जांच करती FSL टीम

 
अपराध

Alwar Case Update – पुलिस के रिक्रिएशन सीन पर संदेह, कौन है जो इस मामले को दबाना चाहता है ?

अलवर निर्भया मामले पर हर दिन नए मोड़ सामने आ रहे है साथ ही पुलिस द्वारा दी जाने वाली थ्यौरी भी आमजन के गले से नीचे नहीं उतर रही है.

Raunak Pareek

News Follow-up – जैसा हमने आपको कल बताया की पहले वहा FSL और पुलिस टीम घटना को रीक्रिएट करने आती है लेकिन भीड़ और मीड़िया के दागे गए सवालों के कारण वापस चले जाते है लेकिन फिर आधी रात को सीन रीक्रिएट करने टीम वापस आती है. पूरी घटना फिर से दोहराकर वापस चली जाती है.

इस घटना पर हमारे संवाददाता कुनाल भटनागर लगातार आप तक अपड़ेट पहुंचा रहे है. जब हमारे संवाददाता ने पीड़िता की मां और उसके चाचा बात की तो उनकी आंख न्याय की उम्मीद और अन्याय करने वालो के खिलाफ आक्रोश था. वह अपनी बेटी के साथ हुई दरिंदगी को बया भी नहीं कर पा रहे थे.

मां ने बताया
जब पीड़िता की मां घटना के बाद अस्पताल पहुंची को पीड़िता ने रोते हुए कहा मम्मी आ गई.
चाचा ने बताया
मैं 8 दिन अस्पताल में रहा और उसके पास रोज जाता था, लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई कि उसके घाव देख सकूं.

फाइल फोटो

पुलिस अपने बनाए जाल में ही उलझ रही -

मूक बधिर बालिका के मामले में पुलिस खुद ही अपने जाल में उलझती जा रही है. हो सकता है पुलिस अपनी नजरों में इसे सही साबित करने की कोशिश करें लेकिन पुलिस की कोई भी थ्योरी आमजन के गले नहीं उतर रही है. पहले दुष्कर्म का बयान फिर डॉक्टरों की रिपोर्ट के आधार पर अपने बयान से पलटना पुलिस के गले की फांस बन गया है.

फाइल फोटो

घटना स्थल का भी पता नहीं लगा पाई पुलिस -

सबसे बड़ा सवाल राजस्थान पुलिस पर उठ रहा है कि पुलिस अभी तक घटनास्थल का भी पतता नहीं लगा पाई है. इसके अलावा अलवर के डॉग स्क्वायड 50 मीटर तक भी नहीं जा पाए. परंतु सशस्त्र सीमा सुरक्षा बल के 4 डॉग स्क्वायड बाकायदा 300 मीटर दूर एक कॉलोनी में "ईद गिर्द" घूमते रहे। मतलब साफ है जिस कॉलोनी में सशस्त्र सीमा बल के डॉग स्वायड घुमते दिखे वह घटनास्थल इसी कॉलोनी में है.

क्या पुलिस कुछ राज छिपा रही ?

मामले में कोई ऐसा पेंच फंसा हुआ है. जिसे पुलिस ओपन नहीं करना चाहती क्योंकि आगामी समय में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है. प्रदेश में कांग्रेस सरकार है. अगर मामले पर चुनाव से पहले कोई भी ऐसी बात सामने आती है तो प्रदेश कांग्रेस सरकार के शासन पर सवाल उठने शरू हो जाएंगे और सरकार ये कतई नहीं चाहेगी. इस कारण राजस्थान सरकार इसे दुर्घटना का रूप देना चाहती हैं।

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