रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अपने देश के परमाणु बलों को 'विशेष अलर्ट' पर रखा है

 
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यूक्रेन को लेकर बढ़ते दबाव के बीच क्या पुतिन दबा देंगे न्यूक्लियर बटन ?

कुछ दिन पहले यानि बीते गुरूवार को उन्होने टेलीविज़न पर "विशेष सैन्य अभियान" का एलान किया था, तब उन्होंने एक डराने वाली चेतावनी भी दी थी

Raunak Pareek

दुनिया के लोग मन में पुतिन को लेकर क्या सोचते है?

“वो कभी क्राइमिया पर कब्जा नहीं करेंगे, लेकिन उन्होने किया”

“वो कभी डोनबास में युद्ध नहीं छेड़ेंगे” उन्होने किया

”वो कभी यूक्रेन पर हमला नहीं करेंगे लेकिन उन्होने किया”

लेकिन अब ये सोचना गलत नहीं होगा की पुतिन को लेकर जो लोग सोचते है की वे नहीं करेंगे वो तो वह सभी गलत है.क्योकी उन पर ये नियम लागू नहीं होता है. इसी में अब सवाल खड़ा हो रहा है की क्या वो अब परमाणु हथियार के बटन को दबा देंगे. सवाल सोचने वाला है

पुतिन की डराने वाली चेतावनी

कुछ दिन पहले यानि बीते गुरूवार को उन्होने टेलीविज़न पर "विशेष सैन्य अभियान" का एलान किया था, तब उन्होंने एक डराने वाली चेतावनी भी दी थी.

"बाहरी देश कोई भी अगर हस्तक्षेप की सोचेगा. तो उसे ऐसे परिणाम भुगतने होंगे, जो उसने कभी इतिहास में नहीं देखा होगा."
पुतिन की चेतावनी

दुनिया में कई लोगों का ये मानना है की "पुतिन के शब्द परमाणु हमले की सीधी धमकी की तरह लग रहे थे."

उन्होंने कहा, "उस टेलीविज़न संबोधन में पुतिन सिर्फ़ क्रेमलिन नेता की तरह नहीं बल्कि धरती के मालिक की तौर पर बर्ताव कर रहे थे. जैसे कोई फुटबाल को अपनी अगुंली पर धुमा रहा था. वैसे ही पुतिन परमाणु बटन घुमा रहे थे. उन्होंने अपने संबोधन में कई बार कहा अगर रूस नहीं रहेगा, तो फिर हमें इस ग्रह की क्या आवश्कता? पुतिन को देखकर ऐसा लगता है की पुतिन चाहते है की जैसा बर्ताव वो चाहते है दुनिया वैसा ही बर्ताव उनके साथ करें नहीं तो सबकुछ बर्बाद हो जाएगा.

क्या रूस के बिना दुनिया का है कोई मतलब

अगर कोई रूस का सफ़ाया करने का सोचता है तो हमें जवाब देने का पूरा क़ानूनी अधिकार है. हां, ये मानवता और दुनिया के लिए एक आपदा होगी. मैं रूसी नागरिक हूं और देश का राष्ट्रपति भी. हमें ऐसी दुनिया की ज़रूरत क्यों है जिसमें रूस न हो?"
वर्ष 2018 में आई एक डॉक्यूमेंट्री में राष्ट्रपति पुतिन ने टिप्पणी की थी

बात 2022 की करे तो पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ पूरी क्षमता के साथ जंग छेड़ दी है, लेकिन यूक्रेनी सशस्त्र बल भी इसका भारी विरोध कर रहे हैं. वहीं पश्चिमी देश रूस की अर्थव्यवस्था को पंगु बनाने के लिए एकजुट हो गए है. जिससे पुतिन के सिस्टम का अस्तित्व ख़तरे में आ गया है. मॉस्को में रहने वाले एक रक्षा विशेषज्ञ का मानना है

"पुतिन मुश्किल स्थिति में हैं. उनके पास अब ज़्यादा विकल्प मौजूद नहीं है. एक बार पश्चिमी देश रूस के सेंट्रल बैंक की संपत्तियों को फ़्रीज़ कर देते है तो रूसी वित्तीय प्रणाली चरमरा जाएगी, तो इससे पूरी व्यवस्था बेकार हो जाएगी."

क्या पुतिन के पास है कोई विकल्प?

विशेषज्ञो का मानना है की उनके पास केवल एक ही विकल्प है.

"उनके पास एक विकल्प ये है कि वो यूरोप के लिए गैस की आपूर्ति रोक दें. जिससे यूरोपीय देश झुक सकते हैं. या फिर एक अन्य विकल्प है कि ब्रिटेन और डेनमार्क के बीच नॉर्थ सी में कहीं परमाणु हथियार का उपयोग करें और देखें कि क्या होता है."

अगर रुसी राष्ट्रपति परमाणु वाला विकल्प चुनते हैं तो क्या कोई उनका क़रीबी उन्हें ऐसा करने से रोक सकता है?

इस पर विशेषज्ञों का मानना है, "रूस के राजनेता कभी भी आम जनता का पक्ष नहीं लेते. वे हमेशा शासन का ही पक्ष लेते हैं."

व्लादिमीर पुतिन के रूस में शासक के रूप में सर्वशक्तिमान है. रुस एक ऐसा देश है जहां पुतिन के ख़िलाफ़ खड़े होने वाले न के बराबर हैं. कोई भी पुतिन के सामने खड़े होने के लिए तैयार नहीं है. हम एक ख़तरनाक स्थिति में हैं."

यूक्रेन में छिड़ी जंग केवल व्लादिमीर पुतिन का युद्ध है. अगर क्रेमलिन के नेता अपने सैन्य लक्ष्यों को फिर से हासिल कर लेते हैं तो एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में यूक्रेन का भविष्य संदेह में होगा. वहीं अगर रूस का अभियान असफल होता है और भारी संख्या में उसके सैनिक हताहत होते हैं, तो ये डर है कि इसके बाद क्रेमलिन और अधिक ख़तरनाक क़दम उठाए.

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