BCCI पर खिलाड़ियों के प्रर्दशन को लेकर हमेशा से कुछ न कुछ बयान सामने आते है। लेकिन इस बार बीसीसीआई पर टीम में खिलाड़ियों की जाति पर सवाल खड़े किए जा रहे है। यहां तक कि ट्विटर पर लगातार #Casteist_BCCI ट्रेंड कर रहा है। इंडिया टुडे के पूर्व सह संपादक और पत्रकार प्रोफेसर दिलीप मंडल ने बीसीसीआई पर जातिवादी होने का आरोप लगाया है।
इतने बड़े पत्रकार का बीसीसीआई पर जातिवाद को लेकर बयान देना उनकी मानसिकता को प्रदर्शित करता है। यह समाज में एक जाति का दूसरे जाति के प्रति नफरत फैलाने का काम करता है।
प्रोफेसर दिलीप मंडल ने ट्विटर पर पोस्ट करते हुए लिखा कि, ‘11 में से 7 पुरुष वास्तव में ब्राह्मण हैं!’
‘क्रिकेट में दलितों और आदिवासी हाशिए पर आ गये है और इसे तुच्छ नहीं माना जा सकता है। इसे अजीबोगरीब तर्कों के साथ न्यायोचित ठहराया जा सकता है कि यह एक संयोग है या यह कि कोई 'एक भारतीय' के रूप में खेलता है, न कि किसी जाति और धर्म के प्रतिनिधि के रूप में’।
दलित का संरक्षक समझने वाले दिलीप मंडल ने आगे ट्विट करते हुए लिखा- 'एक ही जाति के 7-7 खिलाड़ी रखते हो और कप वग़ैरह कुछ लाते नहीं हो। सूर्य कुमार यादव को बिना वजह बाहर कर दिया। संजू सैमसन भी बाहर है। बीसीसीआई शर्म करो।'
लगभग ढाई दशक के अपने पेशेवर सफर में ‘जनसत्ता’, ‘अमर उजाला’, ‘इंडिया टुडे’, ‘आज तक’, ‘स्टार न्यूज’, ‘इकॉनोमिक टाइम्स’, ‘सीएनबीसी आवाज’ और ‘द प्रिंट’ समेत कई पत्र-पत्रिकाओं और न्यूज़ चैनलों से जुड़े रहे। ‘इंडिया टुडे’ के प्रबंध सम्पादक भी रहे।
भारतीय जनसंचार संस्थान, दिल्ली और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल में अध्यापन का कार्य भी किया। माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में एडजंक्ट प्रोफेसर थे। ‘दिलीप मंडल की पाठशाला’ इनका चर्चित वीडियो कॉलम है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के इंडिया कॉन्फ्रेंस, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उत्कृष्ट पत्रकारिता और मीडिया लेखन के लिए भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय तथा प्रेस कौंसिल से सम्मानित किए जा चुके हैं।
दिलीप मंडल साल 2021 में मां सरस्वती को लेकर ट्वीटर पर अश्लील टिप्पणी करते हुए लिखा था कि "सरस्वती को मैं शिक्षा की देवी नहीं मानता। उन्होंने न कोई स्कूल खोला, न कोई किताब लिखी। ये दोनों काम माता सावित्रीबाई फुले ने किए। फिर भी मैं सरस्वती के साथ हूँ। ब्रह्मा ने उनका जो यौन उत्पीड़न किया, वह जघन्य है।"