up election 2022

क्या योगी आदित्यानाथ के चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद अखिलेश भी आए मूड में? ऐसा हुआ तो 18 साल बाद टूटेगी MLC बनकर UP पर सत्तासीन होने की परीपाटी

आखिरी बार मुलायम सिंह यादव ने 2003 में जनता के बीच अपनी लोकप्रियता साबित की थी। अब 2022 के विधानसभा चुनाव में विधान परिषद यानी एमएलसी का सदस्य बनकर सीएम बनने की प्रथा टूटेगी। यह देखना भी दिलचस्प होगा कि क्या सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती क्या वार्कई चुनाव मैदान में उतरेंगे या नहीं।

ChandraVeer Singh

पॉलिटिकल डेस्क. देश के पांच राज्यों में चुनावी माहौल गरमाया हुआ है तो वहीं सियासत के मामले में हर बार की तरह उत्तर प्रदेश हॉट इलेक्शन स्टेट बन गया है। आज जहां सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव ने बीजेपी शामिल हो गई हैं। वहीं दूसरी ओर सपा मुखिया अखिलेश यादव की ओर से भी चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है।

पॉलिटिकल एनालिस्ट अब अखिलेश के चुनाव लड़ने निर्णय को योगी आदित्यनााथ के चुनाव ​लड़ने के निर्णय से जोड़कर देख रहे हैं। बता दें कि योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से विधानसभा चुनाव लड़ने वाले हैं... ऐसे में बीजेपी की पहली सूची में मुख्यमंत्री के उम्मीदवार योगी आदित्यनाथ को चुनाव मैदान में उतारने के ऐलान के साथ ही यूपी चुनाव का 18 साल का रिकॉर्ड भी टूट गया है। वजह ये कि मुलायम सिंह यादव आखिरी बार गुन्नौर सीट से विधानसभा चुनाव लड़कर यूपी के सीएम बने थे।

ऐन वक्त पर योगी को गोरखपुर से मैदान में उतारने के राजनीतिक मायने

योगी आदित्यनाथ ने कुछ दिन पहले ही ट्वीट किया था कि मैं विधानसभा चुनाव लड़ने को तैयार हूं, पार्टी जहां कहेगी वहीं से लड़ूंगा। इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वे अयोध्या से चुनाव लड़ सकते हैं।

क्योंकि राम मंदिर बीजेपी का चुनावी एजेंडे में हमेशा से रहा है... लेकिन पहली सूची का ऐलान करते हुए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सीएम योगी के गोरखपुर सीट से चुनाव लड़ने की बात कही।

इस घोषणा के बाद यूपी के अन्य दल भी सकते में आ गए हैं कि वे चुनाव लड़ें या नहीं। यूपी में कहीं न कहीं मुख्यमंत्री पद के ​उम्मीदवारों को हमेशा चुनाव में जीत का डर सताता रहा है।

राज्यमंत्री मोहसिन रज़ा का अलिखेश पर तंज: अखिलेश मन से चुनाव नहीं लड़ना चाहते बल्कि भरे मन से लड़ सकते हैं

इसी को लेकर यूपी में अल्पसंख्यक मामलात के राज्यमंत्री मोहसिन रज़ा ने अखिलेश के चुनाव लड़ने पर तंज कसा.... बोले कि अखिलेश यादव मन से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं.... बल्कि वो भरे मन से चुनाव लड़ने जा रहे हैं, क्योंकि भाजपा ने सीएम योगी और उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य को चुनाव मैदान में उतारा तो इसे लेकर सपा के सदस्य ने जरूर सपा सुप्रीमों अखिलेश से सवाल किया होगा कि आप क्यों नहीं चुनाव लड़ेंगे?.... ऐसे में नेताजी की अपनी ही पार्टी में नाक पर बन आई होगी....। मोहसिन रजा ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि अखिलेश चुनाव लड़ना पसंद करते हैं क्योंकि मैदान में जाने वाले लोग तो हमेशा मैदान में दिखते हैं.... जबकि अखिलेश तो अपनी पार्टी की विजय यात्रा में वीआईपी कल्चर से लबरेज नजर आते हैं।

