की है। अदालत परवेज आरिफ टीटू की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में अनुरोध किया गया था कि, कथित प्रदर्शनकारियों को भेजे गए नोटिस को रद्द किया जाए।

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