राजस्थान के कारीगरों द्वारा तैयार किया जा रहा रामलला का स्वर्ण मंडित सिंहासन

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य काफी तेजी से चल रहा है। 22 जनवरी को मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। रामलला को संगमर के 8 फीट ऊंचे स्वर्ण मंडित सिंहासन पर विराजमान किया जाएगा। इस सिंहासन को राजस्थान के कारीगरों के द्वारा तैयार किया जा रहा है।
राजस्थान के कारीगरों द्वारा तैयार किया जा रहा रामलला का स्वर्ण मंडित सिंहासन
राजस्थान के कारीगरों द्वारा तैयार किया जा रहा रामलला का स्वर्ण मंडित सिंहासन

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य काफी तेजी से चल रहा है। 22 जनवरी को मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।

रामलला को संगमर के 8 फीट ऊंचे स्वर्ण मंडित सिंहासन पर विराजमान किया जाएगा। इस सिंहासन को राजस्थान के कारीगरों के द्वारा तैयार किया जा रहा है।

सोने और चांदी के वस्तुओं को पिघलाया जाएगा

राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा ने बताया कि आठ फीट ऊंचे और तीन फीट लंबे और चार फीट चौड़े सिंहासन को राम मंदिर में स्थापित किया जाएगा।

ये सिहांसन 15 दिसंबर को अयोध्या पहुंच जाएगा। इस पर लगभग 500 सौ साल पुरानी रामलला की मूर्ति विराजमान की जाएगी।

उन्होंने कहा कि मंदिर के निर्माण के पहले से ही लोगों की तरफ से सोने की वस्तुएं दान की जा रही है, जिसमें सोने की ईट और सिक्के और चांदी से बनी चीजें शामिल है और इसे सुरक्षित रखना काफी मुश्किल है। इसलिए इसे पिघलाकर एक सुरक्षित स्थान पर रखा जाएगा।

मंदिर का भूतल 15 दिसंबर तक होगा तैयार

राम मंदिर का भूतल 15 दिसंबर तक तैयार हो जाएगा। मंदिर के पहले तल का काम भी लगभग 80 फीसदी पूरा हो चुका है। इसी के साथ ही परिक्रमा मार्ग के फर्श का काम भी पूरा हो चुका है।

मंदिर के गृह मंडप के फर्श पर संगमरमर बिछाने का काम चल रहा है। प्रस्तावित मॉडल के अनुसार राम मंदिर दो मंजिला ऊंचा होगा।

जोकि 2.75 लाख घन मीटर भूभाग पर फैला होगा। ये मंदिर 270 फीट लंबा, 140 फीट चौड़ा और 128 फीट ऊंचा होगा। मंदिर की दीवारें लगभग 6 फीट मोटे पत्थरों से बनी होगी।

इसी के साथ ही 330 बीम और दोनों मंजिल पर 106-106, यानी कुल मिलाकर 212 खंभे होंगे। साथ ही मंदिर में पांच दरवाजे होगे।

राजस्थान के पत्थरों का हुआ इस्तेमाल

राम मंदिर के निर्माण में बहुत ही खूबसूरत राजस्थान के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। ये पत्थर बंसी पहाड़पुर का है। जो अपनी मजबूती और सुंदरता के लिए मशहूर है।

इस पत्थर का इस्तेमाल अक्षरधाम, संसद, लालकिला और इस्कान, आगरा का लाल किला, भरतपुर के गंगा मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, जयपुर की विधानसभा भवन सहित विदेशों में अनेक मंदिरों के निर्माण में इस पत्थर का इस्तेमाल किया गया है।

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