मुलायम के लिए जेडीयू के अजी​त कुमार ने छोड़ी थी सुरक्षित ​सीट
2003 में मुलायम सिंह यादव तीसरी बार यूपी के मुख्यमंत्री बने तो उस समय वे मैनपुरी से सांसद थे। सत्ता संभालने के बाद, मुलायम ने जिस सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया वो गुन्नौर थी। तब गुन्नौर के विधायक जदयू के अजीत कुमार यादव राजू थे। 2002 के विधानसभा चुनाव में राजू ने इस सीट से जीत हासिल की थी। अजीत कुमार ने इस सीट को मुलायम के लिए छोड़ने का फैसला किया। मुलायम ने एकतरफा मुकाबले में रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी।

यूपी चुनावी इतिहास के इंटरेस्टिंग फैक्ट्स

  • 1989 तक जो भी नेता मुख्यमंत्री बना वो चुन कर आया।

  • 1989 के बाद से सभी विधान परिषद से आ कर सीएम बनें।

  • मायावती को इस परंपरा को स्थाई करने का श्रेय है।

  • मायावती के बाद मुलायम सिंह भी विधान परिषद से MLC बनकर आए।

  • फिर मायावती, अखिलेश और योगी आदित्यनाथ तीनों MLC बन कर सीएम बने।

  • साल 2000 में राजनाथ सिंह बाराबंकी से उप चुनाव जीतकर आए और सीएम बने।

मैनपुरी, कन्नौज और आजमगढ़ जैसी सुरक्षित सीटों से अखिलेश के चुनाव लड़ने की अटकलें

अखिलेश 2012 से लेकर 2017 तक यूपी के सीएम रहे। उन्होंने यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार चलाई। उस दौरान विधायक बनने के लिए कोई उपचुनाव नहीं लड़ा था। वह एमएलसी बनकर सीएम बने थे। सीएम योगी के विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर अखिलेश ने कहा है कि हमारी पार्टी जहां से चुनाव लड़ने की बात कहेगी, हम वहीं से लड़ेंगे। इसके बाद मैनपुरी, कन्नौज और आजमगढ़ जैसी सुरक्षित सीटों से अखिलेश के चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं।

मायावती का रुख साफ, नहीं लड़ेंगी चुनाव
2022 के चुनाव में विस. चुनाव नहीं लड़ने की बात तो दूर वे तो चुनाव प्रचार और रैलियों में भी कहीं नजर नहीं आईं। भले ही बसपा समर्थक 'बहन जी आने वाली है' हैशटैग के साथ ट्वीट कर रहे हों, लेकिन सतीश मिश्रा ने साफ कर दिया है कि इस बार मायावती विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। मायावती साल 2002 में हरौरा विधानसभा सीट से विधायक भी चुनी गईं थीं। जिसके बाद वह सीएम की कुर्सी पर बैठी थीं।

चुनाव लड़ने पर  प्रिंयका सवाल करने वालों से कहती हैं.... शायद हो सकता है कि चुनाव लड़ूं... जब इस पर पार्टी फैसला करेगी तो आपको पता चल जाएगा....

गांधी परिवार में तो कभी किसी ने नहीं लड़ा विधायकी चुनाव

यहां ये तथ्य भी बताना जरूरी है कि गांधी परिवार के किसी सदस्य ने आज तक यूपी में विधायकी का चुनाव नहीं लड़ा है। ऐसे में इस बार प्रियंका से पूछा जा रहा है कि क्या वे इस बार मैदान में उतरेंगी? प्रिंयका हमेशा लोकसभा में अमेठी और रायबरेली में मां और भाई के लिए चुनाव प्रचार करती दिखीं हैं।

लेकिन इस बार वे यूपी में प्रमुखता से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। 2022 का मेनिफेस्टो जारी किया है। पार्टी की 40 प्रतिश महिलाओं को विस. प्रत्याशी बनाने की बात की, लेकिन चुनाव लड़ने पर वे सवाल करने वालों से कहती हैं.... शायद हो सकता है कि चुनाव लड़ूं... जब इस पर पार्टी फैसला करेगी तो आपको पता चल जाएगा....

ऐसे में आखिरी बार मुलायम सिंह यादव ने 2003 में जनता के बीच अपनी लोकप्रियता साबित की थी। अब 2022 के विधानसभा चुनाव में विधान परिषद यानी एमएलसी का सदस्य बनकर सीएम बनने की प्रथा टूटेगी। यह देखना भी दिलचस्प होगा कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी‚ सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती क्या वार्कई चुनाव मैदान में उतरेंगे या नहीं।

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