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देश के इन राज्यों में बनेंगे मेडिकल डिवाइस पार्क, विश्वस्तरीय मेडिकल इक्विपमेंट अब सस्ते में होंगे उपलब्ध, ये है सरकार का प्लान

Ishika Jain

केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने की दिशा में चार राज्यों में मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित करने को मंजूरी दे दी है। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु शामिल हैं। इनके निर्माण के लिए सरकार की ओर से 400 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अनुसार, पार्क के निर्माण से चिकित्सा उपकरणों के घरेलू निर्माण में वृद्धि होगी और चिकित्सा उपकरणों के आयात पर भारत की निर्भरता भी कम होगी। आपको बता दें, इस समय देश में इस्तेमाल होने वाले 70 फीसदी से ज्यादा मेडिकल इक्विपमेंट का आयात किया जाता है।

राज्यों का चयन कैसे किया गया?

रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अनुसार, 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने केंद्र सरकार की योजना के तहत अपने-अपने राज्यों में पार्क विकसित करने की इच्छा व्यक्त की थी। राज्यों के चयन के लिए कई मापदंड तय किए गए थे। इन्हीं मानकों के आधार पर उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु का चयन किया गया है। इन मानकों में राज्यों द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के साथ-साथ पार्क में स्थापित होने वाली निर्माण इकाइयों को दिए जाने वाले प्रोत्साहन शामिल थे। इनमें उपयोगिता शुल्क, राज्य नीति प्रोत्साहन, पार्क का कुल क्षेत्रफल, भूमि की लीज दर, पार्क की कनेक्टिविटी, व्यापार करने में आसानी रैंकिंग, तकनीकी जनशक्ति की उपलब्धता आदि शामिल थे।

कम कीमत में बनेंगे विश्व स्तरीय उपकरण

मंत्रालय के मुताबिक, ये मेडिकल डिवाइस पार्क सस्ती कीमतों पर कई बीमारियों के इलाज के लिए विश्वस्तरीय उपकरण उपलब्ध कराएंगे। इन पार्कों में इलाज में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों को बनाने के लिए कंपनियों को सभी ढांचागत सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। इससे महंगे उपकरणों के आयात की लागत में कमी आएगी। साथ ही उत्पादन लागत में कमी आने से ये उपकरण कम कीमत पर उपलब्ध होंगे। इससे जहां भी मेडिकल डिवाइस पार्क बनाया जाएगा, वहां मेडिकल क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों का उत्पादन किया जा सकेगा। यह उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है, जिसमें न केवल फार्मा कंपनियां आएंगी, बल्कि अस्पतालों से संबंधित उपकरण बनाने वाली कंपनियां यहां बड़ी संख्या में निवेश करेंगी। निवेश के लिए राज्य सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर विकसितकरके देगी, जिससे निवेशक अपना काम शुरू कर सकेंगे।

एक पार्क के लिए दिए जाएंगे 100 करोड़ रु.

बता दें कि इस योजना के तहत विकसित किए जाने वाले सभी मेडिकल डिवाइस पार्क एक ही स्थान पर सामान्य बुनियादी सुविधाएं प्रदान करेंगे, जिससे देश में चिकित्सा उपकरणों के निर्माण के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होगा। इस योजना पर 400 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। मानक परीक्षण से लेकर अन्य सुविधाएं भी पार्क में शामिल की जाएंगी। एक पार्क के लिए 100 करोड़ दिए जाएंगे, जिसमें से 70 फीसदी कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किया जाएगा। पूर्वोत्तर राज्यों और पहाड़ी राज्यों के मामले में वित्तीय सहायता परियोजना लागत का 90 प्रतिशत होगी।

भारत का चौथा सबसे बड़ा बाजार एशिया में

मंत्रालय के मुताबिक, देश में चिकित्सा उपकरणों का खुदरा बाजार करीब 70,000 करोड़ रुपये का है। हालांकि, घरेलू चिकित्सा उपकरण उद्योग बहुत छोटा है। फिर भी, भारत एशिया में चिकित्सा उपकरणों का चौथा सबसे बड़ा बाजार है। वर्तमान में, अधिकांश चिकित्सा उपकरण देश में आयात किए जाते हैं। चिकित्सा उपकरणों के वैश्विक उद्योग में भारत की हिस्सेदारी लगभग 2 प्रतिशत है। वैश्विक उद्योग का आकार लगभग 250 अरब डॉलर है।

पीएलआई योजना को मिली मंजूरी

दरअसल, फरवरी 2021 में सरकार ने घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए प्रोडक्शन बेस्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के तहत कई मेडिकल डिवाइस निर्माताओं के आवेदनों को मंजूरी दी थी। जिससे उन्हें प्लांट लगाने में मदद मिली। वाणिज्यिक उत्पादन 1 अप्रैल, 2022 से शुरू होने का अनुमान है, जबकि सरकार द्वारा उत्पादन-आधारित प्रोत्साहनों का वितरण पांच वर्षों की अवधि में प्रति आवेदक अधिकतम 121 करोड़ रुपये के अधीन होगा। इन संयंत्रों की स्थापना से देश चिकित्सा उपकरण खंड में काफी हद तक आत्मनिर्भर हो जाएगा।

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