RTI कार्यकर्ता की मौत

 
अपराध

राजस्थान में RTI एक्टिविस्ट की हत्याओं पर सिस्टम क्यों है मौन ?

राजस्थान सरकार के ऊपर कानून व्यवस्था को लेकर सबसे बड़ा सवाल तो है ही लेकिन अन्याय का हुकमत पर तमाचा भी है। क्रूरूर तरीके से अमराराम के साथ जो सलूक किया गया वह मानवता को शर्मशार करने वाला है

Ranveer tanwar

राजस्थान में अब भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालो को तालिबानी तरीके से सजा दी जा रही है। बाड़मेर के अमराराम आरटीआई एक्टिविस्ट के साथ जो तालिबानी बर्ताव किया गया उसके बाद राजस्थान सरकार के ऊपर कानून व्यवस्था को लेकर सबसे बड़ा सवाल तो है ही लेकिन अन्याय का हुकमत पर तमाचा भी है। क्रूर तरीके से अमराराम के साथ जो सलूक किया गया वह मानवता को शर्मशार करने वाला है। पेरो में किले ठोकना,पीठ पर डंडे सरियो के निशान,तालिबानी जैसा ऐसा सलूक की मानो तालिबान का राज़ राजस्थान में आगया हो। बाड़मेर के अमराराम के साथ इस सलूक के बाद सरकार ने जाँच के आदेश दिए है और मानवाधिकार आयोग ने भी इस मामले पर रिपोर्ट मांगी है।

RTIकार्यकर्ता की मौत

RTI कार्यकर्ता जगदीश गोलियां की पुलिस कस्टडी में मौत : 2019

हम बात करे बाड़मेर के ही एक और मामले की जिस व्यक्ति की 2019 में पुलिस कस्टडी में मौत होगयी थी। यह मामला बाड़मेर के बालटोरा में एक आरटीआई कार्यकर्ता की पुलिस हिरासत में मौत होने का था। कार्यकर्ता की मौत के बाद पूरे थाने को लाइन हाजिर कर दिया गया था। बाड़मेर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) शरद चौधरी ने कहा था कि आरटीआई कार्यकर्ता जगदीश गोलियां जो 40 के आसपास थे उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 151 के तहत सुरक्षात्मक हिरासत में रखा गया था। उनका अपने दो रिश्तेदारों के साथ जमीन विवाद चल रहा था। यह मामला 2019 का है और उस समय ACP शरद चौधरी थे। राजस्थान सरकार का एक्शन उस समय भी लचीला था और आज भी अमराराम की तस्वीर सामने है।

आरटीआई कार्यकर्ता की मौत

इस मामले पर भी कार्यकर्ता अरुणा रॉय, निखिल डे, कविता श्रीवास्ताव और अन्य ने इसे राज्य और स्थानीय अधिकारियों के सामने आवाज उठाई थी। उन्होंने एक बयान में कहा, 'मजिस्ट्रेट जो स्थानीय तहसीलदार थे उन्हें पुलिस ने बताया कि वह मिर्गी के दौरे से पीड़ित हैं। उन्होंने उन्हें अस्पताल भेजने का आदेश दिया जहां उनकी मौत हो गई थी । 2019 में इस मामले में पूरे पुलिस विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े हुए थे। जो पुलिस वाले इस मामले में लिप्त थे उन्हें पुलिस लाइन हाजिर किया गया था।

वही कोटा के एक आरटीआई कार्यकर्ता की सड़क दुर्घटना में 2019 सितम्बर में मौत हुई

भ्रष्टाचार केपिछले 5 सालो से लगातार rti लगाकर बेईमानो के खिलाफ लड़े रहे थे। और सड़क हादसे में उनकी हत्या करवा दी गयी। पुलिस ने परिवार की शिकायत के आधार पर चार से पांच लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी।

सितंबर 2019 में, 27 वर्षीय आरटीआई कार्यकर्ता ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी विकास कार्य तितरवासा ग्राम पंचायत में किया जा रहा था, जिसे मई 2017 में एमपी मॉडल ग्राम योजना के तहत उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने अपनाया था। बाद में भी, उन्होंने स्थानीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों द्वारा भ्रष्ट आचरण के खिलाफ बोलना जारी रखा।

गुर्जर के सिर में गंभीर चोट लगी, जब उनकी मोटरसाइकिल एक ऑटो रिक्शा की चपेट में आगई माधोपुरा गांव.से उसे झालावाड़ जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान देर रात उसकी मौत हो गई।

आरटीआई कार्यकर्ता की मौत

आरटीआई कार्यकर्ता के भाई सुजान सिंह बताते है की “पूरे शरीर पर चोट या खरोंच का कोई निशान नहीं था, लेकिन उसके सिर में गहरा घाव था और दुर्घटना का कोई निशान नहीं था, “उनके सिर में गहरा घाव स्पष्ट रूप से किसी धारदार हथियार से मारा गया प्रतीत होता है,” उन्होंने आरोप लगाया कि उनके भाई पर धारदार हथियार से हमला किया गया था और उनकी हत्या कर दी गई थी क्योंकि वह विभिन्न सरकारी परियोजनाओं में विभिन्न स्तरों पर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने का प्रयास कर रहे थे।

सुजान गुर्जर ने दावा किया, की हत्या को सड़क दुर्घटना के रूप में पेश किया गया था, उन्होंने कहा कि तीतरवासा ग्राम सेवक के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। चंद्र सिंह, ग्राम सरपंच कलूलाल भील, जो भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी है, दिनेश पाटीदार, जो मिट्टी के अवैध परिवहन में शामिल है, और तितरवास गांव निवासी नायपाल सिंह. झालरापाटन थाने के एसएचओ जितेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि चार से पांच लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (कई लोगों द्वारा सामान्य इरादे से किए गए कृत्य) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

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