<div class="paragraphs"><p>संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति</p><p></p></div>

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति

 

फोटो : ANI

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भारत, चीन और रूस की तिकड़ी हो गई अमेरिका के खिलाफ

Kunal Bhatnagar

डेस्क न्यूज. जलवायु परिर्वतन आज पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, लगातार इसको लेकर पूरे विश्व में चिंतन भी जारी है। इसी को लेकर स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो में COP26 जलवायु सम्मेलन का आयोजन किया गया था। दो सप्ताह से ज्यादा चले इस सम्मेलन में गहन वार्ता के बाद करीब 197 से ज्यादा देशों ने ग्लासगो जलवायु समझौते पर अपनी सहमति दी, जिसके बाद कल COP26 जलवायु सम्मेलन समाप्त हो गया है।

आखिर क्यों भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में किया एक प्रस्ताव के खिलाफ मतदान ?

भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक प्रस्ताव के खिलाफ सोमवार को अपना मतदान किया। इस प्रस्ताव में क्या था जिसके कारण भारत ने इसके पक्ष में अपना मत नहीं दिया। इस मसौदे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जलवायु परिवर्तन को वैश्विक सुरक्षा चुनौती से जोड़ने की बात कर रहा था। महत्वपूर्ण बात ये भी है कि इस प्रस्ताव के विरोध में रूस ने भी भारत का साथ दिया, प्रस्ताव के खिलाफ रूस ने अपने वीटो का इस्तेमाल किया। जिसके कारण प्रस्ताव कानून नहीं बन सका, वहीं दूसरी तरफ चीन भी वोटिंग में शामिल नहीं हुआ।

इस संकल्प से हम क्या हासिल कर सकते हैं जो हम UNFCCC यानि यूएन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेंट चेंज की प्रक्रिया से हासिल नहीं कर सकते? UNFCCC में 190 से अधिक देश सदस्य हैं जो हर साल के आखिर में जलवायु परिवर्तन पर दो सप्ताह की कॉन्फ्रेंस करते हैं।
टीएस तिरुमूर्ति (संयुक्त राष्ट्र में भारत का स्थायी प्रतिनिधि)
'भारत की मंशा पर्यावरण सुधार के लिए किसी तरह की कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। पर्यावरण सुधार के मामले में भारत हमेशा सबसे आगे रहता है लेकिन इस विषय पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद सही जगह नहीं है।
टीएस तिरुमूर्ति (संयुक्त राष्ट्र में भारत का स्थायी प्रतिनिधि)

आखिर चीन, भारत और रूस इस पूरे मामले पर एक साथ क्यों आए?

आपको ये भी जानना जरूरी है कि आखिर चीन, भारत और रूस इस पूरे मामले पर एक साथ क्यों आए। प्रस्ताव का विरोध करने वाले देशों का कहना है कि अगर सुरक्षा परिषद जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को अपने अधिकार में रख लेगा तो यूएन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेंट चेंज की प्रक्रिया इससे कमजोर हो जाएगी। साथ ही विकसित देश जलवायु परिवर्तन से जुड़े मामलों में मनमाने ढ़ंग से फैसले लेगें।

भारत ने एक और महत्वपूर्ण प्रस्ताव में बदलाव करवाया

इसी के साथ विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व करते हुए भारत ने एक और महत्वपूर्ण प्रस्ताव में बदलाव करवाया। कोयले के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध और जीवाश्म ईंधन से सब्सिडी हटाने के प्रस्ताव का भारत ने विरोध किया। इस दौरान चीन ने भारत का साथ दिया। जिसके फलस्वरुप कोयले के पूर्ण प्रतिबंध के प्रस्ताव में कोयले के कम उपयोग करने के प्रस्ताव पर सहमति बनी।

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