सुप्रीम कोर्ट ने ED के अधिकारों को रखा बरकरार  
राष्ट्रीय

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसलाः ED को PMLA के तहत गिरफ्तारी और संपत्ति जब्त करने के अधिकार, विपक्ष पर संकट बरकरार

सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के अधिकारों पर सवाल उठाने वाली 242 याचिकाओं पर फैसला सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने ईडी के गिरफ्तारी और संपत्ति जब्त करने के अधिकारों को बरकरार रखते हुए अधिकारों को संवैधानिक बताया है।

Ravesh Gupta

ED की कार्रवाई से परेशान चल रहे विपक्ष को एक और बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के विभिन्न प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर की गई थी, जिन पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है।

सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए प्रवर्तन निदेशालय को मिले गिरफ्तारी के अधिकार को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तारी ईडी की मनमानी नहीं बल्कि जांच एजेंसी का संवैधानिक अधिकार बताया है।

जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के उन प्रावधानों की वैधता को कायम रखा है, जिनके खिलाफ आपत्तियां लगाई गई थीं।

अनिल देशमुख, महबूबा मुफ्ती समेत 242 लोगों ने दायर की याचिका

महबूबा मुफ्ती ने दायर की थी याचिका

बता दें कि देशभर में 242 याचिकाओं को जरिए PMLA के तहत ED की गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी।

ये याचिकाएं पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम, महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सहित 242 लोगों ने दायर की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई कर ईडी के अधिकारों को बरकरार रखा है।

याचिका मे PMLA को कहा गया था असंवैधानिक

बता दें कि इस PMLA कानून के तहत गिरफ्तारी, जमानत देने, संपत्ति जब्त करने का अधिकार CrPC के दायरे से बाहर है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में PMLA एक्ट को असंवैधानिक बताते हुए कहा गया था कि इसके CrPC में किसी संज्ञेय अपराध की जांच और ट्रायल के बारे में दी गई प्रक्रिया का पालन नहीं होता है।

लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने PMLA एक्ट के तहत ईडी के अधिकार को बरकार रखा है।

ये रहा सुप्रीम कोर्ट का फैसला

  1. आदेश के अनुसार, ED का गिरफ्तारी का अधिकार, सीज करने का अधिकार, संपत्ति अटैच करना, रेड डालना और बयान लेने के अधिकार बरकरार रखे गए हैं।

  2. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिकायत ECIR को FIR के बराबर नहीं माना जा सकता है। ये ED का इंटरनल डॉक्यूमेंट है।

  3. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ECIR रिपोर्ट आरोपी को देना जरूरी नहीं है। गिरफ्तारी के दौरान केवल कारण बता देना ही काफी है।

17 साल में 3000 केस, दोषी सिर्फ 23

बता दें कि फिलहाल ED के पास देशभर में 3000 केस जांच के लिए दर्ज हैं। केंद्र ने सोमवार को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि PMLA 17 साल पहले लागू हुआ था। तब से इसके तहत 5,422 मामले दर्ज किए गए। महज 23 लोगों को ही दोषी ठहराए गए हैं। ईडी ने अब तक एक लाख करोड़ से ज्यादा की संपत्ति अटैच की है और 992 मामलों में चार्जशीट दायर की है।

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