नीति आयोग  
India

नीति आयोग की रिपोर्ट के आकंड़े राजस्थान को लेकर चौंकाने वाले‚ देखें VIDEO

राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक यानि नेशनल मल्टिडाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में लोगों की स्थिति कुछ अच्छी नहीं बताई गई है. आखिर राजस्थान के साथ उत्तर भारत के कई राज्यों और बाकी राज्यों की स्थिति अच्छी नही है.

Raunak Pareek

वैश्विक MPI यानि Multidimensional Poverty Index 2021 के अनुसार, 109 देशों में भारत की रैंक 66वीं है। राष्ट्रीय MPI परियोजना का उद्देश्य वैश्विक MPI रैंकिंग में भारत की स्थिति को सुधारना है।

हाल ही में नीति आयोग की गरीबी सूचकांक यानि एमपीआई रिपोर्ट जारी होने के बाद राजस्थान समेत यूपी, बिहार और झारखंड में हालातों पर सियासत तेज हो गई है। सभी राज्यों के साथ जो राजस्थान के आंकड़े सामने आए वो चौकाने वाले है।

ये भी पढ़ें- मैरिटल रेप पर 2 जजों की विपरीत राय: एक जज ने कहा-पत्नी से जबरन रिलेशन बनाने पर पति सजा का भोगी, दूसरे बोले: ऐसा करना गैर कानूनी

राजस्थान में कुल आबादी के मुकाबले 29.46 फीसदी आबादी को गरीबी रेखा से नीचे में गुजर बसर करना पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार गरीबी में बिहार 51.91% के साथ पहले, झारखंड 42.16 के साथ दूसरे और यूपी 37.79 प्रतिशत के साथ तीसरे नंबर पर है।राजस्थान की स्तिथि भी कुछ खास नहीं हैं।

राजस्थान की स्थिति भी कुछ खास नहीं -

रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान का नंबर देश में 8वां है। अगर हम प्रदेश में जिलों की बात करें तो शहरी क्षेत्र में 11.52% और ग्रामीण क्षेत्र में 35.22% आबादी गरीब है। वहीं उदयपुर में आधी आबादी गरीब है। उदयपुर प्रदेश में 5वें स्थान पर आता है. बाड़मेर 56.13% के साथ गरीबी में राजस्थान में नंबर 1 पर बना हुआ है।

ये भी पढ़ें - NITI AYOG के वाइस चेयरमैन रह चुके राजीव कुमार होंगे CEC, 15 मई को संभालेंगे कार्यभार

जयपुर में यह आंकड़ा 15.48% होने से स्थिति अच्छी है। राज्यों के पिछडने के कई कारण है. एमपीआई हमेशा स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन के स्तर का मूल्यांकन करता है। वही गरीबी की हकीकत जानने के लिए पोषण, बाल-किशोर मृत्यु दर, प्रसव पूर्व देखभाल, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता, पीने के पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते आदि 12 बिंदुओं का भी इसमें आकलन किया गया है।

देश में बिहार राज्य में कुपोषित लोगों की संख्या सबसे अधिक है। इसके बाद झारखंड, मप्र, यूपी और छत्तीसगढ़ का नंबर है। राजस्थान कि बात की जाए तो राजस्थान में 35% आबादी के पास तो घर ही नहीं है।

क्या हैं National Multidimensional Poverty Index -

राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक यानि National Multidimensional Poverty Index की बेसलाइन रिपोर्ट राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 यानि नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे -4 पर आधारित है, जिसे वर्ष 2015-16 में लागू किया गया था। NFHS-4 का उद्देश्य आवास, पेयजल, स्वच्छता, बिजली, खाना पकाने के ईंधन, वित्तीय समावेशन, स्कूल में नामांकन, पोषण, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य आदि में सुधार के उपाय करना है।

साथ ही राष्ट्रीय एमपीआई के मापन हेतु संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम यानि UNDP और ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव यानि OPHI द्वारा बनाए गए विश्व स्तर पर नियमों के आधार पर रिपोर्ट बनाई जाती है।

यह वाकई सोचने की बात है प्रदेश की सरकारें बात करती है हमारे राज में हमे कई चीजे जनता को दी लेकिन जब आयोग का किसी नेशनल फर्म की रिपोर्ट पेश होती है तो सियासी कलह शुरू हो जाती है आखिर क्या कारण है इसका सरकार औऱ सरकार के नुमाइंदो की लापरवाही या जनता में जागरुकता की कमी की कि वह सरकार से सवाल नहीं कर पाती.

UP सरकार की सुप्रीम कोर्ट में अजीबोगरीब दलील, पाकिस्तान की हवा को बताया पॉल्यूशन की वजह

Like and Follow us on :- Twitter | Facebook | Instagram | YouTube

Diabetes से हो सकता है अंधापन, इस बात का रखें ख्याल

बीफ या एनिमल फैट का करते है सेवन, तो सकती है यह गंभीर बीमारियां

Jammu & Kashmir Assembly Elections 2024: कश्मीर में संपन्न हुआ मतदान, 59 प्रतिशत पड़े वोट

Vastu के अनुसार लगाएं शीशा, चमक जाएगी किस्मत

Tiger Parks: भारत के 8 फेमस पार्क,जहां आप कर सकते है टाइगर का दीदार