रामनवमी पर हिंदुओं की ओर से निकाले जुलूस के दौरान हुई हिंसा के मामलों को लेकर मुस्लिम समुदाय के 16 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस मुलाकात का उद्देश्य मुस्लिम समाज और केंद्र सरकार के बीच भ्रम दूर करने की बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है।
मंगलवार यानि 4 अप्रैल देर रात मुस्लिम जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री से मुलाकात की।
सूत्रों के अनुसार, गृहमंत्री से की गई इस मुलाकात में विभिन्न राज्यों के मुस्लिम धार्मिक गुरु और बुद्धिजीवी शामिल हुए थे। यह बैठक गृहमंत्री के आवास पर करीब डेढ़ घंटे तक चली।
इस बातचीत में मौजूदा वक्त में रामनवमी जुलूस के दौरान देश के कई हिस्सों में हुई हिंसा, हरियाणा समेत अन्य राज्यों में मॉब लांचिंग की घटनाएं और कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण खत्म करने जैसे मामले उठाए गए।
जमीयत के शीर्ष पदाधिकारियों ने बताया कि इस मुलाकात के दौरान 14 बिंदुओ पर बातचीत हुई है। सरकार की ओर से कई मुद्दों पर मुस्लिम समाज का भ्रम दूर किया गया है तो कई मुद्दों पर अमित शाह ने कार्रवाई का भरोसा दिया है।
इसी तरह समान नागरिक संहिता, नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), सेम जेंडर मैरिज समेत अन्य मामले भी उठे। इनमें कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटाने का मामला भी उठाया गया। इस दौरान तय हुआ कि नागरिकता संशोधन कानून पर आगे विस्तार से बैठक की जाएगी।
केंद्रीय मंत्री गृहमंत्री अमित शाह ने कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण को लेकर मुस्लिम समाज के भ्रम को दूर किया। साथ ही मदरसों में आधुनिक शिक्षा पर जोर दिया। इसी तरह मॉब लांचिंग के मामलों पर भरोसा देते हुए कहा कि अगर कहीं किसी राज्य में कार्रवाई में कमी की शिकायत है तो उन मामलों की सूची सौंपे। ऐसे मामलों की जांच कर कार्रवाई होगी।