बंगाल सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी पर कार्रवाई करते हुए मंत्री पद से मुक्त कर दिया है। पश्चिम बंगाल से जुड़े शिक्षक भर्ती घोटाले में उनका नाम आने के बाद उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया है। पार्थ चटर्जी इस समय उद्योग मंत्री थे। जब वह शिक्षा मंत्री थे तब उन्हें इस घोटाले के लिए गिरफ्तार किया गया था।
बंगाल के मुख्य सचिव की ओर से जारी आदेश के अनुसार पार्थ चटर्जी को उद्योग मंत्री पद के साथ-साथ अन्य पदों से भी हटा दिया गया है। इसमें उन्हें सूचना एवं प्रसारण विभाग, संसदीय मामलों से संबंधित विभाग आदि से भी छुट्टी दे दी गई है।
शिक्षक भर्ती घोटाले में ईडी ने पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार किया है। अर्पिता मुखर्जी के पकड़े जाने के बाद पार्थ को गिरफ्तार किया गया था। अर्पिता के घर छापेमारी में करीब 20 करोड़ रुपये नकद मिले।
इसके बाद बुधवार को अर्पिता के दूसरे घर पर छापा मारा गया। इसमें भी करीब 20 करोड़ रुपये नकद मिले। साथ ही वहां से कई किलो सोना भी बरामद किया गया। ईडी का मानना है कि यह वही पैसा है जो शिक्षक भर्ती घोटाले में रिश्वत के तौर पर लिया गया था।
जिस समय पर ये घोटाला हुआ था उस समय पर पार्थ चटर्जी राज्य के शिक्षा मंत्री थे जो कि अभी उद्योग और वाणिज्य मंत्री है। इस मामले को लेकर सीबीआई दो बार उनसे पूछताछ कर चुकी है। पहली पूछताछ 25 अप्रैल को की गई थी तो वहीं दूसरी पूछताछ 18 मई को की गई थी।
बता दें कि परेश चंद्र अधिकारी फिलहाल बंगाल सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री हैं। मंत्री पर आरोप है कि उन्होंने अपने प्रभाव से बेटी अंकिता अधिकारी को एसएससी में बिना मेधा तालिका में नाम आए शिक्षिका की नौकरी दिलवाई। हालांकि बाद में कोलकाता हाई कोर्ट ने अंकिता अधिकारी को नौकरी से बर्खास्त करने का आदेश दिया था। साथ ही कहा था कि जो तनख्वाह उन्होंने ली है, उसे वापस जमा कराई जाए।