उत्तर प्रदेश

BJP के Common Civil Code का शिवपाल ने क्यों किया समर्थन, क्या सपा को सबक सिखाने की है प्लानिंग?

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की सभी कार्यकारिणी और प्रकोष्ठ का भंग करना भाजपा में जाने का पहला कदम है। वहीं शिवपाल यादव का दूसरा कदम समान नागरिक संहिता (Common Civil Code) का समर्थन भी अब भाजपा में जाने के दावे को पक्का साबित कर रहा है।

ChandraVeer Singh

Common Civil Code : 2017 में सपा के अखिलेश से अलगाव हुआ तो चाचा शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाई थी, लेकन इनकी पार्टी उस समय यूपी में कुछ खास करामात नहीं कर पाई। इसके बाद 2022 के चुनाव में चाचा भतीजा फिर एक हुए... इस मकसद के साथ कि भाजपा और उसकी योगी सरकार का चुनाव में सफाया कर सत्ता में वापसी करेंगे....। लेकिन चाचा भतीजे का गेम उल्टा हो गया.....। पहली बार प्रदेश में किसी सरकार ने वापसी की। भतीजे ने हार का गुस्सा फिर से चाचा पर निकला....। नतीजा ये हुआ कि अखिलेश ने विपक्ष की बैठक के दौरान न चाचा को पूछा... न ही एमएलसी चुनाव के दौरान चाचा शिवपाल से चर्चा की....।

पार्टी की सभी कार्यकारिणी और प्रकोष्ठ का भंग करना भाजपा में जाने का पहला कदम

अब विधानसभा चुनाव के बाद से ही शिवपाल अप्रत्यक्ष तौर पर अखिलेश के खिलाफ नजर आ रहे हैं। प्रदेश की राजनीति से ये भी खबरें आ रही हैं कि जल्द ही शिवपाल भाजपा की सदस्यता ले सकते हैं। उनका आज अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की सभी कार्यकारिणी और प्रकोष्ठ का भंग करना भाजपा में जाने का पहला कदम माना जा रहा है। वहीं शिवपाल यादव का दूसरा कदम समान नागरिक संहिता (Common Civil Code) का समर्थन भी अब उनका भाजपा में जाने के दावे को पक्का साबित कर रहा है।

शिवपाल भी कॉमन सिविल कोड के समर्थन में कूदे

शिवपाल यादव के भाजपा के साथ जाने के मजबूत होते कायासों के उन्होंने समान नागरिक संहिता को लेकर आंदोलन करने की ठान ली है। गौरतलब है कि कॉमन सिविल कोड का समर्थन शुरू से बीजपी करती आई है, लेकिन अब शिवपाल यादव भी इस मुद्दे में कूद गए हैं। शिवपाल यादव ने साफ कहा है कि वो समान नागरिक संहिता को लेकर बाबा साहब अंबेडकर और लोहिया के सपनों को पूरा करने के लिए आंदोलन करेंगे।

हम भी समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हुए आवाज बुलंद करेंगे... : शिवपाल यादव

शिवपाल यादव ने कहा, “कॉमन सिविल कोड को लेकर अंबेडकरजी ने संविधान सभा में आवाज उठाई थी। वहीं राम मनोहर लोहिया ने भी 1967 में इसकी पुरजोर मांग की थी। इसके लिए अब हम भी समान नागरिक संहिता की का समर्थन करते हुए आवाज बुलंद करेंगे।​ शिवपाल ने कहा कि इसके लिए चाहे हमें आंदोलन ही क्यों न करना पड़े, हम कुछ भी करके लोहिया जी और अंबेडकर जी के जो भी सपने अधूरे थे, उनकी आवाजों को उठाकर, अपने संगठन को मजबूत करते हुए आगे बढ़ेंगे।”

शिवपाल जल्द मिलेंगे बीजेपी हाई कमान से
ये बातें शिवपाल यादव ने अंबेडकर जयंती और राहुल सांकृत्यायन की पुण्यतिथि के दौरान आयोजित एक कार्यक्रम में कहीं थी। इधर शिवपाल यादव की ओर से आए इस बयान पर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नेशनल स्पोक्सपर्सन दीपक मिश्रा ने कहा कि शिवपाल यादव जल्द ही समान नागरिक संहिता को गंभीरता से लागू करने की मांग को लेकर पीएम मोदी, लालकृष्ण आडवाणी और शांता कुमार सिंह से भेंट करने वाले हैं।
पार्टी की सभी कार्यकारिणी और प्रकोष्ठ को भंग किया गया
इधर बीजेपी में पार्टी के विलय के कयासों और पक्का करते हुए शुक्रवार को शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) ने एक कठोर कदम उठाया। दरअसल पार्टी ने अपनी सभी राज्य कार्य समितियों, राष्ट्रीय और राज्य कार्य प्रकोष्ठों और प्रवक्ताओं को भंग कर दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि शिवपाल यादव आने वाले दिनों में बड़े स्तर पर पॉलिटिकल डिसीजन ले सकते हैं।

गौरतलब है कि बीते कुछ समय से शिवपाल और भाजपा के बीच करीबी देखी जा रही हैं। बताया जा रह है कि चुनाव के बाद अखिलेश से चल रहे शीत युद्ध के चलते शिवपाल भाजपा जॉइन करना चाहते हैं, लेकिन इन कयासों पर शिवपाल यादव ने अभी साफ तौर पर कोई बयान नहीं दिया है। वहीं सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने शिवपाल के भाजपा में जाने को लेकर कहा है कि मुझे इस बारे में कोई सूचना नहीं है, लेकिन मैं भाजपा को बधाई देता हूं कि वो परिवारवाद को समाप्त कर रही है।

समान नागरिक संहिता क्या है?

समान नागरिक संहिता यानि कॉमन सिविल कोड के तहत सभी धर्मों के लिए एक ही कानून बताया गया है। अभी देश में विभिन्न धर्मों के लिए अपने अपने कानून हैं। कई विशेषज्ञों के अनुसार धर्म के अपने कानून के कारण कई बार न्याय की स्थिति शून्य रह जाती है। यही कारण है कि देश में भाजपा समेत कई संगठन कॉममन सिविल कोड की वकालत कर रहे हैं। यदि समान नागरिक संहिता लागू होता है तो हिंदू और मुस्लिम समाज के लिए एक ही कानून होगा। इसमें शादी, तलाक और संपत्तियों से जुड़े मामले पर न्याय की व्यवस्था सभी धर्मो के लिए एक जैसी होगी। अभी मुस्लिम समुदाय के लिए पर्सनल लॉ है और ईसाइयों को खुद का पर्सनल लॉ बोर्ड है। समान नागरिक संहिता के प्रभावी होने पर सभी मजहब के लोग एक ही कानून के दायरे में आ जाएंगे।

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