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इन देशों के पास है दुनिया के सबसे खतरनाक परमाणु बम

परमाणु हथियार ये बहुत शक्तिशाली विस्फोटक या बम है. इनकी ताकत या तो परमाणु के नाभिकीय या न्यूक्लियर कणों को तोड़ने या फिर उन्हें जोड़ने से मिलती है जिसे विज्ञान की भाषा में संलयन या विखंडन कहा जाता है. इसके उपयोग के बाद बड़ी मात्रा में रेडिएशन या विकिरण निलकती है और इसलिए इनका असर धमाके बाद बहुत लंबे समय तक रहता है.

Raunak Pareek

परमाणु हथियार जो विश्व या जहां गिराए जाते है वहां का विनाश कर देते है. भविष्य तक उस जगह पर किसी भी बीज या किसी भी चीज की उत्पति नहीं होती. हालात ऐसे है की हमें आपसे इस बारे में बात करनी पड़ रही है. क्योंकी रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अपनी प्रतिरोधी शक्तियों को स्पेशल अलर्ट पर रहने के आदेश दिए है. आप सोच रहे होंगे की ये स्पेशल शक्यियां क्या है ये है परमाणु हथियार.

आज हम बात आपको विस्तार से बताएंगे की आखिर दुनिया में परमाणु हथियार किस देश के पास है. क्या होते है परमाणु हथियार,अब तक कहां कहां हुआ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल. किस देश के पास कितने है परमाणु हथियार और आखिर क्यों है परमाणु हथियार इन सब पर हम विस्तार से बात करेंगे. सबसे पहले हम बात करेंगे की हम इस मुद्दे पर क्यों कर रहे है बात.

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अपने देश के परमाणु बलों को 'विशेष अलर्ट' पर रखा है

पुतिन ने छेड़ी परमाणु बम पर बहस

आपको तो ये मालुम ही होगा. की इस समय यूक्रेन और रूस में जंग छिड़ी है रूसी राष्ट्रपति पुतिन परमाणु फोर्स को अलर्ट पर रहने के लिए कह दिया है इससे एक नई बहस शरू हो गई है की क्या पुतिन यूक्रेन पर परमाणु हथियार का उपयोग कर सकते है. पुतिन के रक्षा प्रमुख की और से कहा गया है की पश्चिम के आक्रामक बयानों के कारण ऐसा करना जरुरी हो गया है.

हालाँकि, शीत युद्ध के दौर के बाद से परमाणु हथियारों के भंडार में कमी आई है, लेकिन अभी भी दुनिया में सैकड़ों परमाणु हथियार हैं जिन्हें बहुत कम समय के भीतर दाग़ा जा सकता है.

क्या होते है परमाणु बम

परमाणु हथियार ये बहुत शक्तिशाली विस्फोटक या बम है. इनकी ताकत या तो परमाणु के नाभिकीय या न्यूक्लियर कणों को तोड़ने या फिर उन्हें जोड़ने से मिलती है जिसे विज्ञान की भाषा में संलयन या विखंडन कहा जाता है.

इसके उपयोग के बाद बड़ी मात्रा में रेडिएशन या विकिरण निलकती है और इसलिए इनका असर धमाके बाद बहुत लंबे समय तक रहता है. उदाहरण आप हिरोशिमा और नागासाकी है.

क्या परमाणु बम का हुआ है इस्तेमाल

कहा जाता है की दुनिया में अब तक दो बार परमाणु बमों से हमला कर दिया गया है. जिनसे भयंकर नुक़सान हुआ. वर्तमान समय से लगभग 77 साल पहले ये दोनों हमले अमेरिका ने जापान के दो शहरों पर परमाणु बम गिराए.

6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा पर पहली बार कोई परमाणु बम हमला हुआ था.

ये बम 6 अगस्त को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर 9 अगस्त को नागासाकी पर परमाणु बम गिराए थे. ऐसा माना जाता है कि उस बम धमाकों में हिरोशिमा में 80,000 और नागासाकी में 70,000 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी. जिसका असर आज भी वहां देखने को मिलता है.

