दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक काशी अपनी अनूठी संस्कृति के लिए जाना जाता है। यहां बाबा विश्वनाथ जाति और धर्म से ऊपर हैं। बाबा की कृपा से ही इस नगर का रस सदा बना रहता है। शायद इसीलिए इसे बनारस कहा जाता है। लेकिन ज्ञानवापी मस्जिद भी उसी परिसर में मौजूद है, जहां बाबा विश्वनाथ विराजमान हैं। अयोध्या विवाद सुलझने के बाद उम्मीद की जा रही है कि काशी का समाधान भी कोर्ट से निकलेगा। ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिंदू पक्षों का दावा है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया है। संरचना की दीवारों पर भी देवताओं के चित्र प्रदर्शित हैं इसके अलावा दावा किया जा रहा है कि असली शिवलिंग ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में छिपा है। काशी विश्वनाथ मंदिर को 1664 में औरंगजेब ने नष्ट कर दिया था। फिर मंदिर की भूमि के एक हिस्से पर उसके अवशेषों से एक मस्जिद का निर्माण किया, जिसे ज्ञानवापी मस्जिद के नाम से जाना जाता है।
जिसके बाद कल यानी गुरुवार को ज्ञानवापी मस्जिद में पहले दिन वीडियोग्राफी और सर्वे किया गया है। बाहर आए अंजुमन इनजानिया मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने एडवोकेट कमिश्नर पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
ज्ञानवापी परिसर के पश्चिम की ओर स्थित चबूतरे की वीडियोग्राफी की गई। इसके बाद 5:45 बजे जब एडवोकेट कमिश्नर ने ज्ञानवापी मस्जिद का गेट खोलकर अंदर जाने की कोशिश की तो हमने विरोध किया। कोर्ट का ऐसा कोई आदेश नहीं है कि आप बैरिकेडिंग के अंदर जाकर वीडियोग्राफी करवाएं। लेकिन, एडवोकेट कमिश्नर ने कहा कि उनके पास ऐसा आदेश है। मस्जिद की दीवार उंगली से खुरेच कर देखा हालांकि कोर्ट की ओर से ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया था। इसलिए हम एडवोकेट कमिश्नर से पूरी तरह असंतुष्ट हैं।मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता अभय नाथ यादव
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में प्रतिवादी ने कोर्ट को कमिश्नर बदलने की अर्जी दी है। वाराणसी की ज्ञानवापीमस्जिद के सर्वेक्षण के संबंध में प्रतिवादी ने 7 मई को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में मौजूदा कोर्ट कमिश्नर को हटाने और उनके स्थान पर दूसरे को नियुक्त करने के लिए एक आवेदन दायर किया है।
मामले में वकील कमिश्नर बदलने को लेकर कोर्ट में अगली सुनवाई 9 जून को रखी गई है। प्रतिवादी का सर्वेक्षण करने वाले वकील और आयुक्त को बदलने के लिए शनिवार को मुस्लिम पक्ष अदालत में गया। वहीं, अब आयोग की कार्रवाई अगली सुनवाई तक जारी रहेगी।