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Food Crisis In Britain: महंगाई-भुखमरी की मार, पाक के बाद अब ब्रिटेन कंगाल!

Food Crisis In Britain: जहाँ भारत विश्व गुरु बनने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहा है वहीं भारत को 200 सालों तक गुलामी की जंजीरों में बांधे रखने वाले ब्रिटेन कंगाली की राह पर है..

Kuldeep Choudhary

Food Crisis In Britain: पिछले कुछ सालों से महंगाई, भुखमरी जैसे शब्द कुछ देशों की टैग लाइन बन चुके है। जहाँ भारत विश्व गुरु बनने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहा है वहीं भारत को 200 सालों तक गुलामी की जंजीरों में बांधे रखने वाले ब्रिटेन कंगाली की राह पर है।

आतंकवाद को पनाह देने वाला पाकिस्तान आज पूरी दुनिया में कटोरा लेकर भीख मांग रहा है और श्रीलंका को तो चीन ने पहले ही कर्ज में डूबो रखा है।

2022 के आंकड़े बता रहें हैं कि पूरी दुनिया में सबसे अधिक महंगाई अर्जेंटीना में है। दूसरा नंबर तुर्की का है जहां हाल ही में आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी।

तुर्की में महंगाई दर 57.68 फीसदी पर पहुंच गई है। इस लिस्ट में तीसरा देश है रूस, जहां महंगाई दर 11.8 फीसदी पर है। चौथे नबंर इटली और पांचवें नंबर पर ब्रिटेन है।

Food Crisis In Britain

आज ब्रिटेन में महंगाई से हालात इतने बदतर हो गए हैं कि अब आम लोगों के साथ ही टीचर्स, स्वास्थ्यकर्मी और पेंशनधािरयों को भी फूड बैंक पर निर्भर होना पड़ रहा है। दिसंबर 2022 और जनवरी 2023 में लोगों ने सबसे ज्यादा फूड बैंक से मदद मांगी है।

ब्रिटिश रिटेल कंसोर्टियम की लेटेस्ट इंफलेशन रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर माह में सालाना फूड इंफलेशन 10.06 फीसदी तक बढ़ी। फ्रेश फूड यानी तुरंत इस्तेमाल होने वाले खाने की महंगाई में केवल सितंबर के महीने में 12.1% बढ़ोतरी हुई। जबकि इन उत्पदों की सालाना महंगाई दर 13.3% तक रही थी।

फूड फाउंडेशन की रिसर्च के मुताबिक, सितंबर माह तक 40 लाख बच्चे बगैर प्रॉपर खाने के रहने को मजबूर थे।

यूके के डेली न्यूजपेपर को दिए एक इंटरव्यू में लिजा क्लार्क नाम की महिला बताती है कि खाने के दाम बढ़ जाने के कारण वो खुद भूखी रह रही हैं। वो बच्चों के स्कूल से घर आने का इंतजार करती हैं, ताकि बच्चों का छोड़ा हुआ खाना खाकर अपनी भूख मिटा सकें।

Food Crisis

वहीं खाद्य महंगाई दर की बात करें तो सबसे ज्यादा बुरा हाल जिम्बाब्वे का है।

  • जिम्बाब्वे में 340 फीसदी

  • लेबनॉन में 208 फीसदी

  • वेनेजुएला में 109 फीसदी

  • तुर्की में 109 फीसदी

  • अर्जेंटीना में 87 फीसदी

  • श्रीलंका में 86 फीसदी

  • ईरान में 80 फीसदी

  • रवंडा में 41 फीसदी

  • घाना में 38 फीसदी

  • मॉल्डोवा में 34 फीसदी

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