
Italy Religious Transformation Bill: इटली सरकार ने मस्जिदों के बाहर नमाज पढ़ने पर बैन लगाने के लिए और बड़ी संख्या में हो रहे धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए एक कानून तैयार किया है जिसको लेकर अब दुनिया भर में विवाद शुरू हो गया है।
इटली मीडिया के मुताविक बिल में, देश के गैराजों, औद्योगिक केन्द्रों, औद्योगिक गोदामों और मस्जिद के बाहर नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा गया है।
इटली सरकार ने मस्जिदों के बाहर नमाज पढ़ने पर बैन लगाने के लिए और बड़ी संख्या में हो रहे धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए एक कानून तैयार किया है जिसकी चर्चा पूरी दुनियाँ में हो रही है।
दुनिया भर के राजनेता इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। एसे में यह देखने लायक है कि राहुल गाँधी के द्वारा अभी तक इस विषय पर कोई भी टिप्पणी नहीं की गयी है।
आपको बता दें कि राहुल गांधी के लिए इटली एक दूसरे घर की तरह है क्योंकि उनकी माता जी और पूर्व काँग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी इटली की रहने वाली हैं, इसलिए इस विषय पर राहुल गाँधी की टिप्पणी का लोगों को बेसब्री से इंतज़ार है ।
ऐसा इस लिए है क्योंकि भारत में मोदी सरकार मुस्लिम समुदाय से सम्बंधित अगर कोईं कानून लाती है तो राहुल गाँधी उस पर सवाल खड़े करते हुए कहते हैं कि दुनियाँ में भारत में सबसे अधिक मुस्लिम लोगों पर आत्याचार होता है।
वह हमेशा भारतीय मुसलमानों को भड़काने का प्रयास करते हुए नजर आते हैं। लेकिन अब देखने लायक होगा कि राहुल गाँधी इटली सरकार के द्वारा लिए गए इस फैसले पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।
सयुक्त राज्य अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में हाल ही में हुए 'मोहब्बत की दुकान' कार्यक्रम में बोलते हुए, राहुल गांधी ने कहा था कि इतिहास में कुछ बिंदुओं पर कई समुदायों ने खतरा महसूस किया है और उन्हें निशाना बनाया गया है।
उन्होंने आगे भाषण देते हुए कहा था कि वर्तनमान समय में भारतीय मुस्लिमों की हालत उसी तरह है जिस तरह 1980 के दशक में दलितों की स्थिति हुआ करती थी। वर्तमान भारत में मुस्लिम समुदाय पर बहुत अत्याचार हो रहे हैं, भारतीय मुसलमानों पर बहुत सारी पाबंदियां लगाई जा रही हैं।
इस भाषण के बाद राहुल गांधी के आलोचकों ने उन्हें तुरंत याद दिलाया कि उनकी दादी इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी ने 1980 से 1989 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था।
इस बिल के तहत इटली की सभी मस्जिदों की जांच की जाएगी और यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि उनकी फंडिंग कहां से होती है। अगर इस बिल को संसद की मंजूरी मिल जाती है तो ये मस्जिदें बंद कर दी जाएंगी, बिल में कहा गया है कि यदि औद्योगिक गोदामों या गैरेजों का उपयोग धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए किया जाता है तो अपराधियों को कठोर दंड दिया जायेगा।