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Terror Funding: क्रिप्टोकरेंसी का टेरर फंडिंग के लिए इस्तेमाल! J&K में एसआईए की छापेमारी में मिले ये सबूत

भारत आतंकी गतिविधियों से बहुत ज्यादा प्रभावित रहा है। कश्मीर में लंबे समय से आतंकी गतिविधियों के कारण हालात समान्य नहीं हो पा रहे हैं। अब वहां आतंक को खाद पानी देने के लिए बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल होने की बातें सामने आ रही हैं।

Om Prakash Napit

क्रिप्टोकरेंसी पर अब बड़े और गंभीर सवाल उठ रहे हैं। क्रिप्टोकरेंसी के तार टेरर फंडिंग से जुड़े रहे हैं, ऐसे में यह दुनिया के लिए कितना खतरनाक है, क्रिप्टोबाजार में निवेश किया गया पैसा कितना सुरक्षित है, यह बड़़ा सवाल है? जम्मू-कश्मीर पुलिस की राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) की ओर से की गई छापेमारी में कई सबूत मिलने से यह सवालों के घेरे में है। गौरतलब है कि एसआईएने बुधवार को बिटकॉइन ट्रेड (Bitcoin Trade) के मामले में कई स्थानों पर छापेमारी की। इस दौरान जांच एजेंसी को डिजिटल उपकरण, सिम कार्ड, मोबाइल फोन और कई जरूरी कागजात बरामद हुए जो टेरर फंडिग में बिटकॉइन के इस्तेमाल ओर इशारा करते हैं। जांच में यह बात सामने आई है कि आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पैसा बिटक्वाइन के रूप में भेजा गया है।

टेरर फंडिंग क्रिप्टोबाजार के लिए खतरे की घंटी

भारत सरकार ने किसी भी तरह की क्रिप्टोकरेंसी लीगल नहीं है। इसके बाद भी लोग बड़े पैमाने पर इसमें निवेश कर रहे हैं। भारत में अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी में कुल निवेश वर्ष 2021 में 15 गुना बढ़कर 438.18 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। टेरर फंडिंग में क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल की खबर आने से एक बाद तो साफ हो गई है कि क्रिप्टोकरेंसी में जो भी पैसा निवेश किया जा रहा है वह सुरक्षित तो कतई नहीं है।

अधिकतर देशों में क्रिप्टो के नियमन के लिए कानून नहीं

दुनिया के अधिकतर देशों में क्रिप्टो को रेग्युलेट करने के लिए कोई कानून भी नहीं है। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) 2020 के दिशानिर्देशों के अनुरुप महज कुछ देशों ने ही क्रिप्टो को रेग्यूलेट करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं ताकि डिजिटल करेंसी या एनएफटी (Non-Fungible Tokens) का इस्तेमाल मनी लॉउंड्रिंग या टेरर फंडिंग के लिए नहीं किया जा सके।

एशियाई देश क्रिप्टो के टेरर कनेक्शन पर बरत रहे लापरवाही

कुछ ऐसे एशियाई देश भी हैं जहां आतंकवाद का इतिहास रहा है और क्रिप्टो के बढ़ते चलन ने इस खतरे को कई गुना और बढ़ा दिया है, पर वे इसके खिलाफ अब तक सतर्क नहीं हुए हैं। ऐसे देशों की लिस्ट में पहला नाम इंडोनेशिया का है जिसने अब तक FATF के गाइडलाइन के अनुसार क्रिप्टो को रेग्यूलेट करने के लिए कानून नहीं बनाए हैं। फिलिपिंस भी मनी लाउंड्रिंग के खिलाफ सख्त कानून लागू नहीं कर पाने की वजह से FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल होने की कगार पर खड़ा है।

