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जानिए जमानत राशि क्या होती है?, क्यों की जाती है किसी प्रत्याशी की जमानत राशि जब्त

विधानसभा चुनाव 2022 की बात की जाए तो इस बार दो पार्टीयों के बीच ही चुनाव हुए है और बाकी सभी पार्टीयों के प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए. इससे पहले 1993 में लगभग 8652 प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाए थे. 2022 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो 4441 प्रत्याशी मैदान में थे और 2017 में 4853 प्रत्याशी मैदान में थे. इस बार केवल 4 सीटें ऐसी थी जहां 15 से अधिक प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे. इस बार प्रत्याशियों की संख्या में पिछली बार की तुलना में मुकाबला कम है.

Raunak Pareek

सवाल

  • क्या होती है जमानत राशि

  • कितनी होती है जमानत राशि

  • किस चुनाव में देनी होती है कितनी राशि

  • आखिर क्यों होती है जमातन राशि जब्त

  • किन हालातों में वापस होती है जमानत राशि

ऐसे ही इन तमाम सवालों पर हम आपको आज बताने वाले है. चलिए करते है इसकी शुरूवात.

इनकी तो जमानत जब्त हो गई, ये तो अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए. ऐसी कुछ बातें आपने सुनी होंगी. पिछले दो महीने तक चले सियासी संग्राम में वैसे तो हर दल और नेता अपनी जीत का दावा किया हो लेकिन जब परिणाम आए तो नजारा कुछ और ही दिखाई दिया. 1989 से लेकर उत्तर प्रदेश में जितने भी विधानसभा चुनाव हुए हैं. उनके अनुसार अगर आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो इनमें 80 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है.यानि चुनावों में 100 में से करीब 20 प्रतिशत प्रत्याशी ही अपनी जमानत बचा पाते हैं.

विधानसभा चुनाव 2022 की बात की जाए तो इस बार दो पार्टीयों के बीच ही चुनाव हुए है और बाकी सभी पार्टीयों के प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए. इससे पहले 1993 में लगभग 8652 प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाए थे. 2022 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो 4441 प्रत्याशी मैदान में थे और 2017 में 4853 प्रत्याशी मैदान में थे. इस बार केवल 4 सीटें ऐसी थी जहां 15 से अधिक प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे. इस बार प्रत्याशियों की संख्या में पिछली बार की तुलना में मुकाबला कम है.

क्या होती है जमानत राशि ?

विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए हर प्रत्याशी को अपने पद के अनुसार एक राशि चुनाव आयोग में जमा करवानी होती है. यह जमानत राशि प्रत्याशी को तभी वापस मिलती है जब प्रत्याशी अपनी विधानसभा सीट में कुल मतों का छठा तक का वोट प्रतिशत मिला हो. अगर ऐसा नहीं होता है. तो प्रत्याशी को जमानत की राशि नहीं दी जाती है. उसे जब्त कर लिया जाता है.

फिलहाल अब तक सबसे ज्यादा जमानत जब्त 1993 में उत्तरप्रदेश विधानसभा में हुई थी. 1993 में करीब 88.95 प्रतिशत प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाए थे. तब कुल 9726 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था. जिसमें से 8652 प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाए थे.

लोकसभा और विधानसभा चुनाव की जमानत राशि का जिक्र रिप्रेंजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट, 1951 में जबकि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव की जमानत राशि का जिक्र प्रेसिडेंट एंड वाइस प्रेसिडेंट इलेक्शन एक्ट, 1952 में किया गया है. वहीं लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सामान्य वर्ग और एससी-एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए अलग-अलग जमानत राशि होती है. जबकि, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में सभी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए एक ही राशि होती है.

अलग-अलग पद के लिए अलग-अलग राशि होती है जमा

लोकसभा चुनाव में सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 25 हजार रुपये की जमानत राशि जमा करानी होती है. वहीं, एससी और एसटी वर्ग के प्रत्याशीयों के लिए ये रकम 12,500 रुपये होती है. विधानसभा चुनाव. जहां सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए राशि की रकम 10 हजार रुपये होती है, जबकि एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए यह राशि आधी यानी 5 हजार रुपये होती है. वहीं अगर बात करें राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव की तो यहां सभी वर्गों के लिए जमानत राशि की रकम एक ही होती है. दोनो पदों के चुनाव के लिए उम्मीदवार को केवल 15 हजार रुपये जमा करवाने होते है.

आखिर क्यों जब्त हो जाती है जमानत राशि ?

चुनाव आयोग के अनुसार जब कोई उम्मीदवार सीट पर डाले गए कुल वोटों का 1/6 यानी 16.66% वोट हासिल नहीं कर पाता तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है. चलिए आपको उदाहरण से समझाते है. मान लीजिए किसी सीट पर 1 लाख वोट डाले जाते है. जहां 5 उम्मीदवारों को 16,666 से कम वोट मिलते है तो, उन सभी की जमानत जब्त कर ली जाती है. कुछ ऐसा ही फॉर्मूला राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव पर भी लागू होता है. जहां राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को अपनी जमानत बचाने के लिए 1/6 वोट हासिल करना होते हैं.

इन हालातों में वापस की जाती है जमानत राशि

बताया जाता है कि उम्मीदवार को जब 1/6 से ज्यादा वोट हासिल होते हैं तो उसकी जमानत राशि लौटा दी जाती है. दूसरी बात जीतने वाले उम्मीदवार को भी उसकी रकम वापस कर दी जाती है, भले ही उसे 1/6 से कम वोट मिले हों, वोटिंग शुरू होने से पहले अगर कोई उम्मीदवार मौत हो जाती है, तो भी उसके परिजनों को रकम वापस कर दी जाती है. यदी उम्मीदवार का नामांकन कैंसल हो जाए या फिर नामांकन वापस ले लिया जाता है तो भी जमानत राशि वापस कर दी जाती है.

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