उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का विवरण प्रकाशित नहीं करने के लिए पार्टियों के खिलाफ दायर याचिका पर सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। जस्टिस बीआर गवई और पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कहा कि इस मामले में चुनाव आयोग सक्षम प्राधिकारी है और यह चुनाव आयोग का मामला है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में राजनीति में अपराधीकरण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का विवरण मीडिया में प्रकाशित करने का निर्देश दिया था। इस संबंध में न्यायालय में एक याचिका दायर कर आदेश की अवहेलना करने वाली पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता ने बताया कि सभी प्रमुख दलों ने 2018 में आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। शीर्ष अदालत ने वकील ब्रजेश सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें सोनिया गांधी, अरविंद केजरीवाल सहित कई पार्टी नेताओं के खिलाफ कोर्ट की अवमानना पर कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने अगस्त 2021 में राजनीतिक दलों को निर्देश दिया था कि वे आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को टिकट न दें, साथ ही अपने उम्मीदवारों के खिलाफ अपनी वेबसाइटों और मीडिया पर लंबित आपराधिक मामलों का विवरण और उन्हें चुनने के कारणों का विवरण दें।
यह कहा गया था कि इन विवरणों को उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के भीतर या नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से कम से कम दो सप्ताह पहले प्रकाशित किया जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि विवरण फेसबुक और ट्विटर सहित राजनीतिक दलों के आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और स्थानीय स्थानीय भाषा और राष्ट्रीय समाचार पत्र में भी प्रकाशित किया जाना चाहिए।