बैंक इंडोनेशिया ने जताया था अंदेशा

बैंक इंडोनेशिया का पेमेंट सिस्टम ब्लूप्रिंट 2025 भी इस आशंका पर मुहर लगाता है कि क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल मनी लाउंड्रिंग और आतंकी गतिविधियों में किया जा सकता है। इस ब्लूप्रिंट में कहा गया है क्रिप्टो के माध्यम से लेनदेन को सुरक्षित बनाने के लिए कानून की सख्त जरूरत है। इंडोनेशिया में अभी ऐसे साइबर कानूनों की कमी है।

फिलिपिंस में भी हुआ इस्तेमाल

फिलिपिंस की एंटी मनी लाउंड्रिंग काउंसिल ने Terrorism and Terrorism Financing Risk Assessment 2021 नाम की अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साल 2019 और 2020 के बीच देश में लगभग 1.77 मिलियन फिलिपाइन पेसो का संदिग्ध लेनदेन क्रिप्टो के माध्यम से किया गया। उसके बावजूद देश में आश्चर्यजनक रूप से क्रिप्टो को लीगल टेंडर के रूप में उपयोग करने की छूट है, क्रिप्टो में किए गए निवेश को वहां यूनियन बैंक ऑफ फिलीपींस के एटीएम से नकद के रूप में भी निकालने की सुविधा है।

भारत में भी ठोस कानून की जरूरत

भारत में क्रिप्टो को रेग्युलेट करने के लिए ठोस कानून की कमी है। अब देश की सुरक्षा एजेंसियों को भी टेरर फंडिंग में क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल के सबूत मिलने लगे हैं। दुनिया में क्रिप्टो के बढ़ते प्रचलन के बीच इस बात पर मंथन किए जाने की जरूरत है कि आखिर आतंकी संगठनों के बीच क्रिप्टो के इस्तेमाल का प्रचलन क्यों बढ़ रहा है? आतंकी संगठन सुरक्षा एजेंसियों को झांसा देने के लिए नए-नए तौर-तरीकों की तलाश में लगे रहते हैं। क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल आतंकी ग्रुप्स में इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि इसके माध्यम से किए गए लेनदेन को ट्रेस करना आसान नहीं होता। क्रिप्टो के इस्तेमाल से वे पर्दे के पीछे रख कर अपने नापाक मंसूबों को अंजाम दे पाते हैं। आतंकी संगठन नए आतंकी भर्ती करने, हथियारों का भुगतान करने जैसे कामों में क्रिप्टो का इस्तेमाल करते हैं।

इस्लामिक स्टेट ने शुरू किया क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल का चलन

आतंकियों के बीच टेरर फंडिंग के लिए क्रिप्टो के इस्तेमाल का पहला मामला मई 2020 में सामने आया था। तब Philippine Institute for Peace, Violence and Terrorism Research (PIPTVR) ने दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट की ओर से क्रिप्टोकरेंसी में लेनेदेन करने के मामले का खुलासा किया था। यह सब कुछ फिलिपिंस की सरकार के नाक के नीचे हो रहा था। इस पैसे का इस्तेमाल इस्लामिक स्टेट ने दक्षिणी फिलिपिंस के मिंडानाओ क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए किया था।

आतंकियों के बिटकॉइन कनेक्शन ने बढ़ाई चिंता

आतंकी संगठन अगर अपने हिसाब से क्रिप्टोबाजार को नियंत्रित करने लगे तो क्रिप्टो का यह बुलबुला कभी भी फूट सकता है, इससे क्रिप्टो में निवेश करने वाले एक बड़े वर्ग को झटका लग सकता है। वैसे भी 2022 की शुरुआत से ही दुनियाभर के क्रिप्टोकरेंसी बाजार का हाल बुरा है। वर्तमान में दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन 22,824 अमेरिकी डॉलर (1,821,550.94 रुपये) के लेवल पर कारोबार कर रही है। पिछले एक वर्षों के दौरान में 42 प्रतिशत से अधिक की कमी दर्ज की जा चुकी है।

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