<div class="paragraphs"><p>13 टाइगर के पंजे के नाखून और 2 टाइगर कैनाइन को जब्त किया है इसमे तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया।</p></div>

13 टाइगर के पंजे के नाखून और 2 टाइगर कैनाइन को जब्त किया है इसमे तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया।

 

ANI

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बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व : 13 टाइगर के पंजे के नाखून और 2 टाइगर कैनाइन जब्त,फिर चौंका रहे WPSI के आंकड़े,बीते पांच साल में 2021 में बाघों का सबसे ज्यादा शिकार

ChandraVeer Singh

ब्यूरो रिपोर्ट. एमपी के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघ शिकार का एक बड़ा मामला सामने आया है। वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) जबलपुर, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और कटनी वन विभाग की संयुक्त टीम की कार्रवाई में चार आरोपियों को बाघ के नाखून और दांतों के साथ पकड़ा गया है। दरअसल पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो और एमपी वन विभाग की एक संयुक्त टीम ने 8 जनवरी को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पनपथ क्षेत्र से 13 टाइगर के पंजे के नाखून और 2 टाइगर कैनाइन को जब्त किया है इसमे तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

गिरफ्तार आरोपियों में कटनी जिले के छिंदिया टोला बरही निवासी तुकाराम विश्वकर्मा और सिंघनपुरा विजयराघवगढ़ के राजेश पाठक, उमरिया जिले के इंदवार निवासी नकुल सोनी और भरेवा निवासी संतोष कोल शामिल हैं।

बताया जा रहा है कि बाघ शिकार मामले में गिरफ्तार चार आरोपियों में से एक तुलाराम विश्वकर्मा कथित पत्रकार और कांग्रेस पिछड़ा वर्ग का अध्यक्ष है।

फिलहाल गिरफ्तार आरोपितों के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत प्राथमिक वन अपराध मामला संख्या 351/17 दर्ज कर 9,39,52 के तहत आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।

मध्यप्रदेश से आई खबर के बाद आपको ये बीते साल जो टाइगर्स को लेकर आंकड़े सामने आए हैं वो भी चिंताजनक हैं। हैरत की बात ये है कि देशभर में साल 2021 में 42 बाघों का शिकार हो चुका है। ये स्थिति चिंताजनक स्थिति इसलिए है क्योंकि ये बीते पांच सालों में सबसे ज्यादा है।

वाइल्ड लाइफ प्रोटक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया (डब्ल्यूपीएसआई) की रिपोर्ट की मानें तो बीते साल देशभर में अलग-अलग हादसों और शिकार में 132 बाघों की मौत हो चुकी है।

इनमें से बीते साल 42 बाघों का शिकार किया गया। वहीं दिसंबर 2021 तक बाघ के शिकार के केस बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं साल 2020 की बात करें तो देश में 111 बाघों की मौतें हुई थीं, इसमें से 31 बाघों का शिकार किया गया।

2016 में भारत में सबसे ज्यादा 50 बाघों का शिकार किया गया
बीते 10 साल पर गौर करें तो साल 2016 में भारत में सबसे ज्यादा 50 बाघों का शिकार किया गया। इसके बाद चार साल तक बाघों के शिकार के आंकड़ों में कमी आती रही। लेकिन साल 2021 ने बढ़े आंकड़ों से एक बार फिर चिंताजनक स्थिति बना दी है। WPSI के अनुसार बाघों की नेचुरल मौतों में इजाफा होना चिंता का विषय नहीं है, मगर शिकार से टाइगर की संख्या में कमी आना भविष्य में वन्यजीव संरक्षण के लिए गंभीर समस्या है। वहीं ये सरकारी एजेंसियों और बाघ संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं के लिए भी चिंता विषय है।

शिकार हुए बाघों के आंकड़े बढ़ा रहे चिंता

साल - शिकार

2017 - 38

2018 - 34

2019 - 38

2020 - 31

2021 - 42

भारत में इस समय बाघों की संख्या लगभग 2967 है।

1973 में शुरू किया किया था प्रोजेक्ट टाइगर

  • भारतीय सरकार ने बाघों के विलुप्तीकरण से बचाने के लिए 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया किया था।

  • इसमें टाइगर रिजर्व बनाए गए थे। शुरुआत में 1973-74 में नौ टाइगर रिजर्व तैयार किए गए थे। वहीं अब वर्तमान में इनकी संख्या 50 हो गई है।

  • पर्यावरण मंत्रालय की ओर से साल 2005 में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) अस्तित्व में आया भारत में इस समय बाघों की संख्या लगभग 2967 है।

कोरोनाकाल में करंट लगाकर बाघों का किया शिकार
WPSI की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में बाघों का सबसे ज्यादा शिकार मध्य भारत में हुआ। इसमें महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में मामले सबसे ज्यादा आए। रिपोर्ट के अनुसार, सबसे ज्यादा शिकार करंट से हुए। असल में कोरोना के दौर में शिकारियों ने मीट के लिए जंगली सुअर व हिरण का शिकार करने के लिए करंट लगाया, लेकिन इसमें करंट की तारों में बाघों के फंसने से उनकी मौत हुई। ऐसे मामलों में भी शिकार का केस दर्ज किए जाने का प्रावधान है।

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