किन देशों के पास है परमाणु हथियार

दुनिया में अभी तक नौ देशों के पास परमाणु हथियार हैं. ये देश हैं - अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ़्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इसराइल और उत्तर कोरिया.वैसे परमाणु हथियारों कोई भी खुलकर नहीं बनाता.

कितनी संख्या में है परमाणु हथियार

ऐसा समझा जाता है कि परमाणु शक्ति संपन्न देशों की सेना के पास 9,000 से ज़्यादा परमाणु हथियार हैं. स्वीडन स्थित संस्था थिंक टैक 'स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट' (सिप्री) ने पिछले साल अपनी एक रिपोर्ट मे कहा था कि 2020 के शुरुवात में इन नौ देशों के पास लगभग 13,400 परमाणु हथियार थे. जिनमें से 3,720 उनकी सेनाओं के पास तैनात थे.

इनमें से लगभग 1800 हथियार हाई अलर्ट पर रहते हैं यानी उन्हें काफी कम समय में किसी भी दुसरे देश पर दागा जा सकता है. इन हथियारों में अधिकांश अमेरिका और रूस के पास हैं. सिप्री की रिपोर्ट के अनुसार 2020 तक अमेरिका के पास 5,800 और रूस के पास 6,375 परमाणु हथियार थे.
सिप्री की रिपोर्ट

भारत के पास कितनी संख्या है परमाणु बम की

सिप्री की रिपोर्ट के अनुसार परमाणु हथियारों के मामले में भारत के पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान उससे कहीं आगे हैं. रिपोर्ट के अनुसार 2021 तक भारत के पास जहाँ 150 परमाणु हथियार थे, वहीं पाकिस्तान के पास 160 और चीन के पास 320 परमाणु हथियार.

इन्ही 9 देशों के पास क्यों हैं परमाणु हथियार

1970 में 190 देशों के बीच परमाणु हथियारों की संख्या को सीमित करने के लिए एक संधि लागू हुई जिसका नाम है परमाणु अप्रसार संधि या एनपीटी. इसमें अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ़्रांस और चीन भी इसमें शामिल हैं. लेकिन भारत, पाकिस्तान और इसराइल ने इसपर कभी अपने हस्ताक्षर नहीं किया और उत्तर कोरिया 2003 में इस संधि से अलग भी गया. संधि के अनुसार केवल पाँच देशों को परमाणु हथियार संपन्न देश के रुप में माना गया जिन्होंने संधि के अस्तित्व में आने के लिए तय किए गए वर्ष 1967 से पहले ही परमाणु हथियारों का परीक्षण कर लिया था और ये देश थे अमेरिका, रूस, फ़्रांस, ब्रिटेन और चीन.

संधि में कहा गया कि ये देश हमेशा के लिए अपने हथियारों का संग्रह नहीं रख सकते यानी बढ़ते समय के साथ इन्हें इन हथियारों को कम करते जाना होगा. साथ ही इन देशों के अलावा जितने भी देश हैं उन सभी पर परमाणु हथियारों को बनाने पर रोक लगा दी गई.

संधि होने के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और रूस इन तीनों देशों ने अपने हथियारों की संख्या में कटौती की. लेकिन बताया जाता है कि फ़्रांस और इसराइल ने कभी हथियारों की संख्या में कटौती नहीं की. उनके हथियारों की संख्या जस की तस बनी हुई है.

वहीं भारत, पाकिस्तान, चीन और उत्तर कोरिया के बारे में फ़ेडरेशन ऑफ़ अमेरिकन सांइस्टिस्ट्स ने कहा कि ये देश अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाते जा रहे हैं. फिलहाल पुतिन का परमाणु हथियारों को अलर्ट पर रखना सभी देशों को सोचने पर मजबूर करता है. रुस का संदेश साफ है अगर रुस को कोई भी देश रोकने की कोशिश करेगा तो अंजाम बहुत बुरा होगा.

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