'रूह अफ़ज़ा' को बेचने पर रोक Kuldeep Choudhary
राष्ट्रीय

Amazon ने हिन्दुओं को पिला दी लाखों लीटर पाकिस्तानी रूह अफ़ज़ा, हाई कोर्ट ने लगाई रोक

दिल्ली हाईकोर्ट ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉम अमेजन पर पाकिस्तानी शरबत 'रूह अफ़ज़ा' को बेचने पर रोक लगा दी है..

Kuldeep Choudhary

दिल्ली हाई कोर्ट ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अमेजन पर रूह अफजा (Rooh Afza) के नाम से पाकिस्तानी शरबत को बेचने पर रोक लगा दी है।

अदालत का यह फैसला भारत की हमदर्द कम्पनी (Hamdard National Foundation) की ओर से दायर याचिका पर दिया गया। जिसमें शिकायत की गई कि पाकिस्तान में बने शरबत को रूह अफजा ब्रांड के नाम से बेचा जा रहा है, उसकी बिक्री पर रोक लगाने की मांग की।

जस्टिस प्रतिभा सिंह ने कहा -

अगर किसी अन्य मामले में भी ऐसा पाया गया कि रूह अफजा ब्रांड के तहत कोई शरबत बेचा जा रहा है, तो इसे अमेजन इंडिया के संज्ञान में लाया जाएगा और सूचना प्रोद्यौगिकी नियमों के तहत उस पर भी समान कार्रवाई की जाएगी।

ट्रेडमार्क उल्लंघन का आरोप

हमदर्द नेशनल फाउंडेशन और हमदर्द दवाखाना ने ट्रेडमार्क उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा कि गोल्डन लीफ (Golden Leaf) नाम की एक कंपनी अमेजन इंडिया पर रूह अफजा ब्रांड के तहत शरबत बेच रही है, जबकि ये उत्पाद हमदर्द के नही हैं।

उनके ब्रांड के नाम से बेचे जाने वाला यह शरबत पाकिस्तान में बना रहा है जो लीगल मीटरोलॉजी एक्ट और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट के अनुरूप नहीं है।

बता दें कि रूह अफजा हमदर्द कंपनी का ब्रांड है जो 1907 से रूह अफजा ब्रांड के तहत शरबत बेच रही है। कंपनी इस ब्रांड के तहत हर साल 200 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करती है।

साथ ही बता दें की रूह अफ़ज़ा एक 'हलाल सर्टिफाइड' प्रोडक्ट है...

क्या है ये हलाल ?

हलाल एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है 'जायज'। मोटे तौर पर हलाल शब्द को नॉनवेज खानों से जोड़ा जाता है, जो पूरी तरह सत्य नहीं है। माना जाता है की जो 'हलाल' नहीं है उसका इस्तेमाल इस्लाम में 'नाजायज' है।

अगर बाजार की भाषा में समझें तो 'हलाल' का मतलब वह प्रोडक्ट है, जो शरिया कानून के मुताबिक है यानि जो प्रोडक्ट इस्लामी कानूनों के तहत उपयोग के योग्य है, केवल वही हलाल है और जो प्रोडक्ट 'हलाल' नियमों के तहत तैयार नहीं है, उसका इस्तेमाल गैर-इस्लामिक माना जाता है।

इसलिए मुसलमानों को ऐसा प्रोडक्ट चाइये होता है जो ये पुष्टि कर सके की वह आइटम हलाल हो इसके लिए मजहबी नुमाइंदो ने भारत में कई दुकाने खोल रखी है जो 'हलाल सर्टिफाइड' स्टैंपिंग के लिए मोटी रकम वसूलते हैं।

इनमे हलाला इण्डिया जैसे संगठनों की एक मुहर उन्हें इस बात के लिए निश्चिंत कर देती है कि संबंधित प्रोडक्ट का उत्पादन शरिया कानूनों के तहत किया गया है और उसमें ऐसी कोई भी चीज की मिलावट नहीं है, जो खाना इस्लाम में वर्जित है।

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