कांग्रेस से '32 साल पुराना' नाता तोड़, RPN सिंह भाजपा की शरण में‚ कहा "देर आए, दुरुस्त आए."

कांग्रेस से करीब '32 साल पुराना' रिश्ता तोड़कर मंगलवार को बीजेपी में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री रतनजीत प्रताप नारायण (RPN) सिंह ने अपने फ़ैसले को लेकर कहा, "देर आए, दुरुस्त आए."।
कांग्रेस से '32 साल पुराना' नाता तोड़, RPN सिंह भाजपा की शरण में‚ कहा "देर आए, दुरुस्त आए."
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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के प्रभारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आरपीएन सिंह का स्वागत करते हुए एक पुरानी मुलाक़ात का ज़िक्र किया और बताया कि उन्होंने आरपीएन सिंह से कहा था, " आप जैसे व्यक्ति को नरेंद्र मोदी जी के साथ होना चाहिए."

कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने मंगलवार को 32 साल पुरानी पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया. दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उन्हें पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई. इस मौके पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया और अनुराग ठाकुर आदी मौजूद रहे. भाजपा को जॉइन करने के बाद आरपीएन सिंह ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद कहा.

आरपीएन सिंह कहते है,
“पीएम मोदी ने काफी कम समय में राष्ट्रनिर्माण का कार्य किया है…यूपी में सीएम योगी ने कानून व्यवस्था में सुधार किया है…काफी लोग मुझे काफी पहले से कह रहे थे कि मुझे बीजेपी में जाना चाहिए. इसपर मैं यह कहना चाहूंगा कि देर आए दुरुस्त आए.”
कांग्रेस पार्टी पर सवाल उठाए
“32 सालों तक मैं एक पार्टी में रहा, वहां मैंने ईमानदारी और लगन से मेहनत की. लेकिन जिस पार्टी में इतने साल रहा, अब वो पार्टी रह नहीं गई, ना उसकी वो सोच रह गई, जहां से मैंने शुरूआत की थी.”
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मंगलवार को इससे पहले आरपीएन सिंह ने तीन दशक बाद कांग्रेस से इस्तीफा दिया. उन्होंने यह फैसला ऐसे समय पर लिया, जब एक दिन पहले कांग्रेस ने चुनाव को लेकर स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की. यूपी चुनाव में पहले यह भी कहा जा रहा है की बीजेपी आरपीएन सिंह को सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या के खिलाफ कुशीनगर की पडरौना विधानसभा सीट से मैदान में उतारने की तैयारी में है.

आरपीएन के खिलाफ एक बात कही जाती है की उन्होने कई बार लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन एक बार ही उन्हे जीत मिली.

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कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने आरपीएन पर कसा तंज

आरपीएन के कांग्रेस को 3 दशक बाद छोड़कर बीजेपी में जाने पर कांग्रेस नेता पी.चिंदबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की ने ट्विटर किया. उन्होंने लिखा,

कार्ति चिदंबरम ने कहा
“यह देखकर निराशा हुई कि आरपीएन सिंह भी जितिन प्रसाद और ज्योतिरादित्य सिंधिया वाली अपमानजनक सूची में शामिल हो गए.”

आपको बता दें की आरपीएन से पहले जितिन प्रसाद और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थाम चुके हैं.

इंडिया टुडे के अनुसार कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी आरपीएन सिंह के भाजपा में जाने पर आरपीएन सिंह को इशारों-इशारों में ‘कायर’ कह दिया है.

सुप्रिया ने कहा,
“जो लड़ाई कांग्रेस पार्टी लड़ रही है, उसके लिए बहादुरी की जरूरत है. ये विचारधारा का युद्ध है. कोई कायर ही ऐसा कर सकता है कि वो पूरी तरह विपरीत विचारधारा से जुड़ जाए.”

वहीं दूसरी और तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी कांग्रेस छोड़ने पर आरपीएन सिंह पर तंज कसा. वे कहती है,

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा
“हेवीवेट या फिर डेडवेट? जिन्होंने दशकों से कोई सीट नहीं जीती है, वे चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो रहे हैं.”

आखिर कौन हैं आरपीएन सिंह?

आरपीएन सिंह उर्फ़ रतनजीत प्रताप नारायण सिंह पिछड़ी जाति सैंथवार-कुर्मी से आते हैं. पूर्वांचल के बारे में कहा जाता है की वहां सैंथवार जाति के लोगों काफी संख्या में है. गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया इस क्षेत्र में खास इलाके हैं. पूर्वांचल क्षेत्र में आरपीएन सिंह अपनी मजबूत पकड़ रखते है. उनके पिता सीपीएन सिंह अपने शासन काल में एक बार विधायक और दो बार सांसद रहे थे, वे 1980 में इंदिरा गांधी सरकार में केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री भी रहे.

तत्कालीन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या को दी थी शिकस्त -

आरपीएन सिंह ने 1999 में पहली बार कुशीनगर से लोकसभा का चुनाव लड़ा, जिसमें वे नंबर 3 पर रहे. 2004 में दूसरे नंबर पर रहे और 2009 के लोकसभा चुनाव में कुशीनगर से राज्य की तत्कालीन बसपा सरकार में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या को शिकस्त देकर संसद पहुंचे. वे UPA-2 की सरकार में भूतल परिवहन व सड़क राजमार्ग राज्यमंत्री, पेट्रोलियम राज्य मंत्री और गृह राज्य मंत्री जैसे पदों पर भी रह चुके है.

2014 में 85,540 वोट से हारे थे आरपीएन सिंह -

2014 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो आरपीएन सिंह को कुशीनगर से भाजपा प्रत्याशी राजेश पाण्डेय ने 85,540 वोटों से हराया था. आरपीएन सिंह ने जितने भी चुनाव लड़े उन सब में हार मिली. केवल एक बार ही वे संसद पहुंच पाए है, लेकिन वे तीन बार यूपी विधानसभा का सफर भी तय कर चुके हैं. कुशीनगर जिले की पडरौना विधानसभा सीट से वे 1996, 2002 और 2007 में कांग्रेस पार्टी से विधायक रह चुके है.

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पडरौना सीट है अपना ही इतिहास -

2017 में पीएम मोदी की लहर से पहले भाजपा को 1991 की राम मंदिर लहर में पडरौना विधानसभा पर जीत मिली थी. इसके बाद 1993 में इस सीट पर सपा के बालेश्वर यादव ने जीत हासिल की. उसके बाद इस सीट पर आरपीएन सिंह का दबदबा कायम हुआ. तब से लेकर 2009 तक वह इस सीट से विधायक रहे. लेकिन 2009 में उनके संसद में जाने के बाद कांग्रेस इस सीट को अपने नाम नहीं कर पाई. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के स्वामी प्रसाद मौर्या को यहां करीब 94 हजार वोट मिले. उन्होने बसपा के जावेद इकबाल को करीब 41 हजार वोटों से हराया. 2017 में कांग्रेस यहां तीसरे नंबर पर रही थी उनके प्रत्याशी को 41 हजार वोट मिले थे.

RPN सिंह पडरौना के रहने वाले हैं, कहा जाता है की उनका यहां दबदबा काफी ज्यादा है, ऐसे में अगर वे पडरौना सीट से चुनाव मैदान में उतरते हैं तो स्वामी प्रसाद मौर्या की